यदि आप दिवास्वप्न देखने के बदले यथार्थ के धरातल पर रह कर अपने चिट्ठे से आय के लिये तय्यार हों तो अपने चिट्ठे पर अगले 3 साल नियमित रूप से लिखें जिससे निम्न बाते होने लगें:
1. आपके चिट्ठे पर प्रति दिन कम से कम 100 भिन्न पाठक आने चाहिये जो कम से कम 500 लेख (5 लेख प्रति व्यक्ति) पढें.
2. ये पाठक पढाई/आय के हिसाब से अच्छे स्तर के पाठक होने चाहिये, जो संजाल को गंभीरता से लेते हैं, न कि हल्के फुल्के पाठक जो आज हैं, कल नहीं.
3. ये पाठक विश्व के लगभग सभी विकसित देशों से आने चाहिये.
4. स्पष्ट है कि 1 से 3 में बताई गई बातें तभी हो सकेंगी जब आपका चिट्ठा अपने पाठकों को ठोस सामग्री दे, जो अन्य चिट्ठों पर उपलब्ध नहीं हैं. आप खुद जानते हैं कि जिस गुणवत्ता की चीज हर ठेले पर मिल जाती है उसे खरीदने कोई भी सुपरमार्केट नहीं जायगा. यदि आपका चिट्ठा विषय, सामग्री, एवं गुणवत्ता में अन्य चिट्ठों से श्रेष्ठ नहीं है तो पाठकों का प्रवाह आपके चिट्ठे की ओर नहीं होगा.
5. विषय, सामग्री, एवं गुणवत्ता में अन्य चिट्ठों से श्रेष्ठ गुणवत्ता के लेख यदि आप हफ्ते में कम से कम हर अगले दिन (1 महीने में 15 लेख) लिखेंगे तभी खोज यंत्रों पर ऊपर उठ पायेंगे. खोज यंत्रों के पहले या दूसरे पन्ने पर आये बिना पाठकों का प्रवाह मिलना मुश्किल होगा.
6. हो सके तो एक विषयाधारित/विषयकेंद्रित चिट्ठा बना लें. अभी भी समय है. अंग्रेजी में अच्छी आय वाले अधिकतर चिट्ठे विषयाधारित है.
7. ऊपर लिखी गई बातों को ध्यान में रख कर यदि आप अगले तीन साल जम कर लिखें, एवं अपने आप को जमा लें तो इस बात का निश्चय है कि आप इस क्षेत्र में जम जायेंगे. पाठकों का प्रवाह बन जायगा. 100 से 1000 विज्ञापनों के प्रदर्शन के बीच एक व्यक्ति विज्ञापन किलकायगा.
7. चूहा हल्दी की गांठ लेकर पंसारी नहीं बन जाता. यदि आप एकाध लेख लिख कर, पाठकों को बिन सामग्री दिये, आय चाहते हैं तो आय होगी कौडियों में. लेकिन जिस तरह एक अच्छा दुकानदार विविध तरह के एक से एक श्रेष्ट सामग्री को बेच कर बाजार में धाक जमा लेता है, वैसा अगले तीन साल करें तो सन 2010 तक महीने में सौ डालर से 1000 डालर तक कमा सकेंगे. (डालर में इसलिये कह रहा हूँ क्योकि फिलहाल अधिकतर विज्ञापन कंपनियां विदेशी है). [Photographs: By marirs]
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फरवरी 8 से पढिये मेरी अगली लेखन परंपरा: मेरी पसंद के चिट्ठे!! मित्रों के बेहद अनुरोध पर मैं उन चिट्ठों के बारे में लिखने जा रहा हूँ जिनको मैं नियमित रूप से पढता हूँ !! |
एक वाक्य – चूहा हल्दी की गांठ लेकर पंसारी नहीं बन जाता; बहुत मनोहारी लगा।
इसे स्थान-स्थान पर मेरे द्वारा प्रयोग और घिसना तय है! 🙂
चिट्ठाकारी से आय का लक्ष्य कठिन है। इस काम को प्रोफेशनल तरीके से ही करना होगा। तभी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। पर ऐसा न हो कि चिट्ठाकार मूल लक्ष्य ही विस्मृत कर दे।
मेरे लिये अभी तो लिखना और उसकी आदत डालना मुख्य है..पैसा जब आयेगा देखा जायेगा…
कोशिश तो यही है कि नियमित लिखा जाए और हर दिन कुछ न कुछ नया पेश किया जाए। प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद।
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। शुक्रिया। अब मैं भी कुछ कमाई करने की कोशिश करूंगा।
bilkul barobar …
असल समस्या है मानव का बेसब्रा स्वभाव. आप तीन साल तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं और यही किसी को पसंद नहीं आएगी. लेकिन मैं जानता हूं कि यह सही सलाह है.