हार की जीत !!

आज मन एकदम तरोताजा है अत: एकदम व्यक्तिगत विषय पर लिखना चाहता हूँ. मेरे पेशाई सफलता के कारण कुछ लोग पिछले दो महीने से मुझे बहुत अधिक परेशान कर रहे थे. इनके वारों से बचने के लिये मुझे काफी समय बर्बाद करना पडा एवं सारा लेखन बंद हो गया. लेकिन जब उनका सबसे सशक्त हथियार मेरी तरफ आया तो दिनेश जी ने उसके लिये सही समाधान बता दिया. इसके साथ मैं मानसिक रूप से एक दम निश्चिंत होकर लेखन में वापस आ गया हूं.

AnJCPA

इस बीच मुझे एवं मेरे बेटे को एक बुलावा आया, एवं मानसिक निश्चिंतता के कारण मैं अपने बेटे आनंद के साथ अगली सुबह ही निकल पडा. हमारे घर से 130 किलोमीटर दूर इस केंप केंद्र में लगभग 400 युवा मित्र एकत्रित हुए थे. हम दोनों को अलग अलग विषयों पर बोलना था.

JCPSBS08A

मैं ने जीवन में मूल्यों की जरूरत पर क्लास लिया एवं विद्यार्थीयों ने इस विषय को बहुत अधिक पसंद किया. मेरे बेटे आनंद ने पढाई करने के सफल तरीकों पर क्लास लिया एवं उसे भी लोगों ने बहुत पसंद किया. लेकिन पहली बार मैं उससे हार गया जब लोगों ने कहा कि उसका प्रस्तुतीकरण मुझ से बेहतर, बोलने का तरीका मुझ से आकर्षक, एवं कुल फायदा मेरी कक्षा में बैठने से अधिक उसकी कक्षा में बैठने से हुआ. मैं पहली बार अपने बेटे से हार गया.

AnandSBS08A

मैं ने अपनी हार के लिये ईश्वर को कोटि कोटि शुक्र अदा किया, क्योंकि मेरी हार मेरी जीत थी. पिछले 26 साल जो ट्रेनिंग उसे दी गई उस कारण आज वह मेरे ही पाले में मुझ से बेहतर निकला. मैं खुश हूं.

हिन्दी चिट्ठाकारों में से कई मेरी उमर के हैं. वे निश्चित रूप से मुझ से सहमत होंगे कि मेरी यह हार मेरी जीत थी. जो मुझ से उमर में छोटे है, उनको मैं याद दिलाना चाहता हूं कि ईश्वर ने उनको जो बच्चे दिये हैं उन्हें ईश्वरदत्त निधि समझ कर अधिकतम समय उनके मानसिक पालनपोषण एवं नैतिक नीव डालनें में बितायें. आप को कभी भी अफसोस न होगा.

ईश्वर करें कि कल आप भी हार का मूँह देखें!!!

Share:

Author: Super_Admin

10 thoughts on “हार की जीत !!

  1. शास्त्री जी, आप को इस हार की ढ़ेरों बधाईयां और ऊपर वाले से यही कामना है कि आप भविष्य में भी अपने साहिबज़ादे से ऐसे ही हारते रहें और आप इसी तरह अपनी हार का जश्न मनाते रहें।
    भविष्य के लिये भी शुभकामनायें।

  2. यह तो ठीक है. लेकिन पेशाई सफलता क्या थी और दिनेश जी ने उसे कैसे हल किया. इस पर भी लिखें.

  3. आप को अपनी (हार नहीं)जीत पर ढेर बधाइयाँ। नयी पीढ़ी हमेशा ही आगे जा सकती है। उस के पास पिछली पीढ़ियों के ज्ञान के साथ स्व-अर्जित ज्ञान भी तो होता है जिस से पुरानी पीढ़ी वंचित रह जाती है।
    सबक-पुरानी पीढ़ी नई से लगातार सीखते हुए ही उन से कदम मिला कर चल सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *