घोर हिन्दीवादी या बेवकूफ !!

Joker आज सारथी के “क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ” बाक्स द्वारा एक दिलचस्प पत्र मिला जो इस प्रकार है: “शास्त्रीजी, मैं एक नया चिट्ठा-पाठक हूँ, एवं कुछ दिन से आपके चिट्ठे की पुरानी प्रविष्ठियां देख रहा था.

आप जबर्दस्ती अंग्रेजी भाषा का विरोध करते हैं. मुझे लगता है कि आप शायद अंग्रेजी सीखने की कोशिश में सफल न हो पाये इस कारण खिसिया कर खंबा नोच रहे हैं. मेरी नजर में यह उतना ही हास्यस्पद है जितना कि सर्कस के कलाकारों के समक्ष एक जोकर का फूहड हास्य होता हैं.

कृपया बुरा न मानें, लेकिन अंग्रेजी-विरोध जरूर त्याग दें

प्रिय अज्ञात दोस्त एवं परामर्शदाता जी, यह स्पष्ट है कि जैसा आप ने अपने सुझाव में कहा, आप मेरी प्रविष्ठियां सिर्फ “देख” रहे थे, पढ नहीं रहे थे. कारण यह कि आप ने अंग्रेजी के प्रति मेरे नजरिये को गलत समझा है. जरा ध्यान से “पढें” तो निम्न बातें समझ में आ जायेंगी:

  1. कोई भी भाषा बुरी नही होती अत: मैं किसी भी भाषा का विरोधी नहीं हूँ.
  2. मैं अंग्रेजी सहित कम से कम 6 भाषायें जानता हूँ, अत: मेरा भाषा-प्रेम (न कि भाषा-द्वेष) आपको नोट कर लेना चाहिये.
  3. मेरा विरोध उन लोगों और संस्थाओं से है जो अंग्रेजी के प्रचारप्रसार के लिये हिन्दी का गला घोंट रहे हैं.
  4. मेरा विरोध उन संस्थाओं से भी है जो महज वाणिज्यिक नजरिये के कारण अंग्रेजी को बढावा दे रहे हैं और जबर्दस्ती हिन्दी का विरोध कर रहे हैं.
  5. मेरा विरोध उन लोगों से है जो उच्च स्थानों पर बैठ कर, जनता का पैसा खाकर, अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं जिससे कि देश का धन चंद अंग्रेजीदां लोगों और उनकी संतानों के हाथ में ही रहे.
  6. मेरा विरोध उन लोगों से है जो अंग्रेजी सीखते ही हिन्दुस्तान से बैर करने लगते  हैं और जो आम भारतीय को कुत्ता समझते  हैं.
  7. मेरा विरोध आप जैसे लोगों से भी है जो अंग्रेजी की अंधभक्ति के कारण “हिन्दी” मे लिखे गये मेरे आलेखों को टूटे चश्मे की मदद से पढते हैं.

विरोध अंग्रेजी से नहीं दोस्त, विरोध अंग्रेजी के नाम से जो शोषण हो रहा है उससे है. हर सच्चे भारतीय हो इस शोषण का विरोध करना चाहिये.

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छायाचित्र: Joker Rumble by scragz

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Author: Super_Admin

18 thoughts on “घोर हिन्दीवादी या बेवकूफ !!

  1. हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में अंग्रेज़ी को श्रेष्ठतर समझना भी दास-मानसिकता की अभिव्यक्ति का ही एक रूप है।

  2. आपका यह दृष्टिकोण तो हम सबको मालूम ही है -अच्चा किया फिर से स्पष्ट कर दिया !

  3. शुभकामनाएं
    आपको ..
    उमंगों की,
    सब रंगों की,
    हास की
    परिहास की,
    जी भर
    उल्लास की,
    अबीर की गुलाल की,
    फागुन के
    सुर-ताल की..
    शुभकामनाएं.

    Regards

  4. hi, i have gone through ur blog and it is really useful…by the way which typing tool are you using for typing in Hindi…? recently i was searching for the same and found….”quillpad”…. heard that it provides 9 Indian Languages as well as rich text too..

    let me know your opinion about it…

    http://www.quillpad.in

  5. आपके इस भाषायी दृष्टिकोण से परिचित तो सभी हैं, फिर अनाम के फेरे में पुनः स्पष्टिकरण की कोई आवश्यकता नहीं थी । आपकॊ होली की शुभकामनायें ।

  6. अंग्रेजी का तो विरोध होना ही चाहिए … किसी भी बात को प्रस्‍तुत करने के लिए हिन्‍दी पूर्ण तौर पर समर्थ है ….होली की ढेरो शुभकामनाएं।

  7. बहुत सटीक और स्पष्ट जवाब !

    हमारा विरोध उन गुप्त तत्वों से भी होना चाहिये जो अंग्रेजी के राई के बराबर के ‘वास्तविक’ महत्व को पहाड़ के बराबर यत्र-तत्र दिखाते फिरते हैं। उन कूपमण्डूकों को इस बात का बिलकुल आभास नहीं है कि एक बहुत बड़ी दुनिया अंग्रेजी के बिना भी अंग्रेजों के नाक में दम किये हुए है। इसमें जर्मन, फ्रांसीसी, जापानी, चीनी, कोरियायी, रूसी आदि सम्मिलित हैं।

  8. एक चीज सीख ली है – हिन्दी ब्लॉगिंग में न हिन्दी का विरोध करो न नारी का। बाकी सब की लेम्पूनिंग थोड़ी बहुत चल सकती है – अजदक समेत!

  9. सच तो यह है कि पश्चिम वालो ने हमसे सस्कृति सिखि है। हमने उनसे नही।इसलिये प्रेम और होलियाना मुड मे आ जाये। और हिन्दियानी त्योहार का मजा लिजिऐ । आजके दिन उनकी चर्चा करना भी अपनी खुशियो मे तन्गी लाना जैसा है। ये बिन पत्ते का लिफाफा या बिना ठक्कन का डिबा जो कोई भी हो यह अग्रेजो का पुराना मुलाजिम लगता है। टेशन लेने का नही देने का )(:::: ): ::(

    आपको एवम आपके सपरिवार को हे प्रभु के पुरे परिवार, कि तरफ से भारतीय सस्कृति मे रचा- बसा, “होली” पर्व पर घणी

  10. आपको एवम आपके सपरिवार को हे प्रभु के पुरे परिवार, कि तरफ से भारतीय सस्कृति मे रचा- बसा, “होली” पर्व पर घणी ने घणी शुभकामनाऐ (:D

  11. बालक अज्ञानी है शास्त्री जी, उसे माफ़ कर दीजिये. अब देखिये न ! बेचारे को कोई नाम तक तो मिल नहीं पाया अंग्रेजी संस्कृति में. ऐसे अज्ञात कुलशील वाले कुलदीपक को क्षमा करें और धूम से होली मनाएं.
    होली की ढेर सारी शुभकामनायें.

  12. शास्त्री जी!
    सबसे पहले तो होली की दो-तीन टन शुभकामनाएं स्वीकारें. पुनश्च, उसे बताएं अंग्रेजी के ज़्यादातर समर्थक उससे डरे हुए लोग ही हैं. जिन्हें अंग्रेजी आती है वे तो उसकी सीमाएं भी जानते हैं. इसीलिए उससे डरे नहीं हैं और अंग्रेजियत का विरोध भी कर पाते हैं.
    और भाई ज्ञानदत्त जी
    हिन्दी ब्लॉगिंग की बात तो छोड़िए, घर में नारी का विरोध कर पाते हैं क्या?

  13. “मुझे लगता है कि आप शायद अंग्रेजी सीखने की कोशिश में सफल न हो पाये इस कारण खिसिया कर खंबा नोच रहे हैं”
    इस वाक्य से लिखने वाले की बीमार सोच का पता चलता है. मान लीजिए यह बात सच भी होती, तो क्या फर्क पड़ता? अगर किसी को अंग्रेजी नहीं भी आती तो क्या वह जोकर हो जाता है? जो फ्रांसीसी अंग्रेजी का “ए” भी नहीं जानते वे भी अंग्रेजी के प्रचार का विरोध करते हैं- अपनी भाषा से तो सभी प्रेम करते हैं.

  14. शास्त्री जी, इस आदमी का दिमाग खराब है, आप दिल पर ना ले ओर इस बेवकुफ़ की बाते भूल ही जाये, यह कोई गुलाम मनसिकता वाला/वाली कोई भी हो सकता है,जिसे अपने बाप से ज्यादा पडोसी का बाप ज्यादा अच्छा लगता है, तभी तो मुंह छुपा कर आया, चलिये भुल जाये,
    ओर होली का एक हलका सा टीका हमारी तरफ़ से लगा ले, होली की शुभ्कामनये.

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