हिन्दी में एक से एक चिंतक हैं, लेकिन वे अंग्रेजी के चितकों के तुल्य बडी संख्या मे लोगो को प्रभावित नहीं कर पाते. कारण हिन्दी माध्यमों की सीमित आय एवं सीमित पहुंच है. सारथी का प्रयत्न है कि चुने हुए चिंतनीय लेखों की तरफ कुछ और लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाए. आखिरकार बूंद बूंद से भी तो घट भर सकता है!!
*** मैं सोचता हूँ कि सब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में मिलनी चाहिये जिससे उनके व्यक्तित्व का सही विकास हो सके. इसका यह अर्थ नहीं कि प्राथमिक शिक्षा में अँग्रेजी न पढ़ाई जाये, पर प्राथमिक शिक्षा अँग्रेजी माध्यम से देना मेरे विचार में गलती है. वैसे भी भारतीय शिक्षा परिणाली समझ, मौलिक सोच और सृजनता की बजाय रट्टा लगाने, याद करने पर अधिक जोर देती है. प्राथमिक शक्षा को अँग्रेजी माध्यम में देने से इसी रट्टा लगाओ प्रवृति को ही बल मिलता है. [पूरा लेख पढें …]
*** केवल विचारों की वेश्यावृत्ति से समाज नहीं बदला करते, केवल किताबें पढने से समाज नहीं बदला करते। समाज में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए जरूरी है अपने सिद्धांतों को व्यवहार में उतारना। जिस समाज के लिए आप चिंतित हैं उसे बदलने का प्रयास करना, नहीं तो सारे वाद-विवाद व्यर्थ हैं। और हर संवेदनशील व्यक्ति को इस काम के लिए आगे आना चाहिए। [पूरा लेख पढें …]
*** पता नही क्यो आज विकास कि बात करते वक्त बड़ी कम्पनियों को पूंजी निवेश करने के लिये आमंत्रित करना ही आख़िरी उपाये क्यो समझा जता है। इन कम्पनियों मे क्या ये गरीब आदिवासी CEO बन कर हिस्सेदारी करेंगे क्या? [पूरा लेख पढें …]
*** मेरे हिसाब से तो फिल्म का नाम “लाइफ इन अ मेट्रो” ना होकर “लव इन अ मेट्रो” या फिर “लस्ट इन अ मेट्रो” होता तो ज्यादा सार्थक होता. बहरहाल फिल्म के अंत में निर्देशक बॉलीवुड मसाला फिल्मों के छोंक लगाने से बच नहीं पाया, और फिल्म बे स्वाद खिचडी बनकर रह गई. [पूरा लेख पढें …]
*** कल तक सचिन को लोग सचिन के नाम से ही जानते थे। उसका कोई पुकारू नाम भी नहीं था। आज सचिन स्वयं लोगों को अपना ‘जॉन केली’ बताता है। [पूरा लेख पढें …]
बढ़िया है सारथी अवलोकन!!
सुन्दर संकलन.
कुछ लेख छूट गए थे…..आपने रास्ता दिखा दिया। धन्यवाद।
टिप्पणी के लिये धन्यवाद मित्रों. बहुत जल्दी ही हम सन्दर्भ सहित व्यख्या भी देने लगेंगे.
सारथी जी,
आज अचानक आपके इस पृष्ठ पा आया कि आपने मेरी एक पोस्ट को भी चुने हुए लेखों में स्थान दिया है, अच्छा लगा। धन्यवाद