इस चिट्ठे के आरंभ से ही सारथी की नीति अपने खुद के प्रचार प्रसार के साथ साथ अन्य हिन्दी चिट्ठों के भी प्रचार की रही है.
हमारा विश्वास है कि हमारी आपसी फूट के कारण ही मुगलों ने एवं अंग्रेजों ने हम पर राज किया और हिन्दुस्तान को मन भर के लूटा. आज अंग्रेजी भारतीय समाज पर जो हावी हो रही है उसका कारण भी हमारी आपसी फूट है जिसके कारण हम 60 करोड लोगों द्वारा बोली जाने वाली अपनी राजभाषा हिन्दी को उसको जो स्थान एवं सम्मान मिलना चाहिये वह उसे नहीं दिला पा रहे. दूसरी ओर इस देश में 1 करोड लोग भी नहीं हैं जो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद अंग्रेजी अखबार, पत्रिकायें, एवं पुस्तकें हिन्दी से अधिक फायदा कमाती हैं. सौत अंग्रेजी इस देश की जनभाषाओं को कुत्सित तरीके से दबा कर राज कर रही है.
हिन्दी चिट्ठों को प्रोत्साहित करने के लिये सारथी “सक्रिय हिन्दी चिट्ठे” नाम से एक सूची अपने शीर्ष पर देता है. इस सूची से रोज कई लोग अन्य हिन्दी चिट्ठों पर जाते हैं. आज सारथी से इसके पाठक जिन चिट्ठों पर लोग गये उन में से कुछ को देखिये ऊपर के चित्र में. कल जिन चिट्ठों पर लोग गये उन में से कुछ को देखिये नीचे के चित्र में.
सारथी पर दो और सूचियां हैं जिन से पाठक अन्य चिट्ठों पर जाते हैं लेकिन वे इन सूचियों में नहीं दिखते हैं. इस तरह सारथी आपको नित नये पाठक देता है.
अब हमारा एक अनुरोध है: यह कार्य हम निस्वार्थ हिन्दी की सेवा के लिये कर रहे है. इसकी देखादेखी आप अपने चिट्ठे पर कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों की कडियां दे. पांच तो स्थापित चिट्ठों की कडियां दीजिये, एवं पांच नये एवं उभरते चिट्ठों की कडियां दीजिये. हम आपको आगे बढाते है, आप भी कुछ लोगों को आगे बधायें. वसुधैव कुटुंबकम.
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आपकी भावनाएं और आपका प्रयास सम्माननीय हैं।
हमसे काहे न्नाराज हैं शास्त्री जी-हमारे यहाँ भी तो कुछ ट्रेफिक हकालो. 🙂
काकेश के यहाँ भेजे, हमारे यहाँ नहीं. गलत बात. 🙂
great work sir
hope saarthi does grow well with time
समीर जी को तो किसी ट्रैफिक वर्धक की जरूरत ही नहीं है. वैसे आपकी बात से सहमत हूँ. शीघ्र ही अपना ब्लॉगरोल बनाता हूँ.
सहमत!!
सहमत !!
आपकी यह सलाह सभी चिट्ठाकारों को आपस में जोड़ने में बहुत सहायक होगी।
किन्तु उससे ज्यादा मैं आपके चिट्ठे पर दी गयी कड़ियों को मानता हूँ। ये सब की सब कड़ियाँ अपने-आप में ज्ञान और सुविधा के दरवाजे हैं। इस तरह की महत्वपूर्ण कड़ियाँ भी हम सबको खोज-खोजकर अपने चिट्ठे पर लगानी चाहिये।
देरी से टिप्पणी के लिये क्षमा।
आपका कहना बहुत सही है.. जैसे मुझे आपके सारथी से कई बार ट्रैफिक मिली है और मेरे कुछ नये चिट्ठाकार मित्र को भी मेरे ब्लौग से ट्रैफिक मिली है..