कौन बोलता है कि आप एक्सपर्ट नहीं है??

जब भी विषयाधारित चिट्ठे की बात होती है तो कई लोग निराश हो जाते हैं. वे कहते हैं कि वे तो हर-फन-मौला हैं लेकिन उस्ताद किसी चीज के नहीं है. यह एक गलत सोच है. अनुनाद जी ने पिछले दिनों इस विषय पर एक आंख खोलने वाली टिप्पणी की थी जो इस प्रकार है:

हाँ, लोगों की यह गलतफहमी भी दूर की जानी चाहिये कि हर व्यक्ति ‘इक्सपर्ट’ कैसे हो सकता है। वस्तुत: यह अनुभव करने की चीज है हर व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में इक्सपर्ट हो सकता है/होता है। यह श्लोक इसी से मिलती-जुलती बात कह रहा है

अक्षरं अमन्त्रं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्।
अयोग्य: पुरुष: नास्ति, योजक: तत्र दुर्लभम्।।

(कोई भी अक्षर नहीं है जिससे कोई मन्त्र न आरम्भ होता हो; कोई भी मूल (जड़) नहीं है जिससे औषधि न बनती हो; और कोई भी मनुष्य अयोग्य नहीं होता — केवल उसका योजक (मैनेजर) दुर्लभ होता है। (अनुनाद सिंह)

कल मैं ने कुछ संभावित विषयों की सूची दी थी. यदि आप उस सूची के विषयों को या उससे मिलते जुलते विषयों को देखें तो बहुत से विषय निकला आयेंगे जिन पर आप आधिकारिक तरीके से लिख सकते हैं. एक उदाहरण दूं:

Shivaji छायाचित्र: छत्रपति शिवाजी, शिवाजी उद्यान, ग्वालियर

मेरा सारा जीवन ग्वालियर में बीता एवं अक्टूबर 2007 में ग्वालियर किले पर एतिहासिक अनुसंधान करते समय ग्वालियर की पृष्ठभूमि पर लगभग छ: किताबें खरीदीं. कुल खर्चा होगा लगभग 400 रुपये. कई मित्रों से बातचीत की. इनके फलस्वरूप ग्वालियर शहर के कम से कम दो सौ महत्वपूर्ण स्थान, व्यक्ति, एवं एतिहासिक घटनायें मेरी नजर में आईं. अभी गहराई में पैठूं तो यह संख्या 2000 हो जायगी. आजीवन लिखूं तो भी यह विषय खतम नहीं होगा. किले के बारे में मैं जो लिखूंगा वह इसके अतिरिक्त है एवं कई सालों तक चलेगा. कौन है जो इस तरह अपने शहर के बारे में नहीं लिख सकता. हिन्दुस्तान का कौन सा शहर है जिसका महत्वपूर्ण इतिहास नहीं रहा है. यदि आपके मोबाईल में केमरा है तो चित्र लेने की भी व्यवस्था हो गई. जाल पर सिर्फ 72 पिक्सेल प्रति इंच के चित्र दिखाये जा सकते हैं. अधिकतर मोबाईल इससे चार गुना पिक्सेल के चित्र खीच लेते हैं.

ग्वालियर शहर पर भी मेरा चिट्ठा आयगा. जहां चाह वहां राह. जहां देखें वहां विषय ही विषय है. कमी इच्छा की है विषय की नहीं.

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Author: Super_Admin

6 thoughts on “कौन बोलता है कि आप एक्सपर्ट नहीं है??

  1. मैं अपने चिट्ठे आरंभ पर विशेषकर छत्‍तीसगढ केन्द्रित विषयों पर लिखता हूं तो क्‍या यह विषय आधारित माना जा सकता है । आप स्‍वयं अपने इस चिट्ठे को किस विषय से आधारित मानते हैं ।

    http://www.aarambha.blogspot.com

  2. सर आज आपकी पोस्ट पढ़ कर समझ मे आरहा है आप क्या कहना चाहते है. इस विषय पर विस्तार से समझने के लिए आपसे ईमेल द्वारा सम्पर्क करूँगा.

  3. कथन सत्य है!!
    अपनी बात करूं तो पाता हूं कि व्यक्तिगत कारणों से एक से अधिक चिट्ठे नही चला सकता!!
    अत: इसी एक चिट्ठे में ही सब लिखता हूं जैसे छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी के साथ ही अपने आसपास की अन्य जानकारियां भी!!
    हां इसके लिए मेरे मोबाईल का कैमरा ज़रुर मेरी बहुत मदद कर देता है!!

  4. आप एक नयी अवधारणा की स्थापना कर रहे हैं ,अभी तक तो ब्लॉग को हल्की फुल्की बातों ,आपबीती तथा कुछ भी ऊल जूलुल कहने के लिए लोगबाग इस्तेमाल कर रहे थे ,पर यह उचित है कि इस विधा को भी एक गरिमा प्रदान किया जाय,जैसा कि कईओं ने कर भी दिखाया है .हाँ ,यह बात दीगर है कि गंभीर लेखों के पाठक अभी नेट पर काफी कम हैं .

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