हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है. इसके लिये हमें आजीवन हिन्दी के प्रचार के लिये अपने आप को समर्पित करना होगा. ऐसे समर्पित व्यक्तियों को निम्न में से एक या अधिक कार्य अपनी सामर्थ एवं तकनीकी जानकारी के अनुसार करना चाहिये:
- गैरहिन्दीभाषियों को सरल एवं ललित हिन्दी सिखायें.
- हिन्दीभाषियों को हर कार्य हिन्दी में करने के लिये प्रोत्साहित करें.
- ऊपर लिखी बातों की सफलता के लिये ललित एवं सरल हिन्दी शब्दावली का प्रचार करें.
- जालजगत को हर विषय पर सरल एवं ललित हिन्दी में लिखे आधिकारिक लेखों से भर दें.
बिंदु 4 में दी बात को आज लोग कई तरह से कर रहे हैं
1. अपने चिट्ठे या जालस्थल को आधिकारिक आलेखों से भरने के द्वारा. इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं अजित वडनेकर का भाषा-चिट्ठा एवं डॉ अरविंद के प्रोत्साहन के कारण चलने वाले तमाम वैज्ञानिक चिट्ठे.
2. इसके दो अनौपचारिक उदाहरण है ताऊजी का चिट्ठा एवं भाटिया जी का चिट्ठा जहां विविध विषयों पर पहेलियों द्वारा रोचक तरीके से ज्ञान-वितरण होता है. और भी कई चिट्ठे इनका अनुकरण कर हिन्दी में ज्ञानवितरण का अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं.
3. एक औपचारिक लेकिन बेहद प्रभावी तरीका है विकीपीडिया जैसे जगजाने जालस्थलों (विश्वकोशों) पर हिन्दी में जानकारीपरक आलेख लिखना.
हिन्दी चिट्ठाजगत के कई जानेमाने चिट्ठाकार काफी समय से हिन्दी विकीपीडिया पर बडे ही समर्पण के साथ एक हिन्दी विश्वकोश का निर्माण कर रहे हैं. विकीपीडिया की तरह एक और सुविधा अब उपलब्ध हो गई है जिसका नाम है “नॉल”. यह गूगल का एक अभियान है और आप इसे http://knol.google.com/ पर देख सकते हैं.
आने वाले कई आलेखों में मैं क्रमबद्ध तरीके से बताऊगा कि आप किस तरह हिन्दी के प्रचारप्रसार के लिये नॉल का उपयोग कर सकते हैं. फिलहाल यदि आप इस चिट्ठे पर जाकर अपना नाम पंजीकृत करवा ले तो मेरे अगले आलेख को समझने में सुविधा हो जायगी.
यदि मित्रगण सीधे मुझ से संपर्क करें तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ जिससे कि आप प्रभावी नॉल लिख सकें. मैं ने अंग्रेजी में 55 नॉल प्रकाशित किये हैं, और उनके आधार पर यह बता सकता हूँ कि हिन्दी में किन किन बातों का ख्याल रखा जाये कि आपका नॉल प्रभावी हो.
जो हिन्दी चिट्ठाकार नॉल पर हिन्दी की सेवा करना चाहते हैं उन से निवेदन है कि वे हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये स्थापित मेरे ईग्रूप “हिन्दी नॉल लेखक संघ” से आज ही जुड जायें. इसके लिये HindiKnolWriters-subscribe@googlegroups.com पर एक खाली ईपत्र भेज दीजिये, आपका नाम अपने आप जुड जायगा. नॉल पर प्रभावी तरीके से लिखने के लिये हर तरह का मर्गदर्शन मार्च 2 से इस ग्रूप में आपको मिलने लगेगा!!
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जी हाँ शास्त्री जी पर इस काम को समर्पित सेवा भाव से लेना होगा -मेरे विचार से उन्मुक्त जी का योगदान इसी श्रेणी का है और हम उनका अनुकरण कर सकते हैं !
बहुत उपयोगी बात बताई. हम तो आपके अनुसरण कर्ता हैं. जैसे आप कहते हैं हम तो करते हैं और करते रहेंगे.
रामराम.
जिससे जो बन पडता है, वह उतना तो करता ही है।
सही कहा, जालस्थल पर हिन्दी की “मात्रा” बढ़ाने की आवश्यकता है, इसके लिये लगातार लिखना होगा, विभिन्न लेखों का यूनिकोडीकरण करना होगा… यह एक भागीरथी प्रयास है… सबको हाथ बँटाना चाहिये…
हम आप की बात से सहमत हैं. अभी लोग हिंदी में ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं. लोग परिपक्व नहीं हो पाए हैं. ऐसी स्थिति में क्या एक और नयी विधा के प्रति रुझान उत्पन्न करना उक्तिसंगत रहेगा. knol अभिव्यक्ति का एक और माध्यम ही तो है.
knol पर अपना खाता बना चुका हूँ। इस संबंध में आगे आलेखों की प्रतिक्षा है। आपके हिन्दी नाल लेखक संघ के लिंक पर क्लिक पर एरर बता रहा है।
आलेख के लिये धन्यवाद
सुरेश जी से सहमत हूँ कि मात्रा बढेगी तो ही लोगों को प्रेरणा मिलेगी. पर जो लेख हिंदी में हैं भी, उन तक जन सामान्य की हिंदी में सर्च के बारे में जानकारी ना होने की वजह से पहुँच नहीं है.
बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रदान की आपने…….किन्तु ऎसा भी न हो कि हम लोग कुछ सार्थक लिखने की अपेक्षा सिर्फ हिन्दी की मात्रा बढाने के बारे में ही सोचते रहें.
तो अपनी तरह से योगदान कर ही रहे हैं बस आप बताते जाइए हम और भी करने को तैयार हैं!
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चाँद, बादल और शाम
Jai Hindi.. Batate jaiye ki kya karna hai.. hum karte jayenge
शास्त्री जी बहुत ही सुंदर कार्य है, इस मे हम भी सहयोग देगे, लेकिन मेरी हिन्दी अभी गलतियो से भरी है, यानि मै बहुत गलतियां करता हू, लेकिन पहले से सुधार है बस थोडी ओर देर है फ़िर सभी गलतियां सुधार लूगां, क्योकि मेने करीब २८, २९ साल तक हिन्दी पढी ही नही इस लिये ….
ओर हम भि इस के सदस्य बनेगे.
धन्यवाद,
Your blog is very informative on the subject that interests me.