कैसे लिखें एक किताब इस साल

Writer हर उभरते लेखक की हार्दिक इच्छा होती है कि वह कम से कम एक किताब लिख सके. कई चिट्ठाकारों ने बातबात में यह इच्छा मुझे बताई भी है. लेकिन अधिकतर चिट्ठाकारों को लगता है कि वे कभी भी यह काम नहीं कर पायेंगे.

समस्या किताब नहीं है, न किताब का विषय है. असल समस्या यह है कि लोग किताब लिखने की चुनौती को सही दिशा से नहीं देखते हैं. वे बस यह सोचने में सारा समय बर्बाद कर देते हैं कि "काश मैं लिख सकता. लेकिन इतनी भारी चीज मैं नहीं कर पाऊंगा". लेकिन वे यह नहीं जानते कि पेशेवर लेखक भी इस नजरिये से पुस्तकलेखन को देखें तो वे तुरंत ही निराश हो जायेंगे.

किताब लिखने के लिये पहला काम तो यह है कि आप उसे टुकडों में देखें, बांटे, लिखें, जोडें. सारे पेशेवर लेखक ऐसा ही करते हैं. मान लीजिये कि आप अपने शहर के इतिहास पर एक किताब लिखना चाहते हैं. इसके लिये एक साल का समय तय कर लीजिये. चाहे तो एक चिट्ठा बना लें. अब रोज 300 से 600 शब्द अपने शहर के इतिहास पर लिखिये. एक साल के बाद उन सब को क्रम से जोड दीजिये, संशोधित कर दीजिये, बस किताब तय्यार है.

मैं ने कुल लगभग 60 किताबें लिखी हैं. वे सब इसी तरह से लिखे गये थे, कुछ 1 महीने में तय्यार हो गये (25 पन्ने), कुछ तीनचार सालों में तय्यार हुए (4 खंड का विश्वकोश). यदि मैं डर के बैठा होता तो एक भी किताब न लिख पाता.

जरूरत इच्छा एवं तय्यारी की है. हो तो जिस तरह से आदमी सडक किनारे जरा सी मेज पर अपना दफ्तर चला सकता है उसी तरह आप अपनी मेज से सारी दुनियां जीत सकते हैं. [Creative Commons By rita banerji]

Share:

Author: Super_Admin

13 thoughts on “कैसे लिखें एक किताब इस साल

  1. शुक्रिया ,मेरे पहले कथा संग्रह एक और क्रौंच वध के बाद से पुस्तक लेखन का काम रुका पडा है -आप ने उत्प्रेरित कर दिया है .

  2. आज से ही जुट गये हम तो, समझो…अभी तक कहाँ थे आप..पहले काहे नहीं बताये..दो किताब तो निकल ही चुकी होती. 🙂 आभार बताने का.

  3. प्रेरक!!
    पन शास्त्री जी किताब कैसे लिखे से ज्यादा जरुरी यह बताईए कि उस किताब को छापने के लिए प्रकाशक कैसे जुगाड़ें 😉

  4. हम भी संजीत वाला प्रश्न का उत्तर जानने को ज्यादा उत्सुक हैं ।वैसे शास्त्री जी इतना कम भी नहीं लिखते हम कि सक्रिय चिठ्ठों की पूंछ में भी न हों …॥:)अच्छा नहीं लिखते ये माने लेते हैं

  5. शास्त्रीजी, आपने जो बताया वह किसी भी महत्वपूर्ण और बड़े काम के लिये लागू होता है।
    अच्छा किया आपने याद दिला कर।

  6. पुस्तक लिखने की यह पुरानी तरकीब आप ने सार्वजनिक की इस के लिए धन्यवाद। वैसे अगर हम अपने लिखे को दुबारा देखें उस का कचरा निकाल दें और उसे संपादित करें तो पुस्तक भंड़ार में वृद्धि सहज होती है। पर पुस्तकों को प्रकाशक तो चाहिए ही?

Leave a Reply to समीर लाल Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *