सौ स्विच, बिजली कहीं नहीं !!

Fuse मेरे घर के निर्माण के समय मैं ने हर जगह बिजली के बल्ब एवं प्लग-साकेट लगवाये थे. मेरी सोच यह थी कि हर जगह बिजली/रोशनी की सुविधा होनी चाहिये इस कारण अकेले बैठक में तीन ट्यूबलाईट एवं दो सीएफएल हैं. सादा फ्यूज के बदले मिनिचर सर्किट ब्रेकर, और बिजली के लीकेज से बचाव के लिये 5000 रुपये का ईएल बीसी भी लगवा रखा है.

इन्वर्टर भी लगवा रखा है अत: आठ दस घंटे बिजली न मिले तो कोई फरक नहीं पडता. पिछले दिनों सुबह बिजली गई तो रात तक न आई. पावर कट तो चलता रहता है, पर कोई फरक नहीं पडा, इन्वर्टर जो था. शाम को इन्वर्टर जवाब दे गया लेकिन “पावर-कट” खतम न हुआ.

लेकिन जब रात को अडोस पडोस में बत्तियां जलने लगीं तब खुटका हुआ कि अपने घर बिजली क्यों नहीं है. घर के अंदर के सारे मिनिएचर सर्किट-ब्रेकर एक एक करके जांचे गये.  फ्यूज के बदले  ये महंगे उपकरण इसलिये लगवाये गये थे कि बार बार फ्यूज के तार न बदलना पडे. सब कुछ सही था लेकिन बिजली नहीं थी. लगा कि अब बिजली डिपार्टमेंट को फोन लगाना पडेगा. वे लोग तो अपनी मर्जी के मालिक है, पता नहीं कब आयें.

झुंझलाते हुए दूरभाष तक पहुंचा ही था कि अचानक याद आया की बाहर मीटर के नीच एक फ्यूज है. बिजली की वायरिंग में कुल मिला कर एक सस्ता उपकरण था और वह था यह फ्यूज. दौड कर उसे देखा तो तो सब कुछ सही लगा. लेकिन उसे निकाल कर देखा तो पता चला कि तार जला हुआ है.

हजारों रुपये की वायरिंग, दस हजारों रुपये के सुरक्षा उपकरण, इतने का इन्वर्टर — लेकिन महज एक पांच पैसे के तार के पिघलने पर सब बेकार हो गया था उस दिन. यही है मानव जीवन.

अकसर हम अपने जीवन की बडी बडी बातों के कारण अपने आप को बडी तसल्ली देते हैं. यह भूल जाते हैं कि कई बार “असली रस” बहुत छोटी सी बातों में छुपा होता है. उदाहरण के लिये, हम में से कई लोग बहुत कुछ योग्यता रखते हैं, लेकिन एक छोटी सी बात –  अनुशासन –  की कमी के कारण बाकी सब कुछ (धनधान्य, पढाई, ओहदा, सुअवसर) बेकार हो जाते हैं.

सौ स्विच पर बिजली नहीं, महज तार के एक बेकार से लगने वाले टुकडे के कारण. कहीं आपका जीवन भी ऐसा तो नहीं है? प्रण करें कि सन 2009 में आप ऐसा नहीं होने देंगे.      

 

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Picture By: jazamarripae

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Author: Super_Admin

16 thoughts on “सौ स्विच, बिजली कहीं नहीं !!

  1. बहुत ही अच्छे से relate किया है जीवन में अनुशासन – की आवश्यकता और प्रस्तुत बिजली की घटना को..
    आभार

  2. बहुत ही प्रभावी आलेख।
    रहीम ने भी कुछ ऐसा ही कहा है:-
    ‘रहिमन देखि बड़ेन को,लघु न दीजिये डार’

  3. जीवन मे भी एक ऐसा फ्यूज बाएर है जो फुक जाए तो सब खत्म वह है चरित्र . ऐसा मे मानता हूँ .

  4. बहुत सुन्दर बात कही आपने. असल मे जिन्दगी भी छोटि छोटि खुशियों का ही नाम है पर हम कोई वजनी खुशी के इन्तजार मे जीवन निकाल देते हैं. आजकी सुन्दरतम पोस्ट के लिये बधाई.

    रामराम.

  5. प्रसन्नता हुई की हम पुनः १३वें क्रम में हैं. सुबह से कोशिश कर रहें हैं लेकिन किसी भी ब्लॉग पर कॉमेंट नहीं कर पा रहे थे. नेट का ही फ्यूज़ उड़ गया है. ना जाने कब तक यही हाल रहेगा. आपने बड़ी सुंदर बात करी है लेकिन प्राण करने वाली बात पर आकर हम अटक गये. ठीक है हम प्राण करते हैं की फ्यूज़ ही नहीं रखेंगे, सारे प्राब्लम की जड़ तो वही है ना?

  6. हमेशा की तरह प्रेरणादायी आलेख। आपको प्रणाम और धन्यवाद!

    देखने छोटी लगने वाली अनेक बातों का जीवन की सार्थकता में बहुत बड़ा योगदान होता है। आवश्यकता है इन्हें पहचानने और उचित महत्व देने की।

  7. मैं तो यही समझा कि जब आप जैसे अनुभवी को यह पता करने में देर लगी कि समस्या ऊपर से नहीं घर के अन्दर है . तो हम किस खेत के आदमी हैं . अपने फ्यूज को ढूँढना हर किसी के बस की बात नहीं . फिर भी कोशिश करते हैं .

  8. Sir
    App bahut achcha likhte hain. Mene aapka personality development bhi suna hai. aap bolne men aur likhne men jo word use karte hain wo sudh hindi men hote hain magar pata nahi log aaj kal kiyon hindi men english ko ghusate rahte hain.

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