मेरी पसंद के चिट्ठे 004

मेरी रुचि विषयाधारित चिट्ठों के प्रति काफी अधिक है. मेरे पाठक जानते हैं कि इस विषय में मैं ने एक अभियान ही चला रखा है कि अधिक से अधिक चिट्ठे विषयाधारित हों या विषयकेंद्रित हों. हिन्दी का सौभाग्य है कि विषयाधारित चिट्ठे बढ रहे हैं. उनके पाठक भी बढ रहे हैं. जितने भी विषयाधारित चिट्ठे हैं उनको अन्य चिट्ठों की तुलना में स्थाई पाठक भी अधिक मिल रहे हैं.

इस समय लगभग 40 विषयाधारित चिट्ठे बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. इन में से आर्थिक, फिल्म, शेयर एवं मार्केट से संबंधित चिट्ठों को मैं नहीं पढता क्योंकि इन विषयों में मेरी रुचि कम है. अत: इन अच्छे एवं उपयोगी चिट्ठों के बारें में मैं इस लेखन परंपरा में नहीं लिखूंगा.

मेरी पसंद के लगभग 25 विषयाधारित चिट्ठों में से तीन के बारे में आज कुछ कहना चाहता हूँ. लेखों में ये जिस क्रम से दिये जा रहे हैं वे पूरी तरह से Random हैं एवं इस क्रम में किसी भी तरह की वरीयता का प्रदर्शन नहीं है.

KisanoKeLiye

 

 

 

किसानो के लिए. पंकज अवधिया से मेरी पहली “मुलाकात” एक गूगलखोज के द्वारा हुई थी. उसके बाद मैं हमेशा उनके लेख पढता आया हूँ. भारत की लुप्त होती वैज्ञानिक जानकारी के एक महत्वपूर्ण पहलू को दस्तावेजीकरण द्वारा सुरक्षित रखने के लिये कृषिवैज्ञानिक पंकज का योगदान असाधारण है.

Safar

 

 

 

शब्दों का सफर अजित वडनेरकर शब्दव्युत्पत्ति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे है. अंग्रेजी में शब्दव्युत्पत्ति पर अनुसंधान एक अति विकसित क्षेत्र है, लेकिन भारतीय भाषाओं में मौलिक कार्य कम ही हुआ है. अजित जिस समर्पण के साथ शब्दों की साधना कर रहे हैं वह कल की पीढी के लिये एक महत्वपूर्ण योगदान होगा.

SciBlog

 

 

 

साईब्लॉग हिन्दी चिट्ठाकारों के बीच वैज्ञानिक चिट्ठों का नितांत अभाव है. मुझ जैसे भौतिकविद को यह बात हमेशा खलती रहती है. लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में अब तीनचार चिट्ठे आ गये हैं, जिन में डॉ अरविन्द मिश्रा का साईब्लॉग बहुत महत्वपूर्ण है. वे पंकज या अजित के समान नियमित नहीं लिख पा रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि यदि पाठको की ओर से कुछ दबाव/टिप्पणी आदि बढ जाये तो वे और अधिक नियमित हो जायेंगे. यदि वे 3 दिन में एक बार 100 शब्दों का एक वैज्ञानिक खबर ही छाप दें तो उनका चिट्ठा दौडने लगेगा.

मेरी पसंद के विषयाधारित चिट्ठे अगले लेखों में !!

  • मेरी पसंद के चिट्ठे 003
  • मेरी पसंद के चिट्ठे 002
  • मेरी पसंद के चिट्ठे 001
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    Author: Super_Admin

    14 thoughts on “मेरी पसंद के चिट्ठे 004

    1. सही लिखा और सही आकलन किया। ये तीनो चिठ्ठे बड़ी मेहनत से लिखे जाते हैं। और अपने क्षेत्र-सोच के प्रति समर्पित हैं।

    2. आपके प्रोत्साहन के लिये आभार। मै और अजित जी रात को काम करते है। अक्सर हमारी पोस्ट रात तीन से चार के बीच एक के पीछे एक दिखती है। अजीत जी का काम मुझे ज्यादा मेहनत वाला लगता है। मै अभी अपनी क्षमता का केवल कुछ प्रतिशत ब्लाग दुनिया को दे पा रहा हूँ। भविष्य मे अपना क्लोन बनवाया तो एक हिन्दी ब्लाग जगत के लिये भी रहेगा। 🙂

    3. शब्दों के सफर पर आपकी ‘नज़र’ बनी रहे। आपकी प्रेरणा लगातार इस मंच पर और निजी पत्रों के जरिये मिलती रही है जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अवधिया जी और मिश्र जी के ब्लाग नियमित पढ़ता हूं। अभी शायद ब्लागरोल में नहीं हैं। अगली कड़ियों की प्रतीक्षा है।

    4. दर्द हिन्दुस्तानी ( पंकज अवधिया) जी न केवल गहराई में जाकर ज्ञान की बात करते हैं बल्कि इनकी निरंतरता इनके ब्लोग को अनदेखा नहीं होने देती.
      अजित जी का कोई सानी इस क्षेत्र में है ही नहीं.
      ‘साईब्लोग” पहले कभी नहीं पढा, अब आपने चर्चा की है तो अवश्य देखूंगा. धन्यवाद.

    5. सभी को आभार ,मेरा यह चिट्ठा ज्यादा नियमित है- http://indiascifiarvind.blogspot.com/ सभी को विनम्र आमंत्रण …..
      ंकज जी को भलीभांति नही पढ़ पाया हूँ मगर शब्दों का सफर का तो मुरीद हूँ .. मेरी सदस्यता है –इन दोनों चिट्ठाकारों को उनके अतुलनीय अवदान के लिए कोटिशः बधाई !

    6. सफर के सभी सहयात्रियों का आभारी हूं। मकसद चाहे साफ हो, मंजिल चाहे दृष्टिगत हो मगर सहयात्री न हों तो
      एकला चलो …वाली उक्ति भी बहुत हौसला नहीं बंधाती है। बना रहे साथ , चलता रहेगा सफर…

    7. सर एक बार फ़िर हम आप के आंकलन से सहमत हैं , और एक बार फ़िर हम इसमें से पहले दो ब्लोग के नियमित पाठक हैं पर तीसरे को खोजेगें

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