तलाक: डूबता जहाज एवं भागते चूहे!!

पुराने जमाने के लकडी के बने जहाजों में  खटमल, पिस्सू एवं चूहों का राज होता था.  अनुभवी मल्लाह बताते हैं कि जब इस तरह का कोई जहाज डूबने पर होता था तो चूहे सबसे पहले जहाज से बाहर कूद जाते थे, जबकि अनुभवी मल्लाहों को भी इस बात भान नहीं हो पाता था कि जहाज डूब जायगा.

मजे की बात यह है कि जीवनरक्षा के लिये जो चूहे जहाज छोड जाते थे वे सब सहारा न होने के कारण डूब मरते थे, लेकिन उनको देख मुसीबत समझ कर मल्लाह लोग जो उपाय करते थे उससे अधिकतर मानव जिंदा बच जाते थे.  वे चूहे इस बात की सूचना हैं कि मुसीबत को समझने का मतलब यह नहीं है कि हम उसका हल भी जानते हैं. जहाज छोडने के बदले यदि वे यात्रीगण जिन लकडी के तख्तों एवं रक्षक-नावों पर तैर कर बचते थे उसका सहारा ले लेते तो वे भी जिंदा

आजकल वैवाहिक जीवन भी कुछ डूबते जहाज को पीछे छोड भागने वाले चूहों के समान होने लगा है. जैसे ही कोई छोटी सी (सामान्य) समस्या आई नहीं कि एकदम पुरुष और स्त्री को लगता है कि उसे जीवनसाथी में कोई खोट है अत: उसे छोड कर यदि एक नये जीवनसाथी को कबाड लिया जाये तो सब कुछ अच्छा हो जायगा. लेकिन अनुसंधान बताते हैं कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है.

तलाक एवं पुनर्विवाह जिन देशों में आम चलन है वहां दसहजारों में तलाकशुदाओं पर अनुसंधान हुआ है एवं एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है – जो लोग सामान्य समस्याओं को हल करने के बदले तलाक का सहारा लेते हैं, वे अगले विवाह के बाद भी उसी नजरिये से कार्य करते हैं. इन देशों में तलाकशुदा लोगों में 60 से 80 प्रतिशत लोग 3 से 4 बार तलाक एवं पुनर्विवाह करते हैं, लेकिन जिस खुशी का पीछा कर रहे थे वह मरीचिका निकलती है.

असामान्य समस्याओं में (जैसे पाश्विक, अपराधी, पागल, नपुंसक जीवनसाथियों के मामले में) तलाक जरूरी हो जाता है, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होती है एवं मेरा यह लेख ऐसे लोगों के बारे में नहीं है. इस आलेख में मैं वैवाहिक जीवन की सामान्य परेशानियों एवं विषमताओं की चर्चा  कर रहा हूँ जिनको समझदारी के द्वारा, परामर्श के द्वारा, या परिवार के बढेबूढों की सहायता से सुलझाया जा सकता है. ऐसी समस्याओं में जहाज छोड कर भागने में क्षणिक अकलमंदी है लेकिन उसका परिणाम दूरगामी विनाश है.

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Author: Super_Admin

5 thoughts on “तलाक: डूबता जहाज एवं भागते चूहे!!

  1. कई बार मेरे मन में विचार आता है।
    माँ बाप, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन से भी मतभेद होते हैं लेकिन इन निकट रिश्तेदारों से फ़िर भी किसी तरह समझौता कर लेते हैं। रिश्ते तोड़ने के बारे में सोचते ही नहीं।
    केवल पती पत्नि का रिश्ता ही क्यों ऐसा है की तलाक की नौबत आ जाती है?

    यदि कोई यह कहे कि मुझे मेरी माँ, बाप, भाई बहन पसन्द नहीं, मैं उनके साथ जी नहीं सकता, मैंने उन्हें चुना नहीं, मैं क्यों उनहें सहन करूँ? मुझे रिश्ता तोड़ना है, तो बात समझ में आ सकती है।
    पर आजकल हम पति – पत्नि को सोच समझकर चुनते हैं। फ़िर भी तलाक की नौबत क्यों आती है?

  2. @G Vishwanath

    क्योंकि यह एकमात्र वह रिश्ता है जिसके साथ हम पैदा नहीं हुए है एवं जिसे अपनी इच्छा से स्थापित कर सकते हैं या तोड सकते हैं.

  3. सही कहा आपने।

    इसी लिए कभी कभी मन में यह विचार आता है की जीवन साथी भी यदि पूर्व निश्चित होता तो यह कोई बडी आफ़त नहीं होती।
    विषय से कुछ हटकर:

    कुछ साल पहले मैंने कुछ विदेशी मित्रों को भारतीय समाज का पूर्वायोजित विवाह प्रणाली के बारे में समझा रहा था। वे तो इस प्रणाली को स्वीकार कर ही नहीं सकते थे। उल्टा हमारी इस प्रथा को असभ्य कहने लगे थे। मैंने समझाने की कोशिश की कि मेरी शादी भी इसी प्रकार हुई है और इतने वर्ष हम साथ रहे हैं। यदा कदा नोंक – झोंक तो होती रहेती है पर अलग होनी की बात कभी नहीं होती। सफ़ल और सुखी वैवाहित जीवन, विवाह प्रणाली पर नहीं बल्कि, और बातों के साथ साथ, दंपत्ति की प्रौढता पर निर्भर है। विदेश में वे पहले प्रेम करते हैं और फ़िर विवाह करते हैं, हम योग्यता जांचकर विवाह पहले करते हैं और प्रेम बाद में अपने आप हो जाता है। दंपत्ति को परिवार का पूरा सहयोग और समर्थन भी प्राप्त होता है। इधर -उधर कुछ अपवाद को छोड़कर ऐसे विवाह में तलाक भी कम होते हैं, ऐसा मेरा मानना है।
    मेरे विदेशी मित्र नहीं माने! उल्टा जैसा आपने कहा, वे भी कहने लगे कि यही एक रिश्ता है जो हमारे हाथ में है। बाकी सभी पारिवारिक रिश्ते ईश्वर तय कर चुके हैं। इस विशेषाधिकार को हम क्यों गँवाएं?

  4. SHASTREE JEE,

    MAIN AAPSE MAN KEE POOREE SACHCHAYEE SE SAHMAT HOON.MAINE BHEE TALAQ DIYA AUR FIR USKEE TRASADEE ME MERE SAHIT MERE PARIVAR NE JO BHOGA AUR KEEMAT DEE VAH INSANEE DARD KEE PARAKASHTHA THEE.KASH MUJHE SAMAY RAHTE AKL BHEE AA JAATEE.

    PAR CHAHUNGA LOG BACHEN.MAIN GRANTH BHEE LIKH DOON TO BHEE MEREE MOORKHTA AUR MUJHASE HUYE GUNAH KO KAHANE KO KAM PADEGA.

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