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नया साल, नये सपने??

जनवरी एक को हमारे प्रार्थना समाज में सर्वदेशीय उन्नति एवं प्रगति के लिये हम एकत्रित हुए तो एक सज्जन ने एक दिलचस्प बात कही. वे बोले कि हर नये साल वे कुछ न कुछ निर्णय जरूर लेते हैं, लेकिन कभी भी उन निर्णयों का पालन नहीं कर पाते. इस कारण उन्होंने तय किया है कि इस साल वे किसी भी…

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एक पति, एक सौ पत्नियां!

आज एक पत्रिका पढ रहा था तो एक बात बडी खटक गई. लेख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के बारे में था. लेखक का कहना था कि प्रधान-मंत्री से बडी उम्मीदें थीं, लेकिन वे यह नहीं कर पाये या वह नहीं कर पाये. पढ कर बडा विचित्र लगा. आप न वह प्रतियोगिता देखी होगी जिसमें आदमी को कमर तक एक बोरी…

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फलों से डर लगता है!

प्रभु की दया से हम सब लगभग सामान्य लोग हैं। किसी तरह की विकलांगता का अनुभव नहीं करते है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि समाज का एक बहुत बडा तबका जो पूर्ण रूप से सामान्य नहीं है उनकी बडी उपेक्षा होती है। मैं ने इस बात को पिछले तीन महीनों में अच्छी तरह महसूस किया है। तीन महीने…

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गूगल विज्ञापन और हिंदी चिट्ठे

आज एक मित्र का ईपत्र आया कि उन्होंने गूगल एडसेंस के लिए अप्लाई किया लेकिन गूगल ने उसे निरस्त कर दिया. गूगल के पत्र में उन्होंने कहा है कि वे हिंदी चिट्ठों के लिए विज्ञापन स्वीकार नहीं करते. मित्र जाना चाहते थे कि ऐसा क्यों हुआ जबकि एक साला पहले गूगल हिंदी चिट्ठों को स्वीकार करता था. दोस्तों, आदमी का…

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दुर्घटना: कौन जिम्मेदार है?

मेरे घर के पास ही है राजमार्ग 47, जिस पर हर महीने मैं 1000 से 3000 किलोमीटर की सफारी करता हूँ. अधिकतर अपनी कार में, लेकिन कई बार गैरों की गाडी में. एक औसत यात्रा 100 से 400 किलोमीटर की होती है. 4-लेन के इस राजमार्ग पर यात्रा सामान्यतया सुखद होती है, लेकिन एक चीज मन को दुखी करती है…

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मसिजीवी का एक प्रश्न!

मेरे पिछले आलेख पाबला जी से हुआ अपराध बहुत बडा? पर काफी सार्थक टिप्पणियां आई हैं जिनके लिये मैं अपने चिट्ठामित्रों का आभारी हूँ. इन में से एक टिप्पणी पर जरूर कुछ कहना चाहूँगा जो मेरे मित्र मसिजीवी से मिली है. (मसिजीवी) चर्चा के लिए अनंत विकल्‍प थे फिर चिट्ठाचर्चा ही क्‍यों ? उत्‍तर मुश्किल नहीं है उनकी ओर से…

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पाबला जी से हुआ अपराध बहुत बडा?

आज एक लंबे अरसे के बाद चिट्ठाजगत में वापस आया तो लगा कि घमासान अभी भी खतम नहीं हुआ है. कल कोई विषय था आज कुछ और है. इन में सब से आखिर में दिखाई दिया पाबला जी के विरुद्ध हो रहा घमासान जिस में उनको “बागी” (साईबर स्क्वेटर) घोषित कर दिया गया है. पाबला-विरोधी “मित्र”  जम कर पाबला-विरोधियों का…

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लव जिहाद: क्या बला है यह?

पिछले दिनोँ सुरेश चिपलूनकर ने इशारा किया था कि केरल मेँ एक नये प्रकार का जिहाद चल रहा है. समयाभाव के कारण अभी तक इस विषय पर लिख नहीँ पाया था. जैसा मैँ ने अपने आलेखोँ (केरल में धार्मिक संघर्ष !!, केरल में मुस्लिम-ईसाई संघर्ष??) में कहा था, धार्मिक मामलों में केरल हिन्दुस्तान का सबसे सहिष्णू प्रदेश है. इस सहिष्णुता…

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धर्म का विकृत रूप !!

मेरे पिताजी (उम्र 80 साल) आजकल प्रोस्ट्रेट-ग्लेंड की शल्यक्रिया के लिये अस्पताल में भरती हैं. शुक्रवार को उनकी तबियत अचानक बिगड गई और सारा दिन मैं ने उनके साथ बिताया. बगल में एक मस्जिद में दिन भर भाषणबाजी चलती रही और पिताजी एक क्षण भी आराम नहीं कर सके. कारण यह था कि मस्जिद के ऊपर भोंपू-लाऊडस्पीकर लगा था, और…

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मना मत करो??

पिछले हफ्ते मैं युवा परिवारों के लिये आयोजित एक कांफेरेंस में गया हुआ था. वहां कई सामाजिक समस्याओं पर मैं ने लेक्चर दिये, और लोगों ने उन विषयों को बहुत पसंद किया. आखिरी दिन चर्चा के अवसर पर एक महिला ने कहा, “शास्त्री जी, आप ने कई मामलों में निषेध का अनुमोदन किया है. लेकिन जब हम किसी भी व्यक्ति…

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