अपने चिट्ठे पर विज्ञापन देना चिट्ठाकारी द्वारा आय का सबसे अच्छा साधन है.
आज जालगत में सैकडों कंपनियां इस तरह के विज्ञापन उपलब्ध करवाती है, लेकिन इनमें सबसे अधिक आय गूगल के विज्ञापनों से होती है. कारण यह है कि गूगल का विज्ञापन-मकडा (जो उसके खोज-यंत्र मकडे से अलग है) आपके चिट्ठे को नियमित रूप से "बांच" कर आपके चिट्ठे की विषयवस्तु के आधार पर यह तय करता है कि इस चिट्ठे द्वारा आकर्षित पाठक किस तरह के विज्ञापन से आकर्षित होंगे. यह एक आसान काम नहीं है, लेकिन मकडे द्वारा जानकारी एकत्रित करने एवं स्वत: उसका विश्लेषण करने में गूगल को महारथ हासिल है. इस प्रक्रिया के कई चरणों को उन्होंने पेटेंट तक करवा रखा है.
इतना ही नहीं, गूगल का तंत्र आपके चिट्ठे, उसके पाठक, उन द्वारा चटकाये गये विज्ञापन, उसके द्वारा आपको होने वाली आय आदि पर सतत नजर रखता है. (गूगल वाकई में कभी नहीं सोता है). इस सतत विश्लेषण द्वारा वह नियमित तौर पर आपके चिट्ठे पर प्रदर्शित किये जाने वाले विज्ञापनों को बदलता रहता है जिससे आपको अधिकतम आय हो. चूंकि जितने अधिक विज्ञापनों पर पाठक चटका लगायेंगे, उतनी ही अधिक आय गूगल को भी होगी, अत: गूगल द्वारा प्रदत्त विज्ञापन उनको और चिट्ठाकार दोनों को अधिकतम फायदा देते हैं.
लेकिन हिन्दी चिट्ठों के साथ एक विशेष परेशानी है …. [क्रमश:]
गूगल के विज्ञापनों से अंग्रेजी चिट्ठों पर तो आय हो रही है, लेकिन हिन्दी चिट्ठों को तो वह विज्ञापन ही नहीं दे रहा है।
केवल गूगल ही नहीं, आप भी इतनी रात को दूसरी पोस्ट दे रहे हैं मतलब नहीं सो रहे हैं.
सही विश्लेषण चल रहा है, आभार.
मेरा प्रश्न भी दिनेशराय जी जैसा ही है कि गूगल वाले हिंदी चिट्ठों पर तो विज्ञापन देते ही नहीं हैं। इस का समाधान भी बतलाईयेगा। धन्यवाद, शास्त्री जी।
आगे की पोस्ट की प्रतीक्षा है।
good start sir, keep info flowing
सोच रहा हूँ कौन कौन लोग चिट्ठे से कमा रहे है ,अमिताभ का सुना था बाकियों का पता नही…..