प्रस्तुत है पांच चुने हुए उद्धरण जो आपको मानसिक रूप से झकझोरने एवं पुष्ट करने वाले पांच लेखों की ओर ले जायेंगे. यदि ये लेख आपको अच्छे लगे तो लेखको को धन्यवाद देना न भूलें. यह भी जरूर बता दें कि सारथी के वाहन पर आप वहां पर पहुंचे!
*** भारत का हित चाहने वाले और उसकी एकता और अखंडता को बनाए रखने वाले लोग ये समझते रहे हैं कि विभिन्नता के बावजूद भी भारत की राजभाषा हिंदी ही हो सकती है। यह सिर्फ़ भावुकता से कही गयी बात नहीं है, बल्कि ठोस आधार पर कही गयी बात है। [पूरा लेख पढें …]
*** आचरण कानूनी तौर पर गलत हो सकता है और अपराध भी, पर इन पर इन दोनों में अंतर है। यदि कोई आचरण, कानून के विरूद्घ है तो वह कानूनी तौर पर गलत आचरण है। सारे कानूनी तौर पर गलत आचरण के लिये सजा नहीं है और जिनके लिये है वे अपराध या फिर जुर्म कहलाते हैं। अर्थात हर अपराध, कानूनी तौर पर गलत आचरण होता है पर हर गलत आचरण अपराध नहीं होता है। [पूरा लेख पढें …]
*** नमस्ते या अन्य अभिवादन के शब्दों की जगह हाय और हैलो हो गये हैं। बच्चे को पॉटी और शुशू आता है। मम्मी ( दादी-अम्मा, चाची-ताई, बुआ, मौसी, मौसा और फूफा तो अनपढ़ बोलते हैं) ब्रेकफास्ट बनाती है। अंक तो हिंदी में ज़ाहिल बोलते हैं। क्या यही है हिंदी का उत्थान? [पूरा लेख पढें …]
*** यदि जीवन ऊर्जा को अनुकूल सृजनकारी दिशा नहीं मिल पाती है तो वह भूख, नींद और वासना की गिरफ्त में फँस कर रह जाती है और आत्मा को आजीवन दु:ख, भय और विफलता से संतप्त करती रहती है। [पूरा लेख पढें …]
*** हम तो ऐसा समाज चाहते हैं जो मानव के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करे, जिसमें हर किसी को अपने व्यक्तित्व के स्वतंत्र विकास का अधिकार हो, जिसमें हर कोई अपनी सृजनात्मक क्षमता का अधिकतम संभव विकास कर सके और एक लोकतांत्रिक समाज के हित में अपनी क्षमता के अनुरूप हरसंभव योगदान दे सके। [पूरा लेख पढें …]
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चुनिंदा उद्धरण-आभार.