आज शाम को मैं ने एक वैज्ञानिक किताब पढना चालू किया तो उस में एक अमरीकी नवजवान की कथा मिली. जब 1910 के आसपास दुनियां की सबसे बडी दुरबीन एक पहाड पर स्थापित की जा रही थी तब यह नवजवान खच्चर पर सामान ढोकर उस पहाड पर पहुंचाने का काम करता था.
उसकी विश्वस्तता के कारण लोगों ने उसे उस वेधशाला का रात्रि-चपरासी बना दिया. वहां दुनियां भर के जो वैज्ञानिक आतेजाते थे उन से प्रश्न पूछ पूछ कर उसने ऐसी दक्षता हासिल कर ली कि खाली समय में वह एक छोटे दुरबीन की सहायता से छायचित्र लेने लगा. ये चित्र इतने प्रभावशील थे कि हेरोल्ड शेपली नामक विश्वविख्यात वैज्ञानिक ने उसे उस वेधशाला का कनिष्ठ वैज्ञानिक बना दिया.
लोगों को यकीन नहीं हुआ कि एक खच्चर हांकने वाला एक अंतरराष्ट्रीय वेधशाला में किसी काम का निकलेगा. थोडाबहुत विरोध भी हुआ. लेकिन अगले 10 सालों में उस ने सिद्ध कर दिया कि अंतरिक्ष के “निरीक्षण” के मामले में वह किसी से पीछे नहीं था.
आज मेरे आपके चारों ओर इस तरह के सैकडों नवयुवक और युवती हैं जो देखने में तो खच्चर हांकने वाले हैं, लेकिन जिनके अंदर गजब की वैज्ञानिक, व्यापारिक, सामाजिक बुद्धि और दक्षता छुपी हुई है. उनको सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है जो उसे उसकी पटरी से उठा कर किसी ऊंचे स्थान पर खडा कर दे. क्या यह कार्य आप से हो सकेगा ?
शालेय अध्यापन के समय मुझे इस तरह के सैकडों बच्चे मिले थे जिनको लोग खच्चरवाली नहीं सीधे सीधे खच्चर ही समझते थे. लेकिन मुझसे तीनचार साल के प्रोत्साहन मिलते ही उन में से अधिकतर डाक्टर, वैज्ञानिक, इंजिनियर, अभिभाषक, लेखक, सफल व्यापारी आदि बन गये. सबसे बडा पुरस्कार यह मिला कि उन में से कई दक्ष अध्यापक बन गये.
हमें सिर्फ एक बार मानव जीवन मिलता है. इसे ऐसे जियें कि हमारे जाने पर हमारे भाईबेटों से अधिक समाज के वे सैकडों लोग रोयें जिनको हमने जीवनदान दिया है.
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040422-2459 by jdj150
प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया आपने । काश हेराल्ड शेपली जैसे कुछ और लोग मिलते पहचानने वाले ।
प्रविष्टि के लिये धन्यवाद
प्रेरक उदाहरण
भारत में विश्व के सबसे प्रतिभावान बच्चे और युवा हैं। बस इनकी प्रतिभा का गला घोंटा जाता है, कभी गरीबी के द्वारा, कभी रिश्वत द्वारा, कभी जात-पात मार जाती है, तो कभी तंत्र। होनहार शिक्षक ही होनहार बच्चों को देशनिर्माण का रास्ता दिखा सकते हैं। बहुत प्रेरक पोस्ट, जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
सही परवरिश और पहचान के अभाव में कई बार प्रकृति प्रदत्त प्रतिभा बेकार जाया हो जाती है। इसीलिए जरूरी है कि राष्ट्र के नीति निर्माता सबको शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए ठोस उपायों पर अमल करें।
बेहद अनोखा और प्रेरक वाकया हेरोल्ड शेपली बधाई के पात्र हैं जिन्होंने उसे वेधशाला का कनिष्ठ वैज्ञानिक बनाने में कोई संकोच नहीं किया और उसकी प्रतिभा सामने आ सकी…”
regards
kafi acha lekh. jivan me prerna lene wala
प्रेरक
प्रेरक दास्तान।
आभार।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
बेहद ही प्रेरणादायी जानकारी दी है आपने।
बहुत बडियाजी।
आभार प्रेरक बात के लिऐ
अत्यंत प्रेरक आलेख.
पर हमारे देश को, जहां शिक्षक भी आरक्षण से आते हों, अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है.
अच्छे लेख के लिए आभार..
प्रेरक।
वाकई ऐसी प्रतिभाओं को तराशने की जरुरत है.
बहुत प्रेरक प्रसंग है. हम भी आपसे प्रेरणा प्राप्त करते हैं जी.
रामराम.
अवसर के बिना बहुत सी प्रतिभाएँ नष्ट हो जाती हैं।
देखा आपने भेड़ चाल. आपके प्रश्न के जवाब देने का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहता और हम भी नहीं उठा रहे हैं. टेम नहीं है.
गुदडी के लालों की कमी नहीं है ! कमी तो उन्हें खोजने वालों की है !
प्रतीभाओ कि कमि नही है आवश्यकता तो उन्हें मौका मिलने कि है ।