जैसा मैं ने पिछले लेख में कहा: “आज हिन्दुस्तान में जितने हिन्दी जालपाठक हैं उनसे सौ गुने हिन्दी जालपाठक हिन्दुस्तान के बाहर है. विशेष कर खाडी देशों मे, अमरीका में, कनाडा में, जर्मनी में, एवं अन्य कई विकसित राज्यों में. इन पाठकों में मूल हिन्दुस्तानी भी हैं एवं ऐसे विदेशी लोग भी हैं जो हिन्दी सीख रहे हैं या हिन्दी पढते हैं. ये लोग नियमित रूप से अपनी पसंद के हिन्दी जालस्थलों पर जाते हैं. इनमें से बहुत से लोग नियमित रूप से बडे खोजयंत्रों [गूगल, एमएसएन, याहू, अल्टाविस्टा, एवं डीमोज] की सहायता से हिन्दी चिट्ठों/जालस्थलों को मनपसंद सामग्री के लिये खोजते रहते हैं.”
इसका मतलब यह है कि इन में से गूगल, एमएसएन, याहू, अल्टाविस्टा, के “मकडे” यदि नियमित रूप से आपके जालस्थल पर आने लगें तो आपका पाठक समुदाय एक दम से बढने लगेगा. मकडे को अपने चिट्ठे तक लाने के लिये दो चीजें जरूरी हैं, पहला अच्छे विषयों पर नियमित रूप से लिखे गये पर्याप्त संख्या में लेख. दूसरा तरीका है सही तकनीक से बनाये गये “सांकेतिक शब्द”. सांकेतिक शब्द सही तकनीक से बनाने के लिये चिट्ठाजगत एग्रीगेटर विशेष सुविधा देता है, एवं इस सुविधा की उपलब्धि के समय से मैं इसका फायदा उठा रहा हूं, एवं सारथी के ट्रेफिक पर इसका भारी प्रभाव पडा है.
सारथी पर गूगल का मकडा आजकल दिन में दो बार आता है, एवं चिट्ठाजगत की कडियों से एवं सांकेतिक शब्दों से सारथी की जानकारी अलग से लेता है. फल यह है कि गूगल एवं अन्य खोजयंत्र सारथी पर छपे लेख को एकदम से वर्गीकृत करके खोजियों को प्रस्तुत कर देते हैं. इस कारण सारथी पर छपा लगभग हर लेख छपने के लगभग 6 घंटे में गूगल एवं अन्य खोजयंत्रों पर आ जाता है. बगल में देखें आज जो खोजमकडे सारथी पर पधारे थे. (खोजमकडे या स्पाईडर ऐसे स्वचलित सॉफ्टवेयर या तंत्र हैं जो आपके चिट्ठे से जानकारी एकत्रित करके खोजयंत्रों के लिये सहेजते है).
अत: आप यदि हिट्स चाहते हों तो पहले तो खोजमकडों को आकर्षित करने के लिये नियमित रूप से लिखना शुरू करें. खोजमकडों को आकर्षित करने के लिये दूसरा काम यह करें कि सही तकनीक की सहायता से अपने लेख/रचना के प्रचार के लिये सांकेतिक शब्दों की कडी बनायें. याद रखें, सादे सांकेतिक शब्दों की तुलना में सांकेतिक शब्दों की “कडी” को खोज यंत्रों में कम से कम सौ गुना वजन मिलता है. अत: कडीबिन सांकेतिक शब्द एवं कडीसहित सांकेतिक शब्द में जमीन आसमान का फरक है. कडीबिन सांकेतिक शब्द बनाना आसान है, लेकिन फायदा सिर्फ एक प्रतिशत है. कडीसहित सांकेतिक शब्द बनाना कठिन है, लेकिन चिट्ठे के प्रचार के लिये इसका फायदा सौ गुना है.
कडीसहित सांकेतिक शब्द बनाने के लिये एक आसान तरीका है चिट्ठाजगत. इस के लिये चिट्ठाजगत (www.Chitthajagat.in) पर उसकी दहिनी बगलपट्टी पर “सांकेतिक कडी बनायें” को चटका लीजिये. जिस पन्ने पर आप पहुंचेंगे, वहां आप को निम्न सुविधा दिखेगी:
अब अपने संकेत शब्दों को एक एक करके वहां भर दें. विभिन्न संकेत शब्दों के बीच कॉमा या अर्धविराम लगाते जायें. उदाहरण के लिये, इसी लेख को ले लीजिये जिसे आप पढ रहे हैं. सबसे पहले तो इस लेख को खोज करने वाले लोगों एवं खोजी यंत्रों की नजर में लाने के लिये सबसे उत्तम संकेत शब्द कौन से होंगे यह तय करना होगा. मेरी नजर में, इस लेख के लिये निम्न संकेत शब्द सबसे अच्छे होंगे:
हिन्दी-खोज, हिन्दी-चिट्ठाकारिता, सफल-हिन्दी-चिट्ठाकारिता, प्रसिद्ध-चिट्ठे, प्रसिद्ध-हिन्दी-चिट्ठे, चिट्ठा-प्रचार, चिट्ठा-प्रसार, जाल-प्रचार, जाल-सफलता, शास्त्री, शास्त्रीजी, शास्त्री-फिलिप, सारथी
मैं ने इन शब्दों को अपने अनुभव के आधार पर चुना है. आप भी अपने चिट्ठे का प्रचार करने लगेंगे तो आपको भी अनुभव हो जायगा कि आप के चिट्ठे के प्रचार के लिये सबसे उपयुक्त संकेतशब्द कया हैं. अब इन शब्दों को झिर्री में भर कर “बनायें” को चटका लें. तुरंत ही आपको एक नया पट दिख जायगा जहां काफी सारे कूट शब्द दिखेंगे:
इन कूट शब्दों को बिना किसी परिवर्तन के नकल करके अपने चिट्ठे पर अपने लेख के अंत में चिपका लीजिये. नकलचिपका कर सहेजने के बाद ये कूट शब्द आपके पन्ने पर निम्न रीति से दिखेंगे:
चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: हिन्दी-खोज, हिन्दी-चिट्ठाकारिता, सफल-हिन्दी-चिट्ठाकारिता, प्रसिद्ध-चिट्ठे, प्रसिद्ध-हिन्दी-चिट्ठे, चिट्ठा-प्रचार, चिट्ठा-प्रसार, जाल-प्रचार, जाल-सफलता, शास्त्री, शास्त्रीजी, शास्त्री-फिलिप, सारथी,
बस हो गया आपका काम. अपने हर लेख एवं रचना के अंत में इस तरह उसके लिए उपयुक्त कडीसहित सांकेतिक शब्द देना शुरू कीजिये, कुछ दिन में गूगल, एमएसएन, याहू, अल्टाविस्टा आदि पर कोई इन शब्दों को खोजेगा तो परिणाम के रूप में वे खोज यंत्र आपके चिट्ठे को दिखा देंगे एवं आपके चिट्ठे पर आवक बढने लगेगी.
ब्लॉस्पॉट के सदस्य याद रखे कि इन कूट शब्दों को लेख के नीचे पोस्ट करने के पहले अपने पोस्ट पट की दहिनी ओर दिख रहे HTML को चटका लें, एवं फिर उसको सहेज लें.
इसी तरह वर्डप्रेस के सदस्य कूट शब्दों को लेख के नीचे पोस्ट करने के पहले अपने पोस्ट पट की बांई ओर दिख रहे HTML को Code चटका लें, एवं फिर उसको सहेज लें. आपके संकेतशब्द आपके लेख की नीचे छप जायेंगे.
यदि आप विंडोज लाईव राईटर का उपयोग करते हैं तो सांकेतिक शब्द के प्रयोग के दो तरीके हैं. इन में से एक तरीके का वृहद एवं सचित्र वर्णन किया है रवि रतलामी ने निम्न लेख में: चिट्ठाजगत् के लिए टैग स्वचालित लगाएँ. दूसरा तरीका मेरा अपना है एवं सारथी पर उसका प्रयोग करता हूं. इसका वर्णन किसी और लेख में करूंगा.
चिट्ठा-प्रचार की बहुत सी और भी बारीकियां हैं, एवं मैं भविष्य में उनके बारे में भी सचित्र लेख लिखूंगा, लेकिन उन तकनीकों को सीखने से पहले कडीसहीत संकेतशब्दों का प्रयोग महत्वपूर्ण है. आप इस मामले में दक्ष हो जायेंगे तो बाकी तकनीकों को सीखना आसान हो जायगा — शास्त्री
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कैसे पायें 100,000 हिट्स प्रति माह — 1
धडाधड महाराज का मेराथन
सारथी: 90,000 हिट्स व 30,000 पेज-पठन महीने में !!!
बड़ी अच्छी जानकारी दी है आपने.
परंतु फिर भी मुझे लगता है कि सिर्फ कड़ी के बजाए स्तरीय और भरपूर सामग्री का ज्यादा योगदान होता है लाख हिट पाने के लिए. बहरहाल, आपके जालस्थल को इतने कम समय में लाख हिट पाने की बधाई. इसमें आपके अनवरत् श्रम का खासा योगदान तो है ही, आपकी दूर-दृष्टि व हिन्दी के जरिए तमाम भारत को जोड़ने के स्वप्न का भी महत्व दिखता है.
क्या बात करते हो शास्त्रीजी, लम्बी सोच है आपकी, हम तो सिर्फ इतना सोचते हैं, लेक लिखें, दो मिनट में एग्रीगेटर पर छपे, ३-४ धण्टे वहाँ रहे, ४०-७० लोग उसे पढ़ें। दो मिन्ट में छापने के लिए १० मिन्ट में लिखे लेख पर सभी संभव जगह पिन्ग बटन दबाएने में घण्टे बरबाद करने का मज़ा अलग है। उसके बाद भूल जाओ छापा भी था। आप मुझ से बडे हैं अत: मेरी टिप्पणी का बुरा न माने।
hits according to me reflect nothing . ok the page was hit so many times but what does it mean does it really mean that so many people read us ?
प्रिय “अनोन”
यह लेख आप जैसे बिरले लोगों के लिये नहीं लिखा गया है — शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
Dear Rachna,
perhaps you did not notice the last sentence in “आंकडो के अनुसार सारथी पर PageReadsJuly07 जूलाई 2007 में 30 हजार से अधिक पेज पढे गये एवं 88 हजार से अधिक हिट्स हुए. हिट्स को हम नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि पेज-पठन है असली संख्या. ”
of the article:
सारथी: 90,000 हिट्स व 30,000 पेज-पठन महीने में !!!
We give emphasis to “page reading” which our server calculates in a very sensible way.
शुक्रिया
ऐ लो हम खुद कब से कहते आए हैं कि टैग्स का प्रयोग करो लेकिन लोग-बाग मानते ही नहीं।
इस बारे एक लेख भी लिख चुके हैं विस्तार से।
बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है यह नियमित लिखने वालो के लिये
एक बात मे असमन्जस है कि “चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित” और ब्लोगर के labels मे क्या फर्क है और दोनो का अलग-अलग क्या कार्य है
गोस्ताट्स नमक कंपनी एक ट्राफिक परिसंख्यान टूल हिन्दी मे लॉन्च किया है|
आप एक बडा वाणिज्यिक साइट का मालिक हो या एक छोटा हॉबि साइट का परिचालक,
गोस्टटस आपको आपके साइट/ब्लाग के ट्रैफिक के बारे मे ठोस परिसंख्यान भेज सकती है।
मुफ्त और व्यवसायिक सेवा के बीच चुनने के लिये देखें
http://gostats.in
मैंने गोस्ताट्स का हिन्दी ट्राफिक परिसंख्यान टूल देखा , बड़ा ही उंदा टूल है |
काफ़ी खोजने पर भी मुझे कोई और हिन्दी परिसंख्यान टूल नहीं मिला |
गोस्ताट्स का प्रयोग करने के बाद मुझे पता चला मेरे चिट्ठे पे कितने लोग आते है और कहाँ से आते है |
सबसे बड़ी बात यह मुफ्त है |
गोस्ताट्स को बहुत धन्यवाद ऐसा टूल देने के लिए |