जालस्थलों के लुटेरे? जी हां, मेरे जालस्थल दो बार अमरीकी जाल-डाकू लूट चुके हैं. जो मेरी मिल्कियत थी वह क्षण भर में उनकी हो गई, एवं वापसी के लिये दोनों बार उन्होंने एक बहुत बडी फिरौती मांगी. राशी इतनी बडी थी कि मैं वह फिरौती न दे सका, और मुझे अपने दोनों जालस्थल खोने पडे.
यह आपके साथ भी हो सकता है — यदि आप सावधानी न बरतें. यह बहुत कम चिट्ठाकर एवं जालस्वामी लोग जानते हैं कि यदि उनके पास अपने खुद का डोमेन हो तो उसके ऊपर बहुतों की नजर हो सकती है, एवं मौका मिलने पर वे इसे आप से छिना लेंगे. उदाहरण सहित पेश है सम्बन्धित जानकारी.
यदि आपके जालस्थल/डोमेन में निम्नलिखित बातों में से एक या अधिक बातें हों तो आपका जालस्थल लूट का लक्ष्य बन सकता है:
1. आपका जालस्थल लूट का लक्ष्य बन सकता है: यदि आपका Com, Org या Net डोमेन किसी प्रसिद्ध कम्पनी, संस्था, विद्यालय, या व्यापार प्रतिष्टान के लिये उपयोगी एवं आकर्षक हो. उदाहरण के लिये मेरा पहला डोमेन जो लुट गया वह था, CalvinSchool.Com एवं उस पर “बिकाऊ है” लगा हुआ है. चूंकि केल्विन पाश्चात्य राज्यों मे बहुत प्रसिद्ध नाम है, एवं चूंकि केल्विन स्कूल नामक सैकडों छोटे बडे विद्यालय एवं संस्थान हैं, मेरे डोमेन को प्राप्त करने में उनकी रुचि बहुत थी. (मैं उस समय जाल-नौसीखिया था, एवं इस बात को नहीं जानता था). जालस्थल मैं ऐसे कई “भूमिहर” हैं जो इस तरह के आकर्षक डोमेनों को हडप कर ऐसे लोगों को बेच देते है. कई बार खरीददार जानता है कि यह हडपी हुई सम्पत्ति है, लेकिन अधिकतर मामलों में जाल-डाकू अपने पेशे को रहस्य रखते है, एवं खरीददार उनके द्वारा की गई हडपलूट आदि के बारें में अज्ञान होता है.
2. आपका जालस्थल लूट का लक्ष्य बन सकता है: यदि आपका Com, Org या Net डोमेन प्रति दिन सैकडों पाठकों को आकर्षित करता है. यदि प्रतिदिन संख्या हजारों में है तो खतरा ही खतरा है. सम्भावना इस बात की है कि आपकी असावधानी का लाभ उठा कर अश्लील चित्रों के जालव्यापारी आपका जालस्थल लूट लेंगे. कारण यह है कि वे हजारों पाठक जो इस जालस्थल पर आने के आदी हैं, वे इन लोगों को एक बंधीबंधाई भीड प्रदान करते है. उन नये मालिकों को हमेशा इस बात की उम्मीद रहती है कि इनमें से कम से कम कुछ उनके व्यभिचार-व्यापार के ग्राहक बन जायेंगे.
3. आपका जालस्थल लूट का लक्ष्य बन सकता है: ऊपर से यदि आपके डोमेन का नाम यदि बहुत आकर्षक है, या किसी प्रसिद्ध डोमेन से मिलताजुलता है तो खतरा कई गुना हो जाता है क्योंकि इस तरह के जालस्थलों को अपने आप काफी पाठक मिल जाते है. उदाहण के लिये, किसी प्रसिद्ध खिलाडी या अभिनेता का नाम सोच लीजिये. उनके प्रशंसक अपने आप उनके नाम के Com, Org या Net डोमेन तलाश करेंगे. अत: जाल डाकुओं के लिये यह बहुत आकर्षक है. [शेष आगले लेखों में]
— शास्त्री जे सी फिलिप
आदरणीय शास्त्री जी;
क्या आप विस्तार में बतायेंगे कि आपका डोमेन CalvinSchool.Com आपके हाथ से कैसे निकल गया? जालस्थलों के लुटेरों की कार्यप्राणाली क्या थी?
ये तो बहुत गंभीर बात है। क्या इस बारे में विस्तार से जानकारी देने का कष्ट करेंगे
“आदरणीय शास्त्री जी;क्या आप विस्तार में बतायेंगे कि आपका डोमेन CalvinSchool.Com आपके हाथ से कैसे निकल गया? जालस्थलों के लुटेरों की कार्यप्राणाली क्या थी?”
“ये तो बहुत गंभीर बात है। क्या इस बारे में विस्तार से जानकारी देने का कष्ट करेंगे”
मित्रों, इस लेखन परम्परा में मैं इस विषय पर पूरी जानकारी दूंगा. कुछ हिस्से सचित्र भी होंगे — — शास्त्री जे सी फिलिप
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी शास्त्री जी, अगली कड़ी का इंतजार है।
नई जानकारी, अगली कड़ी का इंतजार।
हम्म!! ध्यान देने योग्य.आपका साधुवाद सचेतने के लिये. आगे इंतजार है.
मुझे भी इस जानकारी का इंतजार है.
अभी भी Domain name registration पर एकाधिकार अमेरिका का ही है। अतः बिना उनके चाहे कोई नया वेबसाइट नहीं खुल सकता, किसी भी वेबसाइट को लॉक, अपहुँचनीय, रद्द भी किया जा सकता है। आखिर वीटो शक्ति तो हाथ में रखनी ही है ना…
कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जिनसे आपके वेबसाइट की सामग्री को कोई कॉपी नहीं कर सकता, टेक्स्ट सेलेक्ट तक नहीं होगी, Save, Save as, Print आदि बटन भी dimmed रहेंगे। अपने चिट्ठे को सार्वजनिक न करके पासवर्ड धारी लोगों को ही पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है।
आपने यदि अपने वेबसाइट का पंजीकरण शुल्क, वार्षिक शुल्क, Domain Space शुल्क विधिवत् भुगतान किया है, रसीद सहित तो आप अन्तर्राष्ट्रीय अदालत में दावा कर करोड़ों की क्षतिपूर्ति भी पा सकते हैं। यदि कहीं चूक हुई होगी, तभी आपका नाम छिन गया होगा।
@हरिराम
चूक हुई थी, पर मुझसे नहीं. इसके बारें में लोगों को सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवान इस परम्परा का लक्ष्य है — — शास्त्री जे सी फिलिप