प्रभु की दया से हम सब लगभग सामान्य लोग हैं। किसी तरह की विकलांगता का अनुभव नहीं करते है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि समाज का एक बहुत बडा तबका जो पूर्ण रूप से सामान्य नहीं है उनकी बडी उपेक्षा होती है। मैं ने इस बात को पिछले तीन महीनों में अच्छी तरह महसूस किया है।
तीन महीने पहले डाक्टर बेटे ने पहचान लिया कि मुझ में डायबटीज के लक्षण दिखने लगे हैं। बस आननफानन में जांच करवाई और और तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिये। फिलहाल मैं ने सीमा को हल्के से पार किया है लेकिन उसका कहना है कि अब यहीं बने रहने के लिये फलमिठाई, मीठी चाय, ठंडे पेय आदि को एकदम तिलांजली देना जरूरी है। मैं एक अनुशासित व्यक्ति हूं अत: सब कुछ मान लिया। लेकिन अब परेशानी यह है कि किसी के घर जाओ तो न तो चाय पी सकते हैं न मिठाई खा सकते है। सेवचिवडा खाकर कब तक आदमी जी सकता है।
जीवन की इस विकलांगता के कारण अब मिठाई की दुकान, फलों की दुकान, बिस्कुटटाफी की दुकान आदि को देखते ही डर लगने लगता है। अपनी असहायता पर रोना आता है। लेकिन उसके साथ साथ एक बात और याद आती है – समाज में एक बहुत बडी संख्या में लोग किसी न किसी तरह से विकलांगता का अनुभव करते हैं, लेकिन हम उनको सुविधा मुहैया कराने के नाम पर चुप्पी मार जाते हैं।
अधिकतर रेल्वे स्टेशनों पर अभी भी व्हीलचेयर को प्लेटफार्म पर चढानेउतारने के लिये अलग से सुविधा नहीं है। एकाध जगह है तो उस की जम कर उपेक्षा होती है। पिछले दिनों आलुवा स्टेशन पर गया तो वहां बाकायदा व्हीलचेयर चढाने के लिये घिसलपट्टी नुमा सुविधा बना रखी है, लेकिन उसके सामने इतने सारे मोटरसाईकिलें खडी कर दी जाती हैं के दस मोटरसाईकिलों को हटाने के बदल व्हीलचेयर को उस पर बैठे विकलाग सहित सीढियों पर उठा कर ले जाना आसान होता है।
कुछ साल पहले एक नेत्रहीन मित्र ने, और उस के कुछ समय बाद कमर से नीचे लकवे से पीढित व्हीलचेयर आसीन एक मित्र ने, मुझे टोका था कि “तुम सामान्य लोग यह भूल जाते हो कि हम भी मनुष्य हैं। तुम जरा सी सुविधा दे दो तो हम आसमान छू लें”। आज यह बात साफ समझ में आ रही है। [Pic Credit]
अभी से नियंत्रित कर लेंगे तो कोई दिक्कत नहीं होगी. विकलांग व्यक्तियों के प्रति हमारा रवैया ठीक नहीं है.
आप को मधुमेह ने घेरा है तो संभल कर तो रहना होगा। यह भी ध्यान रखना होगा कि शर्करा स्तर सही बने रहने पर भी यह रोग अन्यान्य अंगों को प्रभावित करता है।
हम आपके स्वास्थय के स्वस्थ रहने की कामना करते है.
समाज में एक बहुत बडी संख्या में लोग किसी न किसी तरह से विकलांगता का अनुभव करते हैं
एक कटु सत्य
आप स्वस्थ रहें, यही कामना
शास्त्री जी, इसका हल आसान है। बिना चीनी की चाय लें। नियमित व्यायाम वा पैदल चलें।
मुझे चीनी की शिकायत नहीं है पर मुझे चीनी अच्छी नहीं लगती। मैं हर गर्मी में घर में हाथ की बनी आइसक्रीम बनवाता हूं। इसमें चीनी नहीं रहती या लगभग नहीं के बराबर। जिसको चीनी की जरूरत होती है। उसके लिये ऊपर से शहद डाल देते हैं।
वाकई, विकलांग लोगों के प्रति अधिकतर रवैया ठीक नहीं रहता.
वैसे आप तो यूँ भी टहलना वगैरह करते हैं..बस, नियंत्रित रखें. हम खुद बार्डर लाईन पर टिके हैं.
चिंता नही करें, ब्रिस्क वाकिंग थोडा बढा दिजिये, हम भी इसी श्रेणी में है. एक गोली सुबह सुबह चढा लेते हैं. काम करिये..मस्त रहिये, दवा लिजिये पर दारू नही.
रामनवमी की घणी रामराम.
रामराम.
आप स्वास्थ्य बनाये रखें ।