आज दीपक भारदीप ने मेरे चिट्ठे पर चिट्ठा-चुनाव के बारें में एक टिप्पणी की थी. हम दोनों मूल ग्वालियर के हैं अत: हम दोनों आपस में एक भ्रातृत्व की भावना रखते हैं. टिप्पणी के जवाब में मैं ने ज्येष्ट भाई की हैसियत से दीपक भारतदीप से अनुरोध किया था कि वे अब "पुरस्कार के लिये चिट्ठाचुनाव" विषय के विरुद्ध अपना आंदोलन बंद कर दें. मेरे अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्होंने सूचना दी है कि वे अपना आंदोलन बंद कर रहे है. मैं आभारी हूँ उनका कि उन्होंने मेरा अनुरोध स्वीकार किया.
वे जिस वेग से लिखते हैं वह तारीफे काबिल है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वे दुगने उत्साह से अपना तत्वचिंतन पाठकों के लिये प्रस्तुत करेंगे — शास्त्री
यह बहुत ही अच्छा हुआ।दीपक जी ने आप का अनुरोध स्वीकारा।आप का तथा दीपक जी का धन्यवाद।
आप सदैव इसी प्रकार सबका मार्गदर्शन करते रहें. धन्यवाद
आपने अग्रज की भूमिका निभाई और दीपक जी ने अनुज बनकर आपकी बात मान ली. विवादों के समय यदि ऐसी भूमिका सभी निभाने तो तत्पर हों तो कोई विवाद होगा ही नहीं. इससे अच्छा और क्या हो सकता है. धन्यवाद
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