कुछ साल पहले जब मैं रोज सुबह अपने महाविद्यालय की ओर जाता था तो वहा एक बहुत बडा बोर्ड हुआ करता था जिस पर एक बहुत तंदुरुस्त एवं आकर्षक जवान को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया था. उसके साथ साथ था यह संदेश कि धुएं का एक कश लगा लो तो सारी थकावट काफूर हो जायगी.
क्या यह विज्ञानपन सच कह रहा है? जी हां सच कह रहा है. मेरे महाविद्यालयीन साथियों में से कई धूम्रपान करते थे. विश्वविद्यालय में मेरे कुछ साथी अध्यापक भी धूम्रपान करते थे (पत्नियों से बच कर). जिज्ञासावश उन सब से मेरा पहला प्रश्न यही होता था — क्या तुमको इससे कुछ फायदा होता है. हरेक का जवाब था कि उनको तनाव से मुक्ति मिलती है.
उन सब से मेरा दूसरा प्रश्न रहता था कि “क्या तुमको खुशी है कि तुम ने यह आदत पाली”. मजे कि बात यह है कि उन में से हरेक का जवाब नकारात्मक रहता था. सब कहते थे कि तनाव से मुक्ति मिलती है, लेकिन सब का यह भी कहना था कि वे इस आदत से खुश नहीं है. यह क्यों?
इसका कारण यह है कि थकावट काफूर करने का साथ साथ यह और भी बहुत सारी चीजें दे जाता है जैसे जायका बिगडा मूँह, सांस की बदबू (परिवार नियोजन के लिये उपयोगी — कुरूप, सस्ता और टिकाऊ तरीका) और आखिर में फेंफडे का केंसर. अनुमान है कि आज फेफडे के कैंसर के 80% से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष धूम्रपान के कारण बीमार हुए हैं.
धुएं का एक कश, सारी थकावट काफूर!! साथ में जिंदगी के अधिकतर रस भी काफूर. (फेफडे के केंसर से मेरे एक प्रियजन की मृत्यु के अवसर पर लिखा गया आलेख).
Article Bank | Net Income | About India । Indian Coins | Physics Made Simple | India
Smoke by < ilian />
कश खींचे हमने कई भागा नहीं तनाव।
सार्थक चिन्तन लेख का छोड़े कई प्रभाव।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
haan baat to sahi kahi aapne
मृत्यु की ओर एक और कदम…
इक दिन आए, जनता सब से रूठ जाए।
हुम्म…कुछ पक्का इरादा करना होगा…
हां यह एक भ्रम है जो दृढ इच्छा शक्ति से दूर किया जा सकता है, सिवाय शारीरिक और आर्थिक बर्बादी के सिवा कुछ नही है.
थ्रिल के लिये बचपने मे शुरु किया ये शौक बाद मे एडिक्शन बन जाता है. बच्चों को इससे बचायें खुद अब आरम्पार हो चुके हैं.
रामराम.
धूम्रपान करना अच्छी बात है.
विश्वास न हो तो, बीड़ी- सिगरेट बनाने वाली कंपनियों, डॉक्टरों और सरकार से पूछ लो.
लेकिन इतना सब पता होने के बाद भी तो लोग नहीं सुधरते।
———-
सावधान हो जाइये
कार्ल फ्रेडरिक गॉस
जनहित मे प्रसारित विज्ञापन के लिऐ आपका स्वागत
क्षमा करे विज्ञापन = कि जगह सन्देश को पढे
पर सर,
यह सभी जो आप धुम्रपान के बारे मे बता रहे है सुना है बक्से पर भी लिखकर आता है। फिर सेवन करने वाले क्या उस चेतावनी को पढ नही पा रहे क्या ?
हे प्रभु तेरापथ
मुम्बई टाईगर
सर यह क्या? आपके ब्लोग का “हिचकी-मिटर” खराब हो गया है क्या ?
हे प्रभु को कुल २८ बार “हिचकिया” आई, और आपका ब्लोग तीन हिचकी ही बता रहा है।
नकली तनाव नकली चीज़ों से ही दूर होता है.
Actually a large number of people start smoking when they enter their college life.They see some of their college friends smoking and think that if they too start it will increase their importance among their follow students.