हिन्दी चिट्ठाजगत का सौभाग्य है कि इसके आरंभ से ही एक से एक उत्साही चिट्ठाकार निस्वार्थ नजरिये से लोगों को चिट्ठाकारी के तकनीकी पहलू सिखाने के लिये तय्यार रहे थे.
मुझे नारद के कर्णधारों ने ऊगली पकड कर चिट्ठाकारी सिखाई. रवि रतलामी जैसे लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर मेरे प्रश्न के जवाब दिये. लेकिन चिट्ठों की संख्या जैसे जैसे बढी, मदद करने वालों की संख्या भी बढना जरूरी है एवं ऐसा हो भी रहा है. हिन्द युग्म का नाम इस क्षेत्र में विशेष है क्योंकि वे हिन्दी चिट्ठाकारी, एवं चिट्ठाकारी की हर विधा, के प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं.
व्यक्तिगत स्तर पर इस कार्य के लिये जो चिट्ठे उभरे हैं उनमें से एक है ब्लाग्सपंडित एवं उसके चिट्ठाकार ईगुरू राजीव. ये काफी उत्साही जीव हैं एवं इन दिनों इनकी लेखनी से अनवरत लेखों का प्रवाह चल रहा है चिट्ठाकारी के हर पहलू पर. ब्लाग लिखने के सात कारणों पर इनका एकदम नया चिट्ठा पढने लायग है.
चिट्ठे पर ऊपर ही इन्होंने लिख रखा है: “ब्लॉग कैसे बनाएं ? ब्लॉग कैसे सजाएं ? रुपये कैसे गिनें और ब्लॉग से आय कैसे बढायें ? ऐडसेंस या कोई और विकल्प चुनें ? और यदि चुनें तो किसे और क्यों !! उधेड़ डालूँगा हर Secret ( राज़ ) को मैं ई-गुरु राजीव” . इसे पढकर मुझे लगा कि उधेडते उधेडते कहीं मुझ जैसे चिट्ठकार को न उधेड दें, इस कारण पहले ही इन पर एक लेख लिख कर इनकी “चिलम भर दी जाये” !!
कृ्पया ऊपर दिये गये चित्र पर चटका लगा कर इनके बहुत उपयोगी एवं बहु आयामी चिट्ठे की सैर कर आयें. हां इनके कहने के अनुसार चिट्ठों पर आपसी जो विज्ञापन दिखते हैं उन पर चटका लगा कर एक दूसरे को प्रोत्साहित जरूर करें. लेकिन अनजाने भी किसी मित्र के चिट्ठे पर गूगल के विज्ञापनों पर अनावश्यक चटका न लगायें. गूगल के हाथ बहुत लम्बे हैं एवं उनका संगणक दिनरात उनके विज्ञापनों पर आने वाले अनावश्यक क्लिकों पर नजर रखता है.
जरूरी हैं ऐसे चिट्ठे।
ऐसे शिक्षाप्रद ब्लाग्स भी जरूरी हैं. पर ब्लाग को ब्लाग ही रहना चाहिये, पैसा कमाने का माध्यम नहीं बनाना चाहिए. शुरू में, मैं भी अपने ब्लाग्स पर एडसेंस जैसे पैसा कमाने के तरीकों के चक्कर में रहता था, पर बाद में मुझे लगा कि यह सही नहीं है.
देख आये। अच्छा ब्लॉग है। बताने के लिये धन्यवाद।
ऐसे ब्लॉग काफी मदद करते हैं, नए लोगों की, इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
जानकारी के लिए धन्यवाद
ऐसे-ऐसे गुनी लोग हैं और हमको पता ही नहीं। राजीव का काम वाकई हिन्दी के लिये टॉनिक जैसा है। शास्त्रीजी, आप ने इस महान ब्लाग से हमको अवगत कराया, साधुवाद!
धन्यवाद शास्त्री जी, मेरी जबरदस्ती की बड़ाई के लिए 🙂
और आप सभी लोग भी मेरी तारीफ करने के बराबर के दोषी हैं, अतः आप सभी को दंड-स्वरूप मेरे लिखे लेखों को पढ़ना होगा. 🙂
मैं शीघ्र ही आप लोगों को ब्लोगिंग के साथ-साथ ही बहुत सारी जानकारियाँ देने का प्रयास करूंगा, यह सब बस अद्वितीय ही होने वाला है.
अब यह अभिमानी वाक्य है या सच्चाई आप एक सप्ताह के अन्दर समझ जायेंगे.
सिर्फ़ एक सप्ताह दीजिये इस अद्वितीय को सत्य करने के लिए.
मेरे जैसे अनाड़ी, जिज्ञासु और उत्साही नौसिखिए ब्लॉगर के लिए ई-गुरू राजीव जी क्या मदद कर सकते हैं यह देखने उनके ब्लॉग पर ही जाता हूँ। शास्त्री जी को धन्यवाद…।
मेरे जैसे अनाड़ी, जिज्ञासु और उत्साही नौसिखिए ब्लॉगर के लिए ई-गुरू राजीव जी क्या मदद कर सकते हैं यह देखने उनके ब्लॉग पर ही जाता हूँ। शास्त्री जी को धन्यवाद…।
गलती से यह टिप्पणी रचना (मेरी पत्नी)के नाम से दर्ज हो गयी। लेकिन बात उनके लिए भी इतनी ही सही है।
मैने देखा है यह ब्लॉग. शुक्रिया