अपने चिट्ठे को लुटेरों से बचाने के पहले आप को इसे “खोने” से बचाने का तरीका आना चाहिये. चिट्ठा/जालस्थल कम से कम तीन तरह से खोया जा सकता है. पहला है आकस्मिक एवं अनजान कारणों से खण्डित होने के द्वारा. यह कई कारणों से हो सकता है, जिसमें से मुख्य है आपका जालस्थल जिस सर्वर पर है उसमें अचानक खराबी आ जाना.
हर अच्छी सर्वर कम्पनी हर 24 घंटे मे कम से कम एक बार अपने सर्वरों पर स्थित जानकारी की एक प्रतिलिपि बना कर सुरक्षित स्थान पर या एक समानांतर/सुरक्षित संगणक पर संचित करके रख देती है. किसी कारण से मुख्य सर्वर पर कोई परेशानी हो जाये एवं जानकारी नष्ट हो जाये तो उस सुरक्षित प्रति की सहायता से अधिकतम जानकारी को वापस पा लिया जाता है. लेकिन इन सावधानियों के बावजूद आपका जाल पूरी तरह से नष्ट हो सकता है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है दुनियां की सबसे अमीर जाल कम्पनियों मे से एक www.Netscape.Com के साथ जो घटना अभी हाल में ही घटी थी.
दुनियां के सबसे अच्छे खोज यंत्रों मे से एक है www.Dmoz.org यह www.Netscape.Com कि सम्पत्ति है, एवं इसको लगभग 75,000 अवैतनिक सम्पादक संचालित करते हैं. इसमें 590,000 विभागों या श्रेणियों मे करोडों जालस्थलों की सूचना है, जिसे मशीनों के बजाय इन 75,000 सम्पादकों ने जोडा है. मैं भी एक अवैतनिक सम्पादक हूं, अत: घटना मेरी आखों देखी है. यह चूकि एक बहुत बडी कम्पनी है, अत: हर चीज को अतिरिक्त सरक्षा प्राप्त है. इन सब के बावजूद दिसम्बर 2006 को अचानक इन 75,000 सम्पादकों के उपयोग की सारी जानकारी, उनका नाम, तमाम तरह की सूचियां, एवं आंकडे जो दो अलग अलग सर्वरों पर थे, खण्डित हो गये. जानकारी की जो सुरक्षित प्रति थी वह भी नष्ट हो गई. सारा काम छ: महीने तक अटका रहा. सैकडों वरिष्ठ सम्पादकों एवं प्रोग्रामरों की एक टोली के छ: महीने के अथक प्रयास के बाद ही काम फिर से चालू हो सका, लेकिन काफी सारी जानकारी हमेशा के लिये नष्ट हो गई.
आप के जालस्थल चिट्ठे के साथ भी यह हो सकता है. इसका एक मात्र हल यह है कि आप नियमित रूप से इसकी प्रति बनाकर सुरक्षित रखें. इसके लिये अलग अलग जालस्थलों एवं चिट्ठों पर अलग अलग तरीका है. यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस तरीके को ढूढ कर नियमित रूप से अपने जालाजानकरी को सुरक्षित करें.
आज से लगभग छ: महीने पहले मेरा एक महत्वपूर्ण जालस्थल मेरे एक क्षण की लापरवाही के कारण नष्ट हो गया. मैं नींद में काम कर रहा था, एवं अपने सर्वर के डेटाबेस पर एक गलत खटका दबा दिया. एक सेंकंड में सब कुछ मिट गया. लेकिन चूकि मैं नियमित रूप से इसकी एक प्रति बनाता था, उस कारण अगले 6 घंटे में मेरा जालस्थल फिर से वापस अपनी जगह आ गया.
अपने जालस्थल/चिट्ठे का बैकप नियमित रूप से बनाने की आदत डाल लीजिये. नहीं तो पता चलेगा कि बिना किसी जालडकैत के ही “विधि” ने आपके जालस्थल/चिट्ठे को मटियामेट कर दिया है [क्रमश: … ] — शास्त्री जे सी फिलिप
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मुझे एक बात समझ नहीं आई कि वेबसाइट की फाईलें, डाटाबेस आदि नष्ट होने से उसको कोई लूट कैसे लेगा, आप उसको “खो” कैसे देंगे?
अमित, अभी शायद शास्त्री जी इस शृंखला मे परिचय की कड़ियाँ दे रहे हैं और ये लेख प्रमुख ध्येय (शीर्षक)से भटका हुआ प्रतीत होता है।
यदि आपने मेरा पहला वाक्य ध्यान से पढा होता तो उत्तर मिल जाता:
“अपने चिट्ठे को लुटेरों से बचाने के पहले आप को इसे “खोने” से बचाने का तरीका आना चाहिये”
शास्त्री जी बहुत-बहुत शुक्रिया महत्वपूर्ण जानकारी के लिये…
मुझे तो इस बात की बिलकुल भी जानकारी नही थी,आपने बता कर अच्छा किया…
सुनीता(शानू)
आहा, गलती स्वीकारता हूँ शास्त्री जी। 🙂
प्रिय अमित
सामूहिक स्वीकारोक्ति की कोई आवश्यक्ता नहीं थी, लेकिन यह टिप्पणी आपकी विशालमनस्कता को प्रदर्शित करती है.
zrya ti tak
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