Opera 9.2 की हिन्दी के बारें में चिट्ठाजगत में कई टिप्पणियां पढीं. यदि यह हिन्दी हिन्दुस्तानियों की देन है तो हमें शर्म से सर झुका लेना चाहिये. कुछ उदाहरण देखिये: (http://in.opera.com/)
मात्रा/प्रयोग की गलतियां
संपुर्ण
व्यापारीयोँ
समुह
एवँम
अधिभरण/अधीभरण
यह किस शब्दकोश में मिलता है ?
सबंधीय
उपकरणें
इनका मतलब क्या है:
*** ओपेरा व्यवहार सबंधीय सुझाव एँव चालाकियोँ जानने के लिये ओपेरा समुह से मिलेँ.
*** उपकरणोँ के लिये ओपेरा 9 जो विख्यात ओपेरा ङेस्कटॉप ब्राउजर में व्यवहृत अभ्यतंर कल पर आधारित है उपकरणोँ के विकास को गतीवर्धित करता है एवँम सर्वोच्च इटंरनेट अनुभव के लिये निश्चित करता है
क्या बात है कि हिन्दी को इतनी बेदर्दी से खण्डित किया जा रहा है लेकिन हमारे दिल में कोई दर्द नहीं हो रहा है. जिस देश की राजभाषा हिन्दी है, एवं जहां यह करोडों लोगों की मातृभाषा है, वहां अनुवाद करते समय उन भारतीयों को क्या एक भी व्यक्ति नहीं मिला जो हिन्दी की अ, आ, इ, ई जानता हो. हिन्दी को क्यों एक जोकर की वेशभूषा में प्रस्तुत किया जा रहा है?
आप मलयालम या तमिल को इस तरह खण्डित कीजिये तब पता चलेगा मजा. किसी भी स्वाभिमानी हिन्दी भाषी के लिये यह शर्म की बात है. राजभाषा को राजभाषा का आदर नहीं मिलेगा तो हम अपने ही देश में फिर से गुलाम हो जायेंगे.
— शास्त्री जे सी फिलिप
सारथी जी, आप अन्यथा न लें. आप हिन्दी एंथूजियास्ट हैं. हिन्दी अभी इंटरनेट पर शुरू ही हुयी है. अंट-शन्ट/गलत-सलत जैसी हो आने दीजिये. अच्छी/खराब हिन्दी के झगड़ेमें न पड़िये. हां हिन्दी में कोई अश्लील लिखता हो – उसकी मजम्मत की जाये. पर अभी जो ककहरा सीख रहा हो – उसे झट से पारंगत बनाने के फेर में पड़ने पर हमारे जैसे, जिनके पास दूसरी भाषा के विकल्प हैं – उठ कर चल देंगे.
हिन्दी ऐसी नहीं कि वर्तनी की अशुद्धि से स्वाभिमान आहत हो जाये. अभी तो एक ब्राउजर से दूसरे में जाते ही कीड़े-मकौड़े दीखने लगते हैं. मात्रा आगे वाले की बजाय पीछेवाले अक्षर पर आ जाती है.
पर आप अपना मंतव्य मानने को स्वतंत्र हैं. आप निश्चय ही हिन्दी की बड़ी सेवा में लगे हैं और आपका उत्साह अनुकरणीय है.
@ज्ञानदत्त पाण्डेय
प्रिय ज्ञानदत्त जी, आप मेरी एक छोटी से समस्या का समाधान कर दें तो मैं शांत हो जाऊगा: सवाल यह है कि भाषा की शुद्दि एवं सरलता का इन्टरनेट की आयु से क्या सम्बन्ध है ????