सारथी पर मैं अपने आंकडे दो तरह से जांचता हूं: सर्वर के आंकडे द्वारा एवं एक अदृश्य गणक की सहयाता से. पिछले दिनों इस अदृश्य काऊंटर को जांचते समय देखा किन किसी ने सारथी से एक अश्लील जालस्थल को क्लिक किया है. देखिये ऊपर से पांचवें URL को:
मैं आसमान से गिरा क्योंकि पहली बात मैं पोर्नोग्राफी का घोर विरोधी हूं, दूसरा कारण यह था कि सारथी की कडियों, टिप्पणियों, एवं लेखों में अब हजारों कडियां हैं. इन में से इस कडी को ढूढ निकालना अक्षरश: भूसे के ढेर से सूई को ढूढने के समान था. प्रभु की दया से जासूसी कहानियों के लेखन का अनुभव काम आया. सबसे पहले, एक जाल-अतिथि के लिये चटकाने के लिये सबसे आसान कडियों को एक एक करके देखा. सारथी की दहिनी बगलपट्टी पर निम्न एक सुविधा है:
सबसे अधिक टिप्पणी करने वालों से लेकर घटते क्रम में अगले 30 टिप्पणीकारों की एक (स्वयंजनित) सूची है जिस में टिप्पणीकार का नाम अपने आप उसके चिट्ठे की कडी बन जाता है. चटकाने के लिये सबसे आसान कडीसंग्रह यह है. सारथी के बहुत सारे पाठक इस सूची की सहायता से इन चिट्ठाकारों के चिट्ठे पर जाते हैं. (मतलब, सारथी पर टिप्पणी करने से आपको अपने चिट्ठे के लिये भी ग्राहक मिलते है. सूची में आप जितने ऊंचे होगे, आपको ट्रेफिक मिलने की संभावना उतनी ही अधिक है).
एक एक करके देखा तो पता चला पहले के 10 टिप्पणीकारों में से एक के नाम को चटकाने पर यह हो रहा है. अत: एकदम से स्पष्ट हो गया कि इस पोर्नोग्राफी जालस्थल की कडी इन टिप्पणियों में है, एवं उसे ढूढ निकालने के लिये कहीं और जाने की जरूरत है. मेरा चिट्ठा सारी टिप्पणियों की एक सूची रखता है एवं आप उनको (बिना एक एक लेख को देखे) एक जगह देख सकते हैं. सारथी पर यह लेख लिखते समय सिर्फ टिप्पणियों के अपने 45 पन्ने है जिनको जांचने में बहुत समय लगता, लेकिन चूंकि किस टिप्पणीकार के कारण यह अश्लील कडी पैदा हो रही है इसका पता लग गया था अत: टिप्पणी में सबसे आखिरी टिप्पणी से चालू करके सिर्फ इस लेखक की सबसे आखिरी टिप्पणी तक जाने की ही जरूरत बची थी. अत: अब मैं टिप्पणी संग्रह पन्ने पर गया. इसका पहले पन्ने का एक हिस्सा देखिए नीचे:
तीसरे पन्ने तक पहुंचते पहुंचते उस मित्र की आखिरी टिप्पणी मिल गई. देखा तो दिल धक रह गया. जल्दबाजी में उन्होंने अपनी आखिरी दो टिप्पणियों मे अपने चिट्ठे का URL या जालपता XXX भर दिया था. चूकि URL के खाने में XXX भरा गया था, अत: सहेजते समय सॉफ्टवेयर ने उसे URL समझ कर अपने आप उसके आगेपीछे के अक्षर (जैसे http) जोडकर उसे एक कडी बना दिया था. इस तरह मेरे मित्र अनजाने एक पोर्नोग्राफिक जालस्थल का प्रचार कर रहे थे.
विडंबना देखिये: मान लीजिये कि कखग वह टिप्पणीकार है जिसने यह गलती की है. जब उसके चिट्ठे पर जाने के लिये कोई पाठक कखग नामक कडी को चटकाता है तो वह जाता है किसी अश्लील जालस्थल पर. उसके मन की प्रतिक्रिया क्या होगी? सोचेगा, “कखग तो बडा छुपा रुस्तम निकला. कर रहा है हिन्दी चिट्ठाकारी, लेकिन मालिक है एक पोर्नोग्राफिक जालस्थल का”. एक क्षण की जल्दबाजी से कैसा अनर्थ हो गया !!
मित्रों, जालजगत में किसी भी चीज को मान कर न चलें. हर चीज को जान कर चलें. एक चीज और: यह हम में से हरेक की जिम्मेदारी है कि हमारे मित्रों के नाम पर आंच न आने दें. उनसे कोई गलती हो जाती है तो उसे तुरंत ठीक कर दें, मिटा दें — शास्त्री
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आशा है आपने कखग के जाल स्थान का पता ठीक कर दिया होगा या इसे हटा दिया होगा।
अजीब संयोग बल्कि दर्योग हुआ। आपने इस बारे सावधान किया धन्यवाद! इस तरह की बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
आज कल गूगल एड मे भी कभी-कभी अश्लील एड आ जाते है
ह्म्म, सही!!
शुक्रिया इस नेक सलाह क लिये!!
सावधानी जरुरी है