मेरे एक मित्र हमेशा कहा करते थे कि मकान बनवा कर देखो या बिटिया की शादी करवा के देखो कि आदमी की क्या दुर्गति होती है. प्रभु की दया से जीवन में दोनों काम कर लिये. दुर्गति तो नहीं हुई लेकिन हां आटेदाल का भाव पता चल गया.
प्रभु की दया से और आप सब की प्रार्थना के कारण सितंबर 10 को बिटिया आशा की शादी कुशल मंगल से संपन्न हो गई. आजकल आशा और मनु हमारे साथ हैं क्योंकि 23 तारीख को आशा का एक पेपर है. नवदंपत्ति खुश हैं एवं दोनों का विषय एक ही है अत: मनु का काफी समय आशा को पढानेलिखाने में लग रहा है.
ऊपर हम सब का एक अनौपचारिक चित्र देख सकते हैं (शास्त्री, सौ. आशा, मनु, सौ. शांता). चित्र बेटे आनंद ने लिया अत: वह इस में नहीं है. हमारे संप्रदाय में हर प्रकार के आभूषण की वर्जना है अत: आप को दोनों स्त्रियों के शरीर पर आभूषण के रूप में एक धागा भी नहीं दिखाई देगा. रंगबिरंगे वस्त्रों का चलन भी अभी हाल ही में हुआ है, लेकिन विवाह के दिन वधु सिर्फ श्वेत वस्त्र ही पहन सकती है.
जैसा मैं ने इसके पहले याद दिलाया था, केरल का ईसाई समाज 2000 साल पुराना है. यहां जब कई तरह की कुरीतियां आ गईं तब यह नवीकरण हुआ था (लगभग आर्यसमाज के समान). 150 साल पुराने इस नवीनीकृत संप्रदाय में कुछ बातों की इतनी कडी वर्जनायें है कि धूम्रपान, मद्यपान, सिनेमा थियेटर जाने पर, व्यभिचार में पकडे जाए पर, या विवाहविच्छेद होने पर लोगों का हुक्कापानी बंद कर दिया जाता है. इस संप्रदाय में पादरी नहीं होते हैं बल्कि चुने लोगों को समाज के “अगुवे” की पदवी दी जाती है. इन अगुवों को काफी कठोर नियमों का पालन करना पडता है.
धार्मिक कर्मकांडों को तिलांजली देने के कारण इस संप्रदाय में धार्मिक कार्य काफी सहज हो गया है. आशा-मनु का विवाह सिर्फ डेढ घंटे में निबट गया और अतिथियों को खानेपीने एवं आपस में मिलने जुलने के लिये काफी समय मिल गया. विवाह भी हमारे समाज के एकदो अगुओं ने की जिनको पुरोहित का कार्य करने का अनुभव है. सब कुछ केरल की मलयालम भाषा में हुआ, लेकिन मेरे जो उत्तरभारतीय मित्र (ग्वालियर के) वहां मौजूद थे उनको मूल बातें समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई.
किसी भी समाज में दूरदर्शी लोगो हों तो समाज में बदलाव आ सकता है. हमारे इस संप्रदाय में लगभग 500,000 लोग हैं जिनके बीच धूम्रपान, मद्यपान, सिनेमा थियेटर जाना, व्यभिचार, या विवाहविच्छेद लगभग अनुसुनी बात है. इससे निकला एक और संप्रदाय है जिसमें आज लगभग 5,000,000 लोग हैं जो इससे भी कडे अनुशासन का पालन करते हैं. ये लोग भी आभूषण का प्रयोग नहीं करते हैं.
प्रभु की दया हुई तो कल से चिट्ठाजगत में सक्रिय हो जाऊँगा. मेरे सारे मित्रों को मेरा दिली आभार — शास्त्री
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नवदंपत्ति को शुभकामनायें।
शास्त्री जी , आपकी वापसी भी जोरदार अनुभवों की दास्तान सुनाते हुए बिल्कुल धाँसू रही |
” आशा-मनु का विवाह सिर्फ डेड घंटे में निबट गया ” में कृपया ‘ डेढ़ ‘ को सुधार दें |
हमारे संप्रदाय में हर प्रकार के आभूषण की वर्जना है अत: आप को दोनों स्त्रियों के शरीर पर आभूषण के रूप में एक धागा भी नहीं दिखाई देगा.
ऐसा पढ़ना मेरे लिये एक बढ़िया जानकारी थी –मैं पहले इस के बारे में नहीं जानता था।
नवदंपति को बहुत बहुत शुभकामनायें।
बधाई हो, शास्त्री जी! आप तो गंगा नहा लिए!:)
और सर जी, चित्र में अनौपचारिक क्या है! कंधे पर हाथ रखकर फोटो खिंचाना?:)
जल्दी आइये व्यस्तताओं से निपट कर. सभी ने आपको मिस किया है.
आपकी वापसी हमारे उत्साह मे बडोत्तरी होगी। स्वागत! शुभकामनाऍ! वैसे सर! केरला के लोग सोना बहुत पहनते है। पर आपके समाज परिवार मे सादगी को प्राथमिकता प्रदान कर एक अच्छा उदारहण समाज देश और लोगो को देने का कार्य किया मुझे अच्छा लगा।
नव दम्पति को आशीर्वाद !
लीक से न हटिये ,भला आप क्यों हटेगें !
(जिन्हें हटना था वे कब का हट चुके )
लीक छाडि तीनो चले शायर सिंह सपूत !
बिटिया की शादी और मकान , दोनो महती जिम्मेदारियों के सफ़लता पुर्वक पूरा करने के लिये आपको हार्दिक बधाई और बिटिया-दामाद को मंगल आशीष, केरल के ईसाई समाज के बारे में इस लेख से महती जानकारी मिली.
और आपने लिखा की मैं वापस आ गया हूं. तो आप गये कहां थे? आप तो हिंदी चिठ्ठाकारों के दिल मे बसे हैं. आपकी कमी रोज अखरती थी…बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत अच्छा लगा आप का लौटना और अपने इस नवीकृत संप्रदाय के बारे में बताना। यह नवीकरण की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। वैसे यह स्वाभाविक है और लगभग सभी स्थानों पर किसी न किसी रूप में चलती रहती है।
आशा है अब सारथी पर नियमित मुलाकात होती रहेगी। आशा-मनु के विवाह की फिर से बधाई! और दोनों को शुभकामनाएँ कि उन का जीवन आपसी स्नेह से परिपूर्ण रहे।
आपको व नवदम्पत्ति को बधाई व शुभकामनाएँ
आपको बधाई .. नवदंपत्ति को आशीर्वाद .. आपके समाज के नवीनीकरण के बारे में जानकर अच्छा लगा .. आज हर जगह इस प्रकार के नवीनीकरण किए जाने की आवश्यकता है .. सारथी वापस लीक पर आ गया .. यह जानकर खुशी हुई !!
इस सुंदर जोड़ी को मेरा हार्दिक आशीर्वाद , और आप दोनों को शुभकामनायें
सौ.आशा और चिरंजीव मनु को शुभा आशीष और हार्दिक शुभकामनाएं। शास्त्री जी, आपको ढेरों बधाई।
आप हिन्दी ब्लॉगजगत के तेजस्वी नक्षत्र हैं। आँखो से कुछ समय के लिए ओझल होने के बावजूद आपको हमने हमेशा अपने बीच में पाया है। अब नित्य भेंट होगी इसकी खुशी है।
आशा और मनु को हार्दिक बधाई
आशा बहन को पेपर के लिये भी अग्रिम शुभकामनायें
आदरणीय शास्त्री जी
मैं आपके पिछले लेख लगातार पढ रहा हूं। बहुत-बहुत बातें सीखने को मिल रही हैं। आपके समाज के बारे में भी आपके पिछले लेखों में पढा। समाज में कुरीतियां आने पर जब नवीकरण होता है तो नियम और वर्जनायें बनाई जाती हैं। लेकिन क्या (जैसे कि लगभग हर समाज या सम्प्रदाय में होता है) समय बदलने के साथ-साथ यह नहीं महसूस होता कि ये नियम व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हावी हो रहे हैं। क्या कुछ जबरदस्ती थोपी गयी वर्जनाओं में समय के साथ फेरबदल की आवश्यकता महसूस नहीं होने लगती है? जैसे आभूषण पहनना और सिनेमा थियेटर व्यैक्तिक रूचि पर अंकुश तो नही है?
मैं अपना विचार आपके सम्मुख सही ढंग से नही रख पाया हूं या आपको कोई कष्ट हुआ है तो क्षमाप्रार्थी हूं।
प्रणाम स्वीकार करें
आशा और मनु को बधाई…
हम भी इंतज़ार कर रहे हैं… स्वागत के लिये टिप्पणी रूपी हार-फ़ूल लिये बैठे हैं… जल्दी वापस आईये
बिटिया ओर मनू बेटे को हमारी तरफ़ से हार्दिक बधाई ओर शुभकामनायें, आने वाला जीवन खुशियो भरा हो, ओर आप के समाज के बारे पढ कर अच्छा लगा, काश भारत का सारा समाज ऎसा ही बन जाये.
आप को ओर आप के परिवार को भी बहुत बहुत बधाई
शास्त्रीजी,
आपके सम्प्रदाय के बारे में विशिष्ट बातें जानकर बहुत अच्छा लगा।
आपकी कमी विशेष रूप से इसलिये अनुभव की जाती है क्योंकि आपके बिना हिन्दी चिट्ठाजगत ‘ब्राउनी गति’ करता नजर आने लगता है।
बहुत सारी बधाईयाँ. नव दम्पति को आशीष.
आपके ब्लोग द्ववारा आप से मिलकर प्रसनन्ता हुई
बधाई आपको एवम नव दम्पत्ति को , आपका समुदाय सामाजिक कुरीतियों से दूर है इसके लिए आप लोगो की इच्छा शक्ति को सलाम
आपको व नवदम्पत्ति को बधाई व शुभकामनाएँ
हो जायेंगे से मतलब
आप तो सदैव सक्रिय हैं
आपकी सक्रियता ऐसी है
जो सबको सक्रिय रखती है।
बधाई एवं ढेरों शुभकामनायें !
(सागर )
बधाई शास्त्री जी!
नवदम्पत्ति को बधाई व शुभकामनाएँ | आपके सम्प्रदाय के बारे में बातें जानकर बहुत अच्छा लगा। मैं यहाँ नयी हूँ पर आते रहने का विचार रखती हूँ |
Shastriji,I fully agree with you, but before that I will like to congratulate on this auspicious occasion to Ashaji and Kanwar Sahib Manuji.Anyhow as per your post Manuji is the teacher of Asha is commendable!!!! Keep it up Manuji
Regards