हिन्दुस्तानी एकेडेमी (इलाहाबाद)
हिन्दी प्रेमी भाइयों और बहनों,
आज १२-१३ सितम्बर की मध्य रात्रि के समय मैं ‘हिन्दुस्तानी एकेडमी’ को अन्तर्जाल पर उतारने का दुस्साहस कर रहा हूँ। जी हाँ, दुस्साहस इस लिए कि इस संस्था का इतिहास जिन लोगों से बना है, उनके व्यक्तित्व के आगे मेरी गिनती सूर्य के आगे एक दीपक की भी नहीं है। हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वानों, शोधकर्ताओं, मनीषियों, और लब्ध-प्रत्तिष्ठ साहित्यकारों की कर्मस्थली रही इस एकेडमीं के बारे में कुछ लिख सकने की क्षमता मुझ जैसे गैर साहित्यिक विद्यार्थी के लिए दुस्साहस ही तो है।
लेकिन मैने इस संस्था में अपनी भूमिका साहित्य लिखने या इसकी समीक्षा करने की नहीं तय की है। बल्कि श्री राज्यपाल महोदय द्वारा इस संस्था के एक गैर साहित्यिक (कोषाध्यक्ष) पद हेतु नामित किए जाने की सहर्ष स्वीकृति के बाद इस उत्कृष्ट प्रांगण में प्रवेश करने का बहाना मिलने पर मैने अपने चिठ्ठाकारी के अत्यल्प अनुभवों का ही प्रयोग कर इस बिसरायी जा रही संस्था को आप सबके ध्यान में लाने और इसके गौरव को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए आप सभी के सक्रिय योगदान की अपील करने के लिए मैने इस ब्लॉग का माध्यम चुना है।
अतः, हे हिन्दी सेवी ब्लॉगर बन्धुओं एवं अन्यान्य विद्वतजन, मेरा अनुरोध है कि अपनी प्रिय भाषा की उन्नति व प्रगति के लिए आप जो भी और जिस रूप में भी कर रहे हैं, उसकी जानकारी इस मंच पर टिप्पणी के माध्यम से अथवा अपनी रचनाओं को ई-मेल अथवा डाक के माध्यम से संस्था को उपलब्ध कराकर दें। हिन्दी-विमर्ष के इस मंच पर निःस्वार्थ सेवा के उद्देश्य से अवश्य पधारें।
उत्तर प्रदेश शासन के भाषा विभाग द्वारा इस संस्था के माध्यम से निम्न योजनाएं संचालित की जाती हैं:
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मौलिक हिन्दी कृतियों में सृजनात्मक साहित्य का प्रकाशन।
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हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय तथा विदेशी भाषाओं के काव्य, नाटक व कथा साहित्य का हिन्दी अनुवाद तथा प्रकाशन।
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प्रतिष्ठित विद्वानों तथा साहित्यकारों की व्याख्यानमाला का आयोजन।
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हिन्दुस्तानी त्रैमासिक नाम से साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन।
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उत्कृष्ट कोटि के एवं प्राचीन साहित्यिक संदर्भग्रन्थों के पुस्तकालय का संचालन।
शीघ्र ही यहाँ ‘एकेडमी’ में संरक्षित अमूल्य साहित्यिक धरोहर से आप सबको परिचित कराने का क्रम प्रारम्भ किया जाएगा। इससे यदि आप पहले से किसी रूप में जुड़े रहे हों तो अपने संस्मरण भेज सकते हैं। आपके सहयोग का स्वागत है।
(‘हिन्दुस्तानी’ त्रैमासिक में प्रकाशित रचनाओं का कोई पारिश्रमिक संस्था द्वारा फिलहाल भुगतान नहीं किया जाता है।)
ई-मेल: hindustaniacademy@gmail.com
मेरा मेल: tripathito@gmail.com
डाक का पता: १२डी, कमला नेहरू मार्ग, इलाहाबाद (उ.प्र.) २११००१
आपसे अनुरोध है कि इस संस्था के बारे में और इसके उद्देश्यों से अपने इष्टमित्रों को अवश्य परिचित कराएं।
-सिद्धार्थ
हिन्दुस्तानी एकेड्मी के इस सार्थक प्रयास के लिए अनेकों शुभकामनाऐं.
-सिद्धार्थ
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Aapka Apna
Vijay Sharma,
आप का ये ईमेल कम से कम १०० लोगो के ईमेल id पर आ चुका हैं . आप सब को पता ही हैं आज कल इन्टरनेट के जरिये बहुत सी वारदातों को अंजाम दिया जाता हैं और wi fi और ईमेल hack करके आंतकवादी काम कर रहे हैं . आप सबके ईमेल To और CC मे डाल कर सबको ईमेल कर रहे हैं इस से आप ना केवल स्पैम बढ़ा रहे हैं अपितु सबके id को ओपन भी कर रहे हैं . BCC की सुविधा का उपयोग भी होता हैं . एक साथ आप १०० लोगो के पते आगे भेज रहे हैं . अगर ये मेल कभी भी किसी ग़लत बॉक्स मे चली गयी तो अंजाम बुरा भी हो सकता हैं . कभी इस पर भी विचार करके देखे . हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये अगर इंग्लिश मे इजाद की हुई तकनीक को इस्तमाल कर रहे तो विनर्म निवेदन हैं समझ कर सावधानी से करे . कल के हमले मे भी wi fi connection hack हुआ है . इस सार्वजनिक मंच पर इस बात को कहने का मकसद हैं की बात सब तक पहुचे .
बस इतना सा अनुरोध है कि इस संस्था को साहित्यकारों की संस्था बनने से ज्यादा आम जनता की संस्था बनाएं….और साहित्य को आमजन से जोड़ने का प्रयास करें
शुभकामनाएं
मेरी गिनती सूर्य के आगे एक दीपक की भी नहीं है.
अच्छी उपमा दी आप ने, अब हम कहाँ जायें. 😉
हिन्दुतान एकेडमी की जय हो और आप को बधाई.
लेकिन मैं क्या योगदान करूंगा, मैंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है. 🙁
शास्त्री जी,
मैने ‘हिन्दुस्तानी एकेडमी’ को ब्लॉग पर लाकर इसकी पहली पोस्ट के रूप में यह परिचयात्मक आलेख लिखा था। व्यक्तिगत ब्लॉग बनाने के बजाय मैने इसे सभी हिन्दी प्रेमियों के योगदान से आगे बढ़ाने का निश्चय किया है। इसीलिए मैने उन लोगों तक इसका संदेश बना कर प्रेषित किया था जिनसे व्यक्तिगत ई-मेल का आदान-प्रदान पूर्व में कर चुका हूँ।
यहाँ इस आलेख को नयी पोस्ट के रूप में देखकर सुखद आश्चर्य हुआ है। आपको कोटिशः धन्यवाद।
मुझे अभी ध्यान आ रहा है कि पिछले दिनों Hi5 के द्वारा विजय शर्मा नामक किसी अज्ञात व्यक्ति ने अवांछित मेल भेज-भेजकर मेरे अतिरिक्त अन्य बहुत लोगों को भी तंग कर दिया था। मुझे हारकर इसका फिल्टर बनाना पड़ा था। तबसे इस नाम से मुझे कोई मेल नहीं मिला। आज यही नाम यहाँ देखकर तथा रचना जी की टिप्पणी पढ़कर थोड़ी उलझन हो रही है। शायद मेरी मेलिंग लिस्ट में विजय शर्मा जी का नाम भी जी-मेल वालों ने अबतक सहेज रखा है।
आपकी पोस्ट में यह नाम आने का माजरा क्या है, आप बेहतर बता सकते हैं।
सादर!
आपका लेख पढ़ा -आप बहुत अच्छा काम कर रहे है =मैं किस काम आसकता हूँ आदेशित करे =मैं लिखता हूँ लेकिन उसे कहीं भेजना नहीं आता /एक सज्जन ने ब्लॉग बनवा दिया था सो उस पर यदा कदा लिख देता हूँ वोह ब्लॉग आपको कैसे पढ़बाऊ नहीं जनता / मेरे ब्लॉग का नाम है= कुछ कुछ नहीं बहुत कुछ होता है = गूगल में ब्रिजमोहनश्रीवास्तव लिकने पार मेरा खाता खुल जाता है और उसमें मेरे ब्लॉग की लाइन होती है =इसके अलावा मुझे इन्टरनेट पर कुछ नहीं आता =सिर्फ़ इनता ही रिश्ता समंदर से है दूर तक हम किनारे किनारे गए / आप जैसे विद्वान लेखों को पढ़ कर मार्गदर्शन देंगे तो मैं आपका आभारी रहूँगा =आप मुझे निराश नहीं करेंगे ऐसी उम्मीद है
शुभकामनाएं