गुण्डे काबू किये जा सकते है!

समाज के विभिन्न तबकों में समय समय पर गुण्डों का राज हरेक को दिखता है. कभी यह अनाज की दलाली में होता है तो कभी यह सरकारी दफ्तरों के दलालों में दिखता है. ऐसा कोई नहीं है जो इन से त्रस्त न हो. लेकिन यदि जिम्मेदार लोग कमर कस लें तो गुण्डे काबू में लाये जा सकते हैं.

कुछ साल पहले मैं एक 300-बेड अस्पताल के 11 डायरेक्टरों में से एक था. लगभग 75 साल पुराने इस अस्पताल में वार्डब्वाय से लेकर एक्सरे थियेटर तक हर जगह गुण्डों का राज चलता था. लेकिन हम 11 लोगों में से कुछ कटिबद्ध थे कि इस गुण्डा राज को मटियामेट करना है. अंत में हम 11 लोगों में से एक को जान बूझ कर हम ने अस्पताल का नया मेनेजर बनाया. अगले 11 महीनों में उन्होंने लोगों की यह हालत कर दी कि हर कोई उनके सामने नाक रगडने लगा. हां, एकाध दो प्रदर्शन जरूर हुए, लेकिन अंत में स्थिति काबू आ गई.

सबसे पहले तो एक दमदार वकील को अस्पताल के लिये अनुबंधिक किया. इसके बाद सबसे पहले अस्पताल की दीवार के अंदर लेकिन मुख्य इमारत के सामने जो आटोरिक्शे वाले मनमाना खडे रहते थे और जो आनेजाने वाली स्त्रियों एवं नर्सों पर छींटा कसते थे उन सब को एक फार्म दिया गया – जो ड्राईवर अपनी आटो लेकर इस निजी अस्पताल के कंपाऊंड के अंदर खडा रहना चाहता है वह इस फार्म को जमा कर के अनुमति प्राप्त कर ले. एक दूसरे पर टूट कर फार्म भर दिया तो इस शर्त के साथ अनुमति दी गई कि वे अपने पहचान के लिये सचित्र कागजात, स्थाई पते का प्रमाणपत्र, गाडीचालन वैध है या अवैध है इसके कागजात भी जमा करवायें. जब ये सब आ गये तो सब की एक प्रति वकील की मदद से पुलीस में एवं दोचार संबंधित कार्यालयों में जमा करवा दी गई और ड्राईवरों को भी इसकी सूचना दे दी गई.

इसके बाद आदेश आया कि एक समय सिर्फ चार गाडियां मुख्य इमारत के सामने खडी होंगी, और बाकी सब उस विशाल कंपाऊड में एक खाली स्थान पर पार्क होंगे. जैसे ही इन चार में जब एक सवारी लेकार जायगा तब उसकी जगह पर अगला आयगा. मरता क्या न करता, अब तक सब कुछ अस्पताल के नियंत्रण में जा चुका था, अत: सारे आटोरिक्शा वाले लाईन में आ गये.

इसके बाद उन सज्जन ने एक एक करके कई गुण्डों को साधा जो सालों से अस्पताल में दखल दिये बैठे थे. एक बार सात दिन के लिये अस्पताल बंद करना पडा, लेकिन जब आगापीछा सब अंधकार नजर आया तो बाकी लोग भी लाईन पर आ गये.

मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि इस देश की सारी गुण्डा समस्यायें एकदम हल हो सकती है. लेकिन मतलब यह जरूर है कि आज इन लोगों को जितना काबू में किया जा रहा है उसकी तुलना में काफी अधिक काबू किया जा सकता है. समस्या यह है कि जो लोग इस कार्य को कर सकते हैं वे अपने स्वार्थ के कारण कई बार यह कार्य करते नहीं हैं.

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Author: Super_Admin

11 thoughts on “गुण्डे काबू किये जा सकते है!

  1. निःस्वार्थ दृढ़ता पूर्वक अपने कर्तव्य-पालन से सारी समस्यायें हल की जा सकती हैं, या कह लीजिये इसका अभाव ही सारी समस्याओं का हेतु है.

  2. चिट्ठे का नया रूप भा रहा है. हां, क्या सक्रिय चिट्ठा-सूची अपडेट नहीं है? हममें से कई उसमें नहीं हैं.

  3. सबसे बड़ी समस्या लेख के अन्तिम पंक्तियों में उल्लिखित कारणों से है

  4. निश्चित ही इन छुटभैय्या गुंडो को ठिकाने लगाया जा सकता है मगर वो जो संसद में बैठ गये हैं उनका क्या करुँ?? 🙂

  5. “सार्थक लेख…दृढ निश्चय और सही कदम से क्या नही हो सकता…change of template is really appreciable”

    Regards

  6. असली समस्या इन गुंडा तत्वों को ताउओं (नेताओं) द्वारा दिए जाने वाला प्रश्रय ही है. असल में चोर के बजाये चोर की माँ को मारा जाए तो सब समस्याएँ जड़ मूल से सुलझ सकती हैं.

    रामराम.

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