आज अचानक http://www.esnips.com/web/hindisahitya नामक जालस्थल पर गया तो हिन्दी की बहुत सारी ईपुस्तकें दिखीं. कुछ को अपने संगणक पर उतार कर देखा तो किसी पर भी कॉपीरईट की सूचना नहीं है. यह बहुत ताज्जुब की बात है. जालस्वामी का अतापता भी कम से कम मुझे नहीं दिखा.
मेरी जानकारी के अनुसार हरिवंशराय बच्चन की किताबें अभी स्वतंत्र कापीराईट (Public Domain) में नहीं आई हैं. हिन्दुस्तान में लेखक की मृत्यु के 75 साल बाद उसकी रचना स्वतंत्र कापीराईट के अंतर्गत आता है.
प्रथम दृष्ट्या ऐसा लगता है कि यह जालस्थल भारत के बाहर किसी पंजीकारक के द्वारा पंजीकृत हुआ है:
लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि कोई हिन्दुस्तानी यह काम कर रहा है जिससे उसे विज्ञापन के द्वारा आय हो सके. कुछ भी हो, बिना कॉपीराईट सूचना के किसी भी तरह के साहित्य का वितरण संशय पैदा करता है.
मित्रगण कृपया जाचें एवं अपनी राय यहां पर रेखाकित करें — शास्त्री जे सी फिलिप
चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: सारथी-अवलोकन, सारथी, हिन्दी-ईपुस्तकें, प्रतिलिपि-अधिकार, कॉपीराईट,
यह संग्रहण हमारे बीच के ही एक चिट्ठाकार बंधु भुवनेश शर्मा जी ने किया है. और समाज सेवार्थ किया है. परंतु उनका ध्येय विज्ञापनों से आय का नहीं है. जो विज्ञापन वहाँ लगे हैं वो ई-स्निप का है.
विवरण यहाँ पर है –
http://rachanakar.blogspot.com/2007/02/hindi-sahitya-e-book.html
आपकी यह बात भी सही है कि कॉपीराइट मुक्त साहित्य को यहाँ इस तरह नहीं रखा जाना चाहिए.
ई-स्निप पर मैंने भी रचनाकार के कुछ साहित्य को पीडीएफ़ ई-बुक में रखा है, परंतु लेखकों की सहमति से.
ऊपर मुक्त को युक्त पढ़ें 🙂
रवि जी
सवाल यह है कि ये पीडीएफ किस तरह के कॉपीराईट के अंतर्गत यहां बांटे जा रहे हैं. पीडीएफ में इसका उल्लेख नहीं है. इस जानकारी को जोडने के लिये आप कुछ कर सकते हैं क्या. नहीं तो हिन्दी प्रेमियों के लिये इसके काफी बुरे परिणाम हो सकते हैं. हिन्दी जगत के कार्यकर्ताओं को शुरू से ही हर काम कानून-सम्मत तरीके से करना होगा.
ये यदि कॉपीराईट युक्त हैं — जैसा आप ने कहा है — तो बिना लिखित अनुमति के इनको बांटना एवं इनको उतार कर अपने संगणक पर रखना, दोनों अपराध है.
शास्त्री जी,
आपने सही तरीके का उल्लेख किया है…
कॉपीराइट के संदर्भ में ऐसी सावधानी बरतनी चाहिए…।
शास्त्री जी आपने सही मुद्दा उठाया है, कानूनन रुप से कॉपीराइट युक्त साहित्य को इस तरह रखना अनुचित होगा।
वैसे जहाँ तक मैं समझता हूँ इस तरह की सामग्री को खुद होस्ट नहीं करना चाहिए। यदि अन्यत्र होस्ट हो तो उसे लिंक करने में कानूनन अड़चन नहीं।