जनतंत्र का मतलब यह है कि सरकार जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिये बनाई गई है. लेकिन पूर्ण जनतंत्र तभी स्थापित हो सकता है जब किसी भी जनतंत्र के सारे नियमकानून उस देश की जनता के द्वारा और जनता के लिये बनाये गये हों.
विडंबना यह है कि १९४७ में तकनीकी तौर पर हम आजाद हो गये, लेकिन आज भी अंग्रेजों के द्वारा हिन्दुस्तानियों के दमन एवं शोषण के लिये बनाये गये कई कानून इस देश में चल रहे हैं. फल यह है कि आजाद होते हुए भी, कानून हमारी आजादी की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है. न ही हम अपनी आजादी की मांग कर पा रहे हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में वही अंग्रेजों के बनाये नियमकानूनों के आधार पर काम चलता है. इसका एक अच्छा उदाहरण है हमारा पुरातत्व विभाग. इसकी स्थापना अंग्रेजों ने की थी, एवं पिछली एक शताब्दी से अधिक समय में सारे हिन्दुस्तान भर में हो पुरातत्व संग्रहालय हैं उन के पास लाखों वस्तुओं का संग्रह हो गया है.
मेरी रुचि प्राचीन भारत के सिक्कों में है, और पुरातत्व विभाग के पास लाखों दुर्लभ सिक्के पडे हैं. कुछ को जनता देख सकती है लेकिन अधिकांश उनकी कालकोठरियों में पडे है. जो दिखाने के लिये रखे है आप उनका छायाचित्र नहीं उतार सकते. कुल मिलाकर कहा जाये तो हमारे पैसे का उपयोग कर हमारे ही देश की संपत्ति की सुरक्षा में लगे लोग हम को उस असीमित जानकारी का उपयोग करने नहीं देते. न ही वे लोग इस जानकारी को सही रीति से लोगों तक पहुंचा पा रहे हैं.
लगभग हर जनतंत्र में जनता की संपत्ति बडे आराम से जनता को उपलब्ध है. बस अपने ही देश में आप के पैसे से आप को अभी भी गुलाम रखा जा रह है. इसके विरुद्ध जनमत तय्यार करना जरूरी है, और इस आलेख को इसकी पहली कडी मान लीजिये.
शास्त्री साहब, दरअसल, हमें आजादी तो मिल गयी लेकिन स्वतन्त्रता नहीं मिल सकी. हमारा एक स्व तन्त्र विकसित नहीं हुआ. गोरों के आगे रखी थाली हटाकर कालों को दे दी गयी. एक नया वर्ग विकसित हो गया जिसकी मानसिकता वही है. यहां आज भी वही व्यवस्था है, राजा और प्रजा, शोषक और शोषित, खून चूसने वाले और चुसवाने वाले…
और हां, इतनी लम्बी डुबकी न लगाया करें, कमी खलती है…
हमारे देश में बहुत पढ़े लिखे लोग भी ऐसी बात करते मिल जाएंगे कि अंग्रेजों ने जो नियम कानून बना दिए उन्हें आज की तारीख में बदला नहीं जा सकता क्योंकि उतनी गहन सोच और दूरदृष्टि वाले कुशल व जानकार लोग अब हैं ही नहीं। उदाहरण के लिए हमारा बनाया एक संविधान है जिसमें मूल धाराओं से अधिक संशोधन हो चुके हैं। अंग्रेजो ने जो एक्ट, मैनुएल आदि बना दिए उनमें आज भी संशोधन की आवश्यकता नहीं महसूस की जाती बल्कि संशोधन की हिम्मत नहीं पड़ती। उससे बेहतर तैयार कर पाने का आत्मविश्वास नहीं पैदा हो पा रहा।
वो सुबह जरूर आएगी…
यह सचमुच एक त्रासद स्थिति है -जिज्ञासु जन ऐसे अतार्किक निर्णयों से बहुत प्रभावित होते हैं -मैं आपकी पीड़ा समझ सकता हूँ -इन्ही स्थितियों के चलते राहुल सान्क्रित्यायंन ने नेपाल से बौद्ध साहित्य की चोरी कर डाली और खच्चरों पर लाद विपुल पटी सामग्री यहाँ ले आये …:) आप अपना कोर्स आफ एक्शन तय करें -कोई मदद चाहें तो बताएं !
बहुत दिनों बाद दिखाई दे रहे हैं। लेकिन अंदाज वही है। हम स्वतंत्र तो हो गये हैं वैसे ही जैसे हरे-भरे जंगल में बकरियों को आजाद छोड़ दिया जाए लेकिन जहाँ हिंस्र पशु भी पर्याप्त मात्रा में हों। बकरियाँ खूब खुश होंगी कि यहाँ खाने को चारा बहुत है। बकरियों को जंगल के हिंस्र पशुओं से भी निबटना होगा और बाहर से आने वालों से भी। बकरियाँ ऐसा सिर्फ स्वयं संगठित हो कर ही कर सकती हैं। बिना जनसंगठनों के आजादी का कोई अर्थ नहीं। हमारी पंचायतें आदि अभी जनसंगठन नहीं बन सकी हैं।
सही बात है …. सिर्फ तकनीकी तौर पर हम सब आजाद हैं …. आपकी बात की मूल भावना से सहमत हूँ | लेकिन साथ ही मैं जागरूक[?] युवा पीढ़ी की आधुनिक[?] और विकसित[?] सोच को इस बात को दोषी भी मानता हूँ
[सुधार ]
…. विकसित[?] सोच को इस बात का दोषी भी मानता हूँ
List of colonial Indian department, codes and procedures
Colonial name Present name
1 Imperial police Indian police service
2 Indian penal code Indian penal code
3 Indian air force Royal Indian air force
To be continued …………..
These are the bullshit copies of colonial Indian legacy
अत्यंत सटीक आलेख है आपका। आपकी बात बिल्कुल सही है। हमारे एक मित्र को प्राचीन चित्रकला में पीएचडी करनी थी। उन्हें संग्रहालय से मूल पांडुलिपि के चित्रों की प्रतियाँ कई महीनों तक उपलब्ध नहीं कराई गई। बहुत प्रयास और सिफारिश करनी पड़ी। वो हिम्मत वाले थे उन्होंने हासिल कर ली। मुझसा तो पीएचडी करने का विचार ही त्याग देता।
सभी पाठक मित्रोंको सादर प्रणाम,
सभी देवियों और सज्जनों जब आप आंतरजाल पर घुमते है या फिर किसी ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया देते है क्या उसके बदले में आपको पैसे मिलते है ?
मुझे मिलते है, मै मजाक नहीं कर रहा दोस्तों आप भी आंतरजाल पर घुमते वक्त पैसे कम सकते है.
मैंने मेरे ब्लॉग पर सारी जानकारी दि है. कृपया एक बार तकलीफ उठाकर देखिएगा जरूर.
मेरे ब्लॉग का पता
http://www.moneyprakash.co.cc
आपका अपना मनी प्रकाश.
( आपके इस खुबसूरत ब्लॉग पर मेरे इस कोमेंट को स्थान देने केलिये ब्लॉग के मालिक के हम बेहद शुक्रगुज़ार है )