आज अपने आलेख सिलसिला….शिकायत में भाटिया जी ने पूछा है
तो लिखिये अपनी शिकायत जिस से भी है, अगर मेरे से है, तो भी लिखे, इस समाज से है, तो भी लिखे.
हो सकता है आप के दिल का बोझ थोडा हलका हो जाये, साथ मै कोई आप को अच्छी सलाह भी दे दे.
बहुत व्यावहारिक प्रश्न है, और मुझे लगा कि एक महत्वपूर्ण बात आप सब को बताऊं. लोग अकसर मेरे पास व्यक्तिगत समस्याओं के बारे में परामर्श के लिये आते हैं. मैं भरपूर मदद करता हूँ और अधिकतर लोगों को काफी फायदा होता है. यह कार्य मैं 1970 से शौकिया और 1984 से पेशेवर (ट्रेनिंग लेकर) करता आया हूँ. इस से संबंधित एक शिकायत है मुझे.
इन लम्बे सालों में मैं ने एक बात नोट की है कि लोग कई बार बिना सोचे समझे दूसरों के बारें उनके सामने टिप्पणी, निंदा, बुराई कर देते हैं और इसका परिणाम दूरगामी होता है. महज एक फालतू वाक्य, लेकिन कई बार जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं. कई बार बिना सोचेसमझे बोली गई सामान्य बात भी बुरा असर कर जाती है.
मेरे एक साथी अध्यापक ने एक बार कक्षा में सबके सामने एक संवेदनशील विद्यार्थी से कह दिया कि "तुम कुछ नहीं कर पाओगे". पहले से ही संवेदनशील, ऊपर से अध्यापक का कथन. अध्यापक को वह बडा मामूली सा वाक्य लगा होगा, लेकिन उस बच्चे के लिये वह किसी शाप-वचन से कम न था, और वह संवेदनशील बालक मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया.
हम में से कितने हैं जो बिना सोचे समझे इस तरह की बातें बोल देते हैं और दूसरों के जीवन में दुख और दर्द का कारण बन जाते हैं. लापरवाही से मूँह चला कर दूसरों को बर्बाद करने वालों से मुझे हमेशा शिकायत रहेगी. आईये, आगे से दो बार सोच कर ही दूसरों की में नुक्ताचीनी करें.
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Picture Open Mouth by Pawns
सर जी यह शिकायत तो भाटिया जी के ब्लॉग पर करनी है!
आईये, आगे से दो बार सोच कर ही दूसरों की में नुक्ताचीनी करें.
” नेक और अच्छा सुझाव….अनुकरणीय…”
Regards
आपके इस सुझाव पर आगे से पूरा ध्यान रखा जायेगा
सही कथन..
वैसे भी जब तक आपको पूर्ण विश्वास ना हो कि सामने वाला आपकी टिप्पणी को सकारात्मक रूप में लेने के लिये पूर्णतया सक्षम और समर्थ है, तब तक नुक्ताचीनी का कोई विशेष लाभा होता भी नहीं है. मासूम बच्चो से बात करते वक्त् तो वैसे भी विशेष सावधानी चाहिये होती है.
निंदा कितनी ही सच्ची क्यों न हो वर्जित है, उस से बचना ही चाहिए।
आप सही कह रहे हैं. हमारे को शेर ने भी यही बात समझाई थी.
रामराम.
Quite right !
बढिया सीख का सम्मान सभी करेंगे ही। दूसरों की भावनाओं की कद्र तो होनी ही चाहिए। अच्छॆ लेख के लिए धन्यवाड।
अन्कलजी, आपकि बात मे जरुर विचार करने कि बात है। पर मैरा भाटियॉजी कि शिकायत पन्चायत मे जाने के भाव है। मेरी शिकायत का फार्मेन्ट देख ले जो हमारी एक टीम ने तैयार किया है।
*मुझे शिकायत है मनमोहनसिहजी से कि वो हमेशा निलि ही पघडी बान्धते है।
*मुझे शिकायत है ऐसे लोगो से जो ट्रेन के टॉयलेट मे धुम्रपान करते है।
*मुझे शिकायत है उन युवक-युवतियो से जो सार्वजनिक पार्को मे अभद्र अवस्था मे पाऐ जाते है।
*मुझे शिकायत है टीवी कार्यक्र्मो से जहॉ अवस्यक बच्छो से असलिल डॉयलॉग बुलवाते है।
*मुझे शिकायत है सारथी चिठ्ठे से जो प्रतिदिन पोस्ट प्रसारित करते है जिससे पाठको को रोज उनकी बातो का जवाब देने जाना पडता है।
*मुझे शिकायत है ताऊ से जो रामप्यारी को गर्म कुलफी के ढैले पर बैठाकर घन्टी बजवाता है।
*मुझे शिकायत है उन महिलाओ से जो बेचारे पुरुषो को अपना प्रतिद्वन्धी समझती है।
*मुझे शिकायत है भाटिया जी से कि शिकायत मन्च शनिवार के रोज खोल कर ताऊ कि व लालाजी के ग्रहाक को ???????????????
*मुझे शिकायत है उन ब्लोगरो से जो लोगो को भ्रमित करते है।
=======बाकी शिकायत रात १२ बजे===========
🙂 :)) 🙁 :(( 😛 🙂 :)) 😛 😛
बिलकुल सही लिखा आप ने मेने आप सब की टिपण्णियो का जबाब देना था लेकिन आज कल मे काफ़ी व्यस्त हो गया हुं, इस कारण समय नही मिल पाता,
हमे अगर किसी को कुछ कहना भी हो तो उसे प्यार से या मित्रता से कहे कि उसे बुरा भी ना लगे ओर उसे अपनी उस कमजोरी का पता भी चल जाये.
धन्यवाद