1960 आदि में हमारे हिन्दी अध्यापक हमें डंडा (स्केल) मार मार कर सिखाते थे. हिन्दी उनका प्रेम था, सखि थी, साधना थी. वे हमको स्टूल पर खडा करते थे, हाथ ऊपर करके खडा करते थे, विकट परिस्थितियों में मुर्गा भी बना देते थे. उनसे हमारा सम्बन्ध स्नेह-नफरत का था. कौन अपने मुर्गा-चालक से स्नेह ही स्नेह कर सकता है. लेकिन इन अध्यापकों ने हमारी जिंदगी बना दी, हमें जीवनदान दिया. यदि हिम्मत के साथ हिन्दी के चार वाक्य बोल पाते हैं तो यह उनकी देन है, वरदान है.
शब्दों के सही प्रयोग पर वे लोग बहुत जोर देते थे. शब्द में जीवन है, यदि वे आपके नियंत्रण में है तो. नहीं तो अनजाने ही वे कातिल बन जाते हैं. इस शृंखला में प्रस्तुत है कुछ आम शब्द एव उनके सहीगलत प्रयोग के बारे में जानकारी. इनमें से अधिकतर को मैं ने हिन्दी चिट्ठों से लिया है.
गलत उच्चारण/रचना | सही शब्द |
अधीन | आधीन |
अजमाइश | आजमाइश |
अवश्यक्ता | आवश्यक्ता |
अहार | आहार |
तत्कालिक | तात्कालिक |
नदान | नादान |
बजार | बाजार |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
पद्य विधा में लेखकों को काफी आजादी रहती है, एवं यह जानकारी सिर्फ गद्य से सम्बन्ध रखती है. यदि इन लेखों में कोई गलती हो जाती है (संगणक पर मात्रायें अकसर गडबडा जाती हैं) तो स्नेही पाठकगण टिप्पणी द्वारा उसे सुधार दें. मैं आभारी हूंगा — शास्त्री जे सी फिलिप
अच्छा लेख है। मेरे ख़्याल से “आवश्यक्ता” भी ग़लत है। इसकी जगह “आवश्यकता” होना चाहिए।