कल दिसम्बर 25 को बडी खुशी के साथ ईसाजयंती मनाई गई, लेकिन साथ साथ यह प्रश्न भी बहुत मनों में छोड गई कि यह सांता क्लॉज कौन है?
यह नाम लाल परिधान एवं लम्बी टोपी पहने, पीठ पर तोहफों का भारी थैला टांगे, एक बुजुर्ग के नाम के रूप में प्रयुक्त होता है. चूंकि यह पश्चिमी देशों से आई एक अवधारणा है इस कारण अधिकतर भारतीय इस नाम के पीछे छिपे संदेश को नहीं जानते हैं. कई लोग सांता क्लॉज को ही ईसा समझ लेते हैं.
दर असल यह “निकोलस” नामक व्यक्ति के नाम का एक परिवर्तित रूप है. सैकडों साल पहले यूरोप में जन्मा यह बुजुर्ग ईसा का एक समर्पित अनुयाई था. वह ईसाजयंती के दिन किसी भी व्यक्ति को धन की कमी के कारण त्योहार मनाने से वंचित नहीं देखना चाहता था. इस कारण वह लाल रंग के विशेष वेशभूषा में (अपना चेहरा छुपा कर) गरीबों के घर जाकर खानपान की सामग्री एवं बच्चों के लिये खिलौने बांटा करता था.
निकोलस धनी नहीं था अत: उसके इस त्याग को देख कर लोग उसे “संत निकोलस” (सेंट निकोलस) नाम से संबोधित करने लगे. उसकी मृत्यु के बाद उस तरह की वेशभूषा में लोगों को जरूरी सामग्री बांटना कई लोगों की आदत बन गई. ये सब संत निकोलस कहलाये जाते थे. कालांतर में सेंट निकोलस नाम बदल बदल कर “सांता क्लाज” हो गया.
कुल मिला कर कहा जाये तो “सांता क्लाज” उसी बात को प्रदर्शित करता है जो ईसा का संदेश था कि हर किसी को अपने पडोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिये.
नोट: कई बार ईसाजयंती (क्रिसमस) मनाते समय लोग अनजाने सांता क्लाज को एक जोकर के समान नाचते हुए दिखाते हैं. यह गलत है क्योंकि एक दानशाली महामानव को एक जोकर के रूप में प्रदर्शित करना दान की आत्मा का उपहास है.
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सांटा क्लाज के बारे में जानकारी बांट ने के लिए आभार!
कल शाम जब दूध लेने बाजार गया तो वहाँ दो सांटा मिले एक बड़ा और एक छोटा। दोनों सब को टाफियाँ बांट रहे थे। अच्छा लगा देख कर।
अच्छी जानकारी के आभार !
आपने जो नोट लिखा है, वह बहुत सही है.
सान्ता क्लाज का सामुदायिक प्रेम-भाव बार-बार अपनी ओर आकर्षित करता है. ’स्व’ को पर-हर्ष के लिये समर्पित करना ’सांता क्लाज’ से अच्छा और कौन बता सकता है?
धन्यवाद.
“सांता क्लाज” उसी बात को प्रदर्शित करता है जो ईसा का संदेश था कि हर किसी को अपने पडोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिये.
सांटा क्लाज के बारे में जानकारी बांट ने के लिए आभार!
Regards
शास्त्री जी, मैंने भी एक बार किताब में पढ़ा था इसके बारे में. जानकारी अपडेट करने के लिए धन्यवाद.
धन्यवाद, सांटा से मिलवाने के लिये!
क्रिसमस की बधाई.
एक संत का व्यवसायिक दोहन अच्छा नहीं लगता…बाकी सबकी मर्जी….
सांता क्लॉस को जोकर बना दिया. सब ग़लती टोपी की है!
“संत निकोलस” (सेंट निकोलस) को नमन !
काश हमारे समाज मे भी कुछ थोडे से लोग बाते बनाने की बजाय संत निकोलस के जैसे हो जायें तो यह मानवता सुखी हो जायेगी !
आपने बहुत अच्छी जानकारी दी जो कई लोगो को मालुम भी नही होगी !
रामराम !
क्रिसमस की बधाई संत निकोलस महान भावना से परिपूर्ण थे। एक सच्चे सह्रदय इन्सान। इस जानकारी के लिये धन्यवाद।
सारथी जी,
इस सार्थक जानकारी के लिए आपको साधुवाद, हमारी सर्वधर्म समभाव की भावना के लिए शांता से बढिया उदाहरण नही हो सकता.
इस जानकारी के लिए शुक्रिया !
shashti jee, dhanyavaad ye kaam kee jaankaaree aur rochak kahani ke liye bachpan se lekar aaj tak to hamein bhee nahin pataa thee ye baat.
अच्छी जानकारी भरी पोस्ट…।
क्रिसमस पर बाजार का हाबी होना भारत में सांता क्लाज की मसखरी छवि के प्रदर्शन को बढ़ावा देने वाला साबित हुआ है।
शुक्रिया इस जानकारी का
… आपकी उपरोक्त जानकारी ज्ञान वर्धक एंव भावपूर्ण थी … गुरसिख