इस्पीक इंगलिस !

श्रीमती टीमटाम को गम था कि
कभी न पढी अंग्रेजी.
कसक निकाली बचुवा को
भेज के स्कूल अंग्रेजी में.

अब बचुवा का रोज देख
कंठ लंगोट,
टीमटाम देवी समझे अपने को मेम.
इंगरेजी सब्द सीखे देवी ने
बचुवा से,
फिर सीखा उनको जोडना.

भिखारी आया द्वारे पें,
तो लगा कि मौका अच्छा
अभ्यास का.

बोलना था उससे कि
“बोलें
हम सिर्फ अंग्रेजी में”.
बोल दिया,
“वी बेगर्स
इस्पीक ओनली इंगलिस”

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Author: Super_Admin

7 thoughts on “इस्पीक इंगलिस !

  1. इसी तरह हीन भावना से ग्रस्त एक महिला ने अपने पड़ोस मे रहने वाले मास्टर साहब से अंगरेजी पढ़ना शुरू किया। एक दिन मियाँ घर आये तो मेम साहिबा घर में नहीं मिलीं। थोड़ी देर बाद घर आयीं तो पति ने पूछा, “कहां चली गयी थी बिना बताये?” महिला ने कहा, “मास्टर साहब से अंगरेजी करप्शन कराने चली गयी थी!”

  2. जब तक हमारे मन में राजभाषा के प्रति हीनभावना रहेगी, तब तक हम सही प्रगति नहीं कर पायेंगे!

  3. सुन्दर व्यंग्य है। रमई काका की एक कविता याद आगई:

    या छीछाल्यादरि द्याखौ तो
    लरिकौना बी ए पास किहिस
    पुतऊ का बैर ककहरा ते

    लरिकऊ चले अस्नान करैं
    तब साबुन का उन सोप कहा
    बहुरेवा लै कै सूप चली
    या छीछाल्यादरि…

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