काफी अर्से पापी पेट की जरूरतों के पीछे भाग, चिट्ठाकारी को हटा कर रखने के बाद चिट्ठाकारी में लौटा तो एक बात बहुत खल गई कि कोई भी एग्रीगेटर काम नहीं कर रहा है. ऐसा लगा कि मैं अनाथ हो गया हूं.
दर असल कुछ साल से यह नियम बन गया था कि रोज सुबह चिट्ठाजगत पर एक नजर डालने के बाद ही बाकी कुछ किया जाये. संगणक पर काम करने के बीच दिन भर में कम से कम दसबीस बार नजर चली जाती थी. जैसे ही किसी प्रिय चिट्ठाकार का आलेख दिखा, या किसी और का कोई दिलचस्प आलेख नजर आया, या कोई नया-नवेला सशक्त लेखक नजर आया तो उस आलेख को पढना एवं टिप्पणी करना जीवन का एक अंग बन गया था.
कोई भी कार्य कितना भी खुशी दे, कितना भी सहज हो, वह करना और भी सहज हो जाता है जब उसके लिये सही औजार उपलब्ध हो. दीवार में कील ठोकने के लिए पत्थर काफी है, लेकिन वह हथौडे का आनंद या सुविधा नहीं देता है. चिट्ठाजगत में हम अपने मित्रों के चिट्ठों पर जा जाकर देख सकते हैं, लेकिन एग्रीगेटर में सबकुछ (शीर्षक, टिप्पणी, आंकडे आदि) देखने का मजा कुछ और ही है.
इस हफ्ते चिठाजगत के जालसाज से बात हुई तो पहली बार पता चला कि एग्रीगेटर की प्रोग्रमिंग कितनी जटिल है, जिसके चलते उनका यंत्र रुक गया है. उम्मीद है कि जल्दी ही उनका नवीन तंत्र सही हो जायगा जिससे कि हम सब पुन: एक दूसरे को देख सुन सकें.
अब तो इस समस्या से हम अभ्यस्त हो लिए .आप भी नियमित रहिये हो जाईयेगा !:)
बधाई भी -विवरण यहाँ देखें -http://www.parikalpnaa.com/2011/03/blog-post_09.html
कमी तो सच में खल रही है।
इतना दूर न रहा करें.. कमी तो हमें भी खल रही है.
कमी तो खलती हे, मै कोशिश कर रहा हुं, ओर मुझे तकनीकी ग्याण नही, वर्ना मे बनाने के लिये तेयार हुं,सर्वर भी अपना ही खरीद लुंगा, लेकिन कोई मदद गार चाहिये अभी तो इस पर काम कर रहा हुं, आप भी देखे….http://blogparivaar..com/
http://blogparivaar.blogspot.com/
http://blogparivaar.com/ पहले वाले मे दो .. डल गये गलती से
ब्लॉग वाणी के स्थान पर तो “हमारीवाणी” व “अपना ब्लॉग” संकलक आ गए है पर चिट्ठाजगत की कमी अभी भी बनी हुई है |
शास्त्री जी हम सभी को यह कमी खल रही है. क्या करें तकनीकी अज्ञानता से विवश हैं. हम तो इसके लिए सदस्यता शुल्क भी देने को तैयार हैं.
स्वागत है आपका ! शुभकामनायें !
एग्रीगेटर से ज्यादा आपकी कमी खल रही थी… 🙂
चिट्ठाजगत का स्वागत रहेगा!!
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर को भी समय के साथ खुद को उपग्रेड करते रहेने की आवश्यकता है. उनके तकनीक , उपयोग और सुविधाओं में सुधार ही उन्हें कारगर बना सकता है. हाँ निष्पक्ष होना पहली शर्त है.
ब्लॉगप्रहरी डॉट कॉम एक ऐसा प्लेटफार्म है , जिसने एक ब्लोग्गर के सभी पहलुओं को केंद्र में रख कर हिंदी ब्लॉग्गिंग का संपूर्ण मंच बन गया है.
ब्लॉगप्रहरी से समस्त हिंदी जगत लाभान्वित होगा, ऐसी कामना है. ब्लॉगप्रहरी एग्रीगेटर वास्तव में सर्वगुण संपन्न है .
जिस प्रकार सतयुग में भगवान परशुराम आठ कलाओं से युक्त थे, भगवान राम बारह कलाओं से युक्त थे , कृष्ण को १६ कलाओं से युक्त हो द्वापर में निर्वाह करना पड़ा. क्योंकि त्रेता में तीन अंश सत्य और एक अंश असत्य का समावेश था.. द्वापर में २ अंश सत्य और दो अंश असत्य हुआ. अब कलियुग है ..जहाँ ३ अंश असत्य और १ अंश सत्य का साशन है .
अब प्रभु का अवतरण होता है , तो उन्हें भी भगवान कहलाने के लिए २० कलाओं से युक्त होना पड़ेगा.
जिस प्रकार की अन-एथिकल प्रयोग ब्लोग्गर , एग्रीगेटर के साथ करने लगे थे , और जिस तरह के आक्षेप एग्रीगेटर को झेलने पड़े .. वह वास्तव में दुखद रहा. सभी को पता है कि एग्रीगेटर , हमारे ब्लॉग की तरह मुफ्त में नहीं चलते. उसे बनाने में ५० हजार से ३ लाख तक का खर्च आएगा.
ब्लॉगवाणी एक बहार सशक्त प्लेटफार्म है , अगर आप किसी वेब डिजायन कंपनी से वैसी एक साइट बनाने की बात करें तो आपको से १ से ३ लाख तक रुपये का बजट मिलेगा.
इतना ही नहीं ..ऐसे एग्रीगेटर को चलाना भी मुफ्त का काम नहीं. हजार ब्लोग्स को एकत्रित करने के लिए एग्रीगेटर पर महीने का ३ हजार रूपया खर्च होना ही हैं. यह भी तब , जब आप स्वयम तकनिकी जानकार है. तो होस्टिंग पर खर्च ही आपका महीने का खर्च होगा. वर्ना एक तकनिकी दक्ष व्यक्ति इसके सञ्चालन के लिए चाहिए . यानी १५ हजार से कम में … आप १००० ब्लोग्स की क्षमता वाला एग्रीगेटर खड़ा करने की नहीं सोच सकते. मुफ्त में आने वाले संसाधनों में कोई न कोई कमी है .. जो इसे संपूर्ण नहीं बना सकती.
अब १५ हजार रुपये महीने खर्च करने केलिए सोचना पड़ेगा. क्यों की आर्थिक आय का कोई साधन न होना , संपूर्ण जिम्मेदारी इसके संचालक के पॉकेट पर आती है. यह किसी हिंदी सेवी संसथान तो कर सकता है .. लेकिन एक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं.
तो हम सभी को ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करना चाहिए और हमें ऐसे प्रयासों को मजबूती देनी चाहिए. नहीं तो विदेशी बोली , विदेशी तकनीक , विदेशी मूल्य .. सभी के साथ साथ विदेशी एग्रीगेटर भी चाहिए होगा.. और हमारे हिंदी के लिए तो नहीं होगा.
वैश्विक पटल पर हिंदी की प्रति आर्थिक सहयोग की उदासीनता को हम सभी जानते हैं. तो फैसला आपके हाथ है. स्वयं प्रयास करें , दूसरे के सहभागी बनें .. या … गूगल के हिंदी एग्रीगेटर की प्रतीक्षा करें …
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ, काफी काम की जानकारी मिली, यदि आप अपना ब्लॉग “अपना ब्लॉग” पर सम्मिलित करेंगे तो बहुत खुशी होगी
Bahut aacha likhte hain aap.Padh kar bahut aacha laga.Bahut bahut dhanyawad.
humne to ab blogs padna hi kam kar diya ek ek blog khojna padta hai
अभी तक चिट्ठाजगत की बराबरी करने वाला कोई पैदा ही नहीं हुआ. 🙁
और आपकी भी…..
चापलूसी नहीं है यह आपकी बस सारथि न रहे तो पता ही नहीं चलता कि रथ जा कहाँ रहा है 😀
अभी तक चिट्ठाजगत की बराबरी करने वाला कोई पैदा ही नहीं हुआ. 🙁
और आपकी भी…..
चापलूसी नहीं है यह आपकी
बस सारथि न रहे तो पता ही नहीं चलता कि रथ जा कहाँ रहा है 😀
ओह मेरी त्रुटि से दो टिप्पणियाँ 🙂
हम हमारीवाणी को एक अच्छा एग्रीगेटर बनाना चाहते हैं। आप उस पर ब्लाग पंजीकृत तो कीजिए।
Bahut badhiya likhte hain aap.Padh kar bahut aacha laga.
mere blog ko bilkul bhi traffic nahin mil raha kya karun?
Main aapka blog roz padhta hoon par bahut dino se aap kutch naya nahi likh rahe.Kahan hain aap?
वाकयी अच्छे संकलकों की कमी खलती है। चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी के बाद कोई भी संकलक उनके स्तर का नहीं आया।
आपकी वापसी से प्रसन्नता हुयी। आशा है दोबारा नियमित लिखना चालू करेंगे।
दोबारा लिखना चालू कर दिया है. जल्दी में लिखा पहला लेख बुकर-पुरस्कार प्राप्त एक पुस्तक के बारे में है.
सभी पाठक मित्रोंको सादर प्रणाम,
सभी देवियों और सज्जनों जब आप आंतरजाल पर घुमते है या फिर किसी ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया देते है क्या उसके बदले में आपको पैसे मिलते है ?
मुझे मिलते है, मै मजाक नहीं कर रहा दोस्तों आप भी आंतरजाल पर घुमते वक्त पैसे कम सकते है.
मैंने मेरे ब्लॉग पर सारी जानकारी दि है. कृपया एक बार तकलीफ उठाकर देखिएगा जरूर.
मेरे ब्लॉग का पता
http://www.moneyprakash.co.cc
आपका अपना मनी प्रकाश.
( आपके इस खुबसूरत ब्लॉग पर मेरे इस कोमेंट को स्थान देने केलिये ब्लॉग के मालिक के हम बेहद शुक्रगुज़ार है )