स्त्रियां व्यक्ति है या वस्तु हैं ?

पिछले दिनों मैं ने स्त्रियों को बेदर्दी से अनावृत करते नियम नामक जो लेख लिखा था उस पर बहुत सी टिप्पणियां इस चिट्ठे पर एवं व्यक्तिगत पत्रों के द्वारा मिलीं. आभार.
WomanSlave2_PDF

मानव इतिहास का वेदनाजनक पहलू है कि अधिकांश देशों में स्त्रियों को सिर्फ बेचनेखरीदने लायक वस्तु समझा गया है. इस चित्र में पूरी तरह से अनावृत गौरांगिनी की बोली लगाई जा रही है. यह किसी पोर्नोग्राफिक पत्रिका से उठाया गया चित्र नहीं है बल्कि स्त्रीनीलामी से संबंधित एक एतिहासिक चित्र को “आवृत” करके आपके सामने पेश किया गया है. असली चित्र काफी बडा है एवं उस साईज में एवं बिना काला किये गये चित्र को एवं बिकती हुई स्त्री के मुखभाव को देखने पर कोई भी व्यक्ति आंसू बहाये बिना नहीं रह सकता.

आज इस तरह बाजर में खुले आम नीलामी नहीं लगती है, लेकिन इस तरह की खरीदफरोक्त जारी है. इस मामले में सामाजिक चेतना जागृत होना जरूरी है.

विषय से संबंधिक कुछ लेख:
महिला मुक्ति के लिए स्वतंत्र महिला आंदोलन की जरूरत
यह मुल्‍क एक वेश्‍यामंडी है!!!

आपने चिट्ठे पर विदेशी हिन्दी पाठकों के अनवरत प्रवाह प्राप्त करने के लिये उसे आज ही हिन्दी चिट्ठों की अंग्रेजी दिग्दर्शिका चिट्ठालोक पर पंजीकृत करें!

चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip,

Share:

Author: Super_Admin

8 thoughts on “स्त्रियां व्यक्ति है या वस्तु हैं ?

  1. स्त्रियों को पहले कभी भी व्यक्ति नहीं समझा गया। इस बारे में उन्होने लम्बी लड़ाई लड़ी। कानून में सबसे पहले उन्हें, इलाहाबाद इच्च न्यायालय ने व्यक्ति का दर्जा दिया। इस बारे में मैंने अपनी चार चिट्ठियों में यहां, यहां, यहां, और यहां बताया है।

  2. यह हमारे समाज में पहले से ही अलग-अलग रूपों में प्रचलित है और इस दिशा में जागरूकता के भी कई प्रयास बहुत पहले से ही हो रहे है नतीजा कभी कुछ खास देखने को नहीं मिला।

    पता नहीं कब तक होता रहेगा यह शोषण

  3. अच्छी अभिव्यक्ति,अच्छे भाव उभरे हैं.पूर्ण सहमत आपके विचारों से,
    इस मामले में सामाजिक चेतना जागृत होना जरूरी है.

  4. सही कहा है आपने..
    “यह मुल्‍क एक वेश्‍यामंडी है!!!” वाला पोस्ट जब अविनाश जी ने लिखा था तब उस पोस्ट को लेकर मेरी अविनाश जी से बहुत देर तक बातें भी हुई थी..
    पता नहीं यह वेश्‍यामंडी का कारोबार कब बंद होगा..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *