मेरे घर के पास हाईवे पर एक बहुत ही व्यस्त चौराहा है जहां हरीबत्ती के लिये अकसर 3 मिनिट रुकना पडता है. वहां एक स्थाई भिखारिन है जिसको मैं पिछले दस साल से पैसा देता आया हूँ. मुझे देखते ही उसकी बांछें ऎसी खिल जाती हैं जैसे कि मुझ से भीख पाना उसका जन्मसिद्ध हक है. चूंकि मेरे दादाजी हमेशा कहते थे कि महीने भर मिलने वाले हर भिखारी को भीख दो बेटा, तो भी वह किसी अच्छे हाटल में एक खाने के पैसे से कम ही बैठेगा अत्: मैं भिखारियों को निराश नहीं करता.
आज किसी कारण से चौराहे पर यातायात एकदम ठप्प था और मामला साफ था कि 3 मिनिट का आज 10 मिनिट हो जायगा. मैं ने डेशबोर्ड पर से 2 रुपये का सिक्का हाथ लिया ही था की वह भिखारिन आ गई. उसे भी मालूम था कि आज मेरी गाडी 3 मिनिट से अधिक रुकेगी. अत: भीख छोड कर वह गाडी के बगल में आ खडी हुई और मेरे परिवार के बारे में पूछने लगी. वह होगी यही 40 से 50 के आसपास की. जब मैं ने अपने विवाहित बेटेबेटी और पत्नी आदि के बारें में कहा तो वह बोली कि दस साल से वह मेरी गाडी में उनको देखती आई है और ईश्वर से प्रार्थना करती आई है कि इस “अच्छे साहब” को ईश्वर का अनुग्रह मिले. वह जानना चाहती थी कि एक साल से वे मेरे साथ क्यों नहीं दिखते. आज उसने पैसा नहीं लिया बल्कि अपनी बात कह कर झुक कर प्रणाम किया और अगली गाडी की ओर हाथ बढा कर चली गई.
क्या भिखारी भी मानव हैं? क्या हमारी एक मुस्कान उन में से किसी एक को जीने की आशा दे सकती है?
There is very busy intersection at the highway close to my house. Often it takes 3 minutes to get green light. There is almost always beggar there whom I had been giving money for the last 10 years. My grandpa used to say that even if we give alms to every beggar whom we come across, the amount thus given away would be much less than what a single meal costs me in a good hotel. Thus I always give some money to beggars. This particular lady would always approach me at this intersection with an expression as though it were her birthright to get a rupee or two from me.
Today there was a traffic block at that junction and it was clear that the usual 3 minutes would turn into 10 minutes today. As usual I picked up a two-rupees coin from the dashboard, and lot she was there. She knew that I would be there for some time, so positioning her besides the window she with a smile asked me about my wife and children. She said she had always seen them with me, but the children have been missing for the last year or so. I told her that they got married and are now settled in other states. That lady who might be between 40 to 50, was pleased to hear this. She said she had always been praying that God may bless this “gentleman”. She did not accept the coin today. Instead, she bowed humbly to me and moved on to the next car with her stretched hand.
Are beggars also human? Can a smile on our face give one of them a better hope in this life?
main to ni-shabd hoon…
भिक्षाटन तो व्यवसाय बन गया है।
@ bhartiya nagrik आज मैं भी काफी समय के लिये निशब्द हो गया था !!
@ प्रवीण पाण्डेय यह सच है कि भिक्षाटन एक व्यवसाय बन गया है, लेकिन भिक्षार्थियों के बीच कई वाकई में अपने जीवनयापन के लिये कोई चारा न देखने के कारन ऎसा करते हैं.
क्या हमारी एक मुस्कान उन में से किसी एक को जीने की आशा दे सकती है?……………..de sakti hai lekin hum dete nahi…….
pranam.
@ sanjay jha प्रणाम संजय !! मैं ने तो आदत डाल ली है कि जिन लोगों से नियमित मुलाकात होती है उनका स्वागत मुस्कराहट के साथ करूं. इस कारण चाहे भिखारी हो या पेट्रोलपंप अटेंडेट, वे मेरे लिये आंखे बिछाये रहते हैं और हरेक से मैं कुशल के दो शब्द बोलने की कोशिश करता हूँ !!
सस्नेह — शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??
http://www.Sarathi.info
बहुत ही नेक और संवेदनशील नजरिया है आपका, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
अच्छी लगी यह मुलाकात भी। आपकी बात सही है, भिक्षावृत्ति को व्यवसाय कहने भर से समस्या हल होने वाली नहीं। और फिर मानव-सम्बन्धित हर समस्या का एक मानवीय पहलू भी होता ही है।
@ sanjay jha प्रणाम संजय …………..
baron ko samman evam choton ko sneh sambodhan hi
honi chahiye……..balak ke jajbat samjhen father…….tisri baar agar aisa hua to is blog
pe ‘a n s a n’ suru………samjhen……….
hardik pranam.
विचारणीय पोस्ट
मानव व्यवहार विज्ञान (Transactional analysis) के कुछ पाठ याद आ गए.
भिखारी तो अवश्य ही मानव हैं; शायद कुछ समय बाद, मानवता भिखारियों में ही शेष रह जायेगी..
kaafi accha likha hai aapne bhikhaari bhi hain to akhir insaan hee na…aur insaan hone ke naate maanvtaa sabhi main hoti hai ….best wishes keep writting ….
इस मामले में मैं सहमत नहीं। मैं मानता हूँ कि हम इस तरह भिक्षावृत्ति को प्रात्साहन देते हैं। कई बार लोग कहते हैं कि बूढ़े भिखारियों को भीख देने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन क्या हमीं ने उन्हें जवानी में भीख दे कर भिखारी बनाया था!
काश हमने उसे भीख देने की बजाय कुछ काम करवा कर उसके बदले पैसे दे दिए होते!!
एक बार बान्द्रा स्टेशन पर एक विकलांग भाई मेरे पास आए और मुझसे जूते पॉलिश करवाने के लिए अनुरोध करने लगे, पता नहीं किस धुन में मैने अपनी जेब से पाँच रुपए निकाल कर दिए। उन्होने हाथ जोड़ कर कहा, भाई साहब मैं भीख नहीं लेता आप देना चाहते हैं तो जूतों के पॉलिश करवाइये, यह कह कर वे आगे बढ़ने लगे। मैं अपने जीवन में उतना शर्मिन्दा शायद ही कभी हुआ होऊंगा। फिर मैने उन्हें रोक कर जूतों के पॉलिश करवाई।
एक विकलांग हो कर उन्होने भीख स्वीकार नहीं की और हम आए दिन हट्टे कट्टे और मुसंटडों को भीख देते रहते हैं। यह सही नहीं है।
क्या हमीं ने उन्हें जवानी में भीख दे कर भिखारी बनाया था!
यह वाक्य इस तरह पढ़ें
क्या हमीं ने उन्हें जवानी में भीख दे कर भिखारी नहीं बनाया था?
आपको गोवर्धन व अन्नकूट पर्व की हार्दिक मंगल कामनाएं,
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मुस्कुरा कर बात करना बहुत महत्वपूर्ण है. सहमत.
10 साल से अगर वह आपके साथ बच्चों को देखती आई है तो निश्चय ही यह भी एक संबंध है भले ही इसके लिए शब्द न हों…
भिखारी बिना कमाकर खाने वाले इन्सान है।
If we all start thinking in this way, there will remain no problems in the world. None will die in poverty because of hunger and sickness. This is what every religion tries to say to people but……………….
nice post…humanity to kisi mein bhi ho sakti hai…fir chahe vo beggar ho ya koi aur..
सभी पाठक मित्रोंको सादर प्रणाम,
सभी देवियों और सज्जनों जब आप आंतरजाल पर घुमते है या फिर किसी ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया देते है क्या उसके बदले में आपको पैसे मिलते है ?
मुझे मिलते है, मै मजाक नहीं कर रहा दोस्तों आप भी आंतरजाल पर घुमते वक्त पैसे कम सकते है.
मैंने मेरे ब्लॉग पर सारी जानकारी दि है. कृपया एक बार तकलीफ उठाकर देखिएगा जरूर.
मेरे ब्लॉग का पता
http://www.moneyprakash.co.cc
आपका अपना मनी प्रकाश.
( आपके इस खुबसूरत ब्लॉग पर मेरे इस कोमेंट को स्थान देने केलिये ब्लॉग के मालिक के हम बेहद शुक्रगुज़ार है )
wow nice one thank you for sharing.