पी एन सुब्रमनियन
सदियों पहले से विभिन्न राजाओं के द्वारा अपनी शौर्य गाथा के प्रचार के लिए शिलालेखों का प्रयोग होता रहा है. ऐसे लेखों को हम प्रशश्ति लेख कहते हैं. सम्राट अशोक के लेख कुछ लीक से हटकर हैं. थके हारे राजा और मकड़ी क़ी कहानी पढ़कर मुझे अशोक के ऐसे एक लेख क़ी याद आ गयी जिसमे प्रेरणा निहित है. जबलपुर से चलकर कटनी क़ी ओर जाने पर सलीमनाबाद के निकट रूपनथ का शिलालेख जो संदेश दे रहा है, वह आज के परिवर्तित परिस्थितियों में भी मायने रखती है. शिलालेख का हिन्दी में रूपांतर रायपुर स्थित संग्रहालय द्वारा प्रकाशित ”उत्कीर्ण लेख” से उद्धृत किया गया है.
“देवताओं के प्रिय ऐसा कहते हैं – ढाई बरस से अधिक हुआ क़ि मैं उपासक हुआ पर मैने अधिक उद्योग नहीं किया. किंतु एक बरस से अधिक हुआ जब से मैं संघ में आया हूँ तब से मैने अच्छी तरह उद्योग किया है. इस बीच जम्बूद्वीप में जो देवता अमिश्र थे वे मिश्र कर दिए गये हैं (?!). यह उद्योग का फल है. यह (फल) केवल बड़े ही लोग पा सकें ऐसी बात नहीं है क्योंकि छोटे लोग भी उद्योग करें तो महान स्वर्ग का सुख प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए यह शासन लिखा गया क़ि छोटे और बड़े (सभी) उद्योग करें. मेरे पड़ोसी राजा भी इस शासन को जाने और मेरा उद्योग चिर स्थित रहे. इस बात का विस्तार होगा और अच्छा विस्तार होगा; कम से कम डेढ़ गुना विस्तार होगा. यह शासन यहाँ और दूर के प्रांतों में पर्वतों क़ी शिलाओं पर लिखा जावे. जहाँ कहीं शिलास्तंभ हों वहाँ यह शिलास्तंभ पर भी लिखा जावे. इस शासन के अनुसार जहाँ तक आप लोगों का अधिकार है वहाँ आप लोग सर्वत्र इसका प्रचार करें. यह शासन उस समय लिखा जब (मैं) प्रवास कर रहा था और अपने प्रवास के २५६ वें पड़ाव में था.”
रूपनथ क़ी जबलपुर दूरी लगभग ८० क़ी.मी. है और अपने प्राचीन शिवलिंग के लिए अधिक जाना जाता है. संभवतः अशोक के प्रवास के समय भी वहाँ कोई हिंदू धार्मिक स्थल (शिव मंदिर) रहा होगा. (अँग्रेज़ी में मूल लेख यहाँ पढ़ सकते हैं)
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जैन और बौद्ध साहित्य में भारत का जम्बूद्वीप आता है. क्या यह एक प्रचलित शब्द रहा होगा?
आभार इस आलेख को यहाँ प्रस्तुत करने का.
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-समीर लाल
–उड़न तश्तरी
आदरणीय, आभार. हमारे वेदों और पुराणों में भी जम्बूद्वीप का उल्लेख हुआ है. (ऐसा मैने सुन रखा है). यजुर्वेद के कर्मकांडों में जम्बूद्वीप का उल्लेख मंत्रों में मैं करता भी रहा हूँ. अतः एक बड़े भू भाग जिसमे भारतवर्ष भी आता है, के लिए “जम्बूद्वीप” का प्रचलन रहा है.
समीर लाल जी कुछ नाराज़ से लग रहे हैं. मैं दूसरों को पढ़ता ज़रूर हूँ पर यह सही है कि टीका टिप्पणी करने से बचता रहा हूँ. हिन्दी में टंकण करने में मुझे कितना समय लगता है इसका अंदाज़ा आपको नहीं होगा. अपने को सुधारने का प्रयास करूँगा. कृपया क्षमा कर दें.
अशोक ने जीवन के लिए अनेक महत्वपूर्ण सूत्र बौद्ध धर्म ग्रहण करने पर सीखे और जनता के बीच उन्हें प्रचारित किया। इसी ने उसे महान शासक बनाया।
इस क्षेत्र में कई स्थानों पर ऐसे पुरावशेष मौजूद थे लेकिन देखभाल और संरक्षण नहीं होने से सब नष्ट हो गए.