इस जालचोरी के पीछे क्या है राज ??

(मेक्स-प्रेस — निचोड भईया निचोड) आज अंतर्जाल पर एक बहुत नवीन, परिष्कृत, किस्म की चोरी देखी जहा “आप परिश्रम करें, हम मुद्रायें सूतते जाये” के सिद्दांत से एक जालपटु व्यक्ति ने काम किया है. इन सज्जन का जालस्थल है http://hubpages.com/profile/maxpress एवं छद्मनाम है मेक्स-प्रेस. यह विधि का विधान है कि जो व्यक्ति दूसरों की मेहनत को निचोड कर पीता है उसके लिये यह बहुत ही सटीक नाम है (मेक्स-प्रेस = अधिकतम निचोड).

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चिट्ठाजगत में चिरपरिचित रचनाकार रचना सिंह पर इनकी विशेष नजर है क्योंकि उनकी लगभग सभी कवितायें इन्होंने अपने नाम से पुन: इस जालस्थल पर चला दिया है. रचना को भी नहीं मालूम था कि वे इतना कुछ लिख चुकी हैं.

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यदि चित्र 2 को ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि रचना की जो कवितायें इन सज्जन ने “उठा” ली हैं उन कविताओं ने इन “सज्जन” को रचना से भी अधिक प्रसिद्दि दिला दी है. इसे देखते ही मन में आया कि “चोरी तेरा काम बडा प्यारा, मै तो गया मारा”. बेचारी रचना वह क्या जाने अपने कविता की कीमत!

चोरी ऐसे ही चलती रही तो कई तर जायेंगे रचना की रचनाओं की कीमत पर!! अब नीचे दिया चित्र देखें. पहला इन मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) के नाम से छपी है. दूसरी है असली कविता जिसकी रचनाकार हैं रचना सिंह!

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मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) ने चोरी की है, लेकिन आदमी है कद्रदान. रचना जी शायद इस “जालमित्र” को आजीवन न भूल पायें जो उनकी रचनाओं का ऐसा कद्रदान निकला कि चुपक चुपके ही उनको प्रसिद्धि (इस लेख में ही देखिये रचना सिंह का नाम कितनी बार इस कारण आया है) एवं अपने आप को नगद नारायण दिलवा दिया.

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लेकिन इस व्यक्ति की कृपा “दृष्टि” सिर्फ रचना सिंह तक सीमित नहीं है. ऊपर दिये गये 2 चित्रों में मूल एवं इनके द्वारा “उठाया” गया चित्र आप देख सकते हैं. इसी तरह की एक कारस्तानी आप नीचे भी देख सकते है. पहला चित्र असल चीज को दिखाता है एवं दूसरा मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) की कारस्तानी है.

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मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) इतने सफल हैं कि गूगल में वे मूल लेखक से कोसों आगे निकल गये हैं असल चिट्ठाकार युवराज विजय को पीछे धकेल दिया है . नीचे दिये गये चित्र देखिये:

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अब इसका राज और बता देते है: मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) के जालस्थल का कोना कोना विज्ञापनों से भरा है. वे जानते हैं कि लोग बेवकूफ है. वे फ्रीफंड में लिखते हैं, दूसरी ओर मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) जैसे बुद्धिमान “कलाकार” पैसे सूतते है़. आपराधिक कार्य हुआ तो क्या हुआ, जेबखर्च तो निकला. नीचे का चित्र देखिए:

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मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) के जाल स्थल की सूची के दो पन्ने में ही चिट्ठाजगत के तीन रचनाकरों से की गई चोरी का प्रमाण मिल गया है. बाकी लेखक अपने आप देख लें. आप लोग पधारेंगे तो मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) को कुछ ट्रेफिक और मिल जायगा — जैसे दीपक बुझने से पहले एक तम भडभडाता है. इतना ही नहीं जम कर अंग्रेजी मे टिपियायें कि यह जालस्थल तो चोरबाजार है. उनकी “उठाईगिरी” इससे बंद हो जायगी. नहीं तो मुझे सूचित करें, एक या दो दिन में हल कर दूंगा — शास्त्री जे सी फिलिप

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Author: Super_Admin

22 thoughts on “इस जालचोरी के पीछे क्या है राज ??

  1. हल कर ही दीजिए शास्त्री जी, यह व्यक्ति इतना आगे निकल चुका है कि समझाने से मानने वाला नहीं लगता, वैसे भी ऐसा नहीं हो सकता कि इसको पता न हो कि जो यह कर रहा है वह गलत है!!

    यदि यह फ्री की सेवा पर है तो इसके सेवा प्रदाता को सूचित किया जाना भी लाभकारी हो सकता है।

  2. You have written some beautiful poems. Its sad to see people pirate them. I hope HubPages have removed them by now. I have flagged his Hubs as pirated stuff for you. I would like to do a write up on your site on one of my blogs. [url=http://bestofwebpages.blogspot.com/]Best Of Web Pages[/url]

  3. @Amit
    अमित, मैं चाहता हूं कि एक दो दिन रुक जाऊ जिससे लोग अपने अधिकारों की लडाई लडना चाहें तो पहले वह कर लें

  4. स्पष्ट है कि मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड)के एक से अधिक जालस्थल हैं. रचना ने जो दो कडियां दीं हैं इनमें मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) ने अपने लिये एक विदेशी गौरांगिनी का चित्र दिया है. लेकिन यह उसका असली चित्र नहीं है. मेक्स-प्रेस (निचोड भईया निचोड) तो ठेठ हिन्दुस्तानी मर्द है, वह कहां से हो गया विदेशी गौरांगिनी. हां दूसरों की कवितायें उठा उठा कर अब शायद वह दूसरों का चित्र एवं व्यक्तित्व भी उठाने की कोशिश में है.

  5. शास्त्री जी,आप ने एक चोर की चोरी उजागर कर सब को सावधान कर दिया है।लेकिन आप से निवेदन है कि आप इस का हल भी खोजें ताकी इस समस्या से निजात पाने का कोई रास्ता निकल सके। वैसे भी आप सभी की मदद करते रहते हैं,आप ने मेरा भी कई बार मार्ग दर्शन किया है ।आशा है आप सभी गुणीजन मिल कर इस का हल खोज लेगें ।

  6. sir
    after our repeated postings they have removed the pirated poems
    they have a policy of not allowing hindi content
    i would request all bloggers from hindi to please type the titles of their work in some serch engine and try to locate the copied material
    and then keep psoting to them till you can get it removed
    sir i really aprreciate your help and timely action in this regard
    with due regrds and thanks

  7. ह्म्म, चौर्यकला में पारंगत इस बंधु के लिए कुछ कीजिए शास्त्री जी!!
    पर इस चोरी से बिलकुल ही कैसे बचा जाए यह मुझे अभी तक समझ में नही आया!!

  8. maxpress on HubPages
    मेरे दर्द को भी इंतज़ार है तेरा

    आज आंख मे आँसू नहीं है आज मन मे भावना नहीं है लगता है मेरा दर्द ठहर गया है जब दर्द ठहर जाता है जीना आसान हो जाता है शब्द ही नहीं मौन भी शांत हों जाता है ज़िन्दगी चलती है बेकरवट बेआस मौत के इंतज़ार मे क्योकि ठहरे हुए दर्द की मंजिल मौत है ऐ मेरी मौत आ और मेरे दर्द को गले लगा मेरे दर्द को भी इंतज़ार है तेरा

    मेरे शब्दो को कविता बना दिया आप सब की टिप्पणीओ ने ।
    अगर आप सब ना होते तो शब्द ना बनते ।
    आप सब को मेरा नमन , धन्यवाद् कह कर आप सब को पराया नही करूगी ।
    the max press profile is a poem directly lifted from my blog
    http://hubpages.com/profile/maxpress

    sir
    can you please see this and the forum there and if possible place a postin there

  9. maxpress on HubPages
    मेरे दर्द को भी इंतज़ार है तेरा
    आज आंख मे आँसू नहीं है आज मन मे भावना नहीं है लगता है मेरा दर्द ठहर गया है जब दर्द ठहर जाता है जीना आसान हो जाता है शब्द ही नहीं मौन भी शांत हों जाता है ज़िन्दगी चलती है बेकरवट बेआस मौत के इंतज़ार मे क्योकि ठहरे हुए दर्द की मंजिल मौत है ऐ मेरी मौत आ और मेरे दर्द को गले लगा मेरे दर्द को भी इंतज़ार है तेरा
    मेरे शब्दो को कविता बना दिया आप सब की टिप्पणीओ ने ।
    अगर आप सब ना होते तो शब्द ना बनते ।
    आप सब को मेरा नमन , धन्यवाद् कह कर आप सब को पराया नही करूगी ।
    the max press profile is a poem directly lifted from my blog
    i would request you to delete this profile completely http://hubpages.com/profile/maxpress

    sir
    this offending profile is there although the content has been removed
    i have placed again a request in their forum please second it

  10. आगाह करने के लिये आभार। भविष्य मे भी इसी तरह् चौकस रहने की जरुरत है। हम आपके साथ है।

  11. ऐसे चोरों से आपका सामना अब, इन्टरनैट के हर गली नुक्कड़ होने वाला है, क्योंकि दूसरों मे माल पर ऐश करने वालों की कमी नही है। जरुरत है तो इनके खिलाफ़ जोरदार आवाज बुलन्द करने की और तकनीकी लड़ाई लड़ने की। मैने इस बारे मे एक पोस्ट लिखी थी, आप यहाँ पर देखिए : http://www.jitu.info/merapanna/?p=667

  12. इस तरह की चोरी अत्यंत सोचनीय है। इस दिशा में हम सब चिट्ठाकारों को मिलकर कुछ गंभीर प्रयास करने चाहिए वरना ऐसे ही लोग फ्री के माल पर ऐश करते रहेंगे।

  13. its a humble suggestion that please go on the site and check there. lot of articles and poems are from hindi , many have been put in roman . they have deleted the offending pages of my poems and many other pages in hindi but still articles etc are there . they have a forum also and registration is a 2 minute process . put in few words there to make them realise we are against it . there are certain sites which are using the same technique of free down downloads and copying the articles as these appear on aggregators list i saw them these should be removed or warned .
    also please send mails to following inside-adsense@google.com inside-adsense@google.com
    feedback@aol.in informing them that they are promoting piracy and give mr shastris is this article as refrence .
    email of hub pages is team@hubpages.com and paul.edmondson@hubpages.com paul.edmondson@hubpages.com
    for any one to register complaint / protest with them
    if even 100 bloggers will do it some movement can be build up

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