सारथी का प्रण! दिनेशराय द्विवेदी जी द्वारा प्रेरित !!
[Picture Credit: आज तक]
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हमारी आवाज आपके साथ है!!!!!
इस जंग का सिपाही बनना चाहता हूँ . सरफरोशी की तमन्ना रखता हूँ और आतंक से किसी भी स्तर तक जाकर लडूंगा संघटित करे .
इस शपथ को स्थान देने के लिए धन्यवाद!
किसी भी जंग को जीतने के लिये पुरानी पीढी को तैयार होना होगा की वो नयी पीढी के साथ बैठ कर बात करे । हर विचार को सुनना होगा और तैयार करना होगा नयी पीढी को की वो सैनिक बने डरपोक नागरिक ना बने . ताकत और अकल दोनों की जरुँत होती हैं जंग मे . ताकत नवयुवक और नवयुवती मे हैं अगर आप चाहते हैं जंग जीतना तो उस ताकत को जागने वाले बने . जिस दिन हम मे से कोई भी नयी पीढी को अपने साथ लेकर आगे बढेगा जंग ही ख़तम हो जायेगी .अभी तो हर समय हमारा समाज पीढियों और लिंग विभाजन और धर्मं की लड़ाईयां ही लड़ रहा हैं . बच्चो को बड़ा बनाईये उनके हाथ मे “आक्रोश ” दीजिये और आप उस आक्रोश को सही दिशा दीजिये . जिन्दगी की हर जंग आप और हम जीतेगे.
काश, यह तकनीकी कौशल मुझे भी आता । तब, मैं भी द्विवेदीजी वाली शपथ अपने ब्लाग पर प्रस्तुत करने का आत्म सन्तोष पाता ।
जंग तो सदियों से जारी है शास्त्री जी बस आप जैसा योग्य सेनापति चाहिये, सिपाही तो कतारों में खड़े हैं मगर करना क्या है,यह भी तो पता हो,सिर्फ़ हम सब साथ हैं लिख देने से क्या होगा,आतंकवाद के खिलाफ़ कोई मुहिम चलायें,हो सकता है फ़िर आतंकवाद का सफ़ाया हो पाये…
” hum bhee aapke sath hain”
Regards
पूर्णतः सहमत, खासकर “बेनकाब करेंगे” वाली लाईन पर…
मै सुनीता शानू जी की बात से सहमत हूं ।
आतंकवाद के विरुद्ध यह शपथ भारत के संविधान की प्रस्तावना से कम महत्त्वपूर्ण नहीं.
किसी पत्रिका में ऐसे ही लिखा देखा था भारत के संविधान की प्रस्तावना को.उस प्रस्तावना के न जाने कितने अक्षर अब बदल देने का मन करता है.
ईश्वर करे, आतंक के विरुद्ध लड़े जाने वाले युद्ध की यह प्रस्तावना निरंतर गतिशील होने की अक्षय प्रेरणा बन जाय .
साथ हैं !
बिल्कुल शास्त्री जी, ऐसे वक्त में जब मीडिया, अखबार, जनमत तक तय नही कर पा रहा कि किसके साथ जाना है, ऐसे में हम जैसे फ्रीलांसर्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है.
इस मुहिम में सभी साथ हैं.
मैं अपना समर्थन देते हुए शपथ लेता हूँ!!!!
यही प्रण मेरा भी | हम सब साथ है |
हमारे समझ से यह संकल्प प्रत्येक भारतवासी को लेना चाहिए , आप ब्लॉग जगत में एक स्तंभ हैं , मेरी प्रतिक्रया पर अन्यथा न लें , मैं ब्लॉग जगत में अभी नयी हूँ . आप मेरे ब्लॉग का अवलोकन करें , मुझे अच्छा लगेगा !
इस मुहिम में सभी साथ हैं.
जाने क्यूं मुझे ये लगता है…कि ये सब कहने-सुनने की बड़ी-बड़ी बातें हैं….सब भूल जाने वाले हैं चंद दिनों बाद…
कारगिल के पश्चात भी कुछ ऐसी भावनाओं,कुछ ऐसे ही आक्रोश ने सर उठाया था….नतिजा तो सिफ़र ही रहा….तभी कई “उन्नी” शहीद हुये थे…अब भी “उन्नी’ शहीद हो रहे हैं
जाने क्यूं मुझे ये लगता है…कि ये सब कहने-सुनने की बड़ी-बड़ी बातें हैं….सब भूल जाने वाले हैं चंद दिनों बाद…
कारगिल के पश्चात भी कुछ ऐसी भावनाओं,कुछ ऐसे ही आक्रोश ने सर उठाया था….नतिजा तो सिफ़र ही रहा….तभी कई “उन्नी” शहीद हुये थे…अब भी “उन्नी’ शहीद हो रहे हैं
गौतम जी ने सही कहा है………….नतिजा तो सिफ़र ही रहा.
यकीनन, यह जंग हमें जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
जरुर जीतेगे॥। मेरी भारतमॉ के दुश्मनो से लडने कि पुरी तैयारी है,आप तो हुकम करो कब चलना है।एवम मेरे खुन का एक एक कतरा मेरी भारत मॉ के लिये हाजिर है।
वन्दे मातरम॥॥
जय हिन्द॥॥
भारत माता की जय हो॥॥