मिट्टी का स्नान ?

मेरे कल के आलेख स्वास्थ्य: मिट्टी के मोल को मेरे प्रिय पाठकों ने जिस तरह अपनी टिप्पणियों में मुलतानी मिट्टी पर अतिरिक्त जानकारी जोडने के द्वारा बहुमूल्य बनाया उसके लिये मैं आभारी हूँ.

मिट्टी के कई गुण हैं जिन में से एक पर दिनेश जी ने ध्यान आकर्षित किया है:

मिट्टी में सब कुछ अपने में समा लेने की आदत होती है। वह शरीर से सारी व्यर्थ पदार्थों को अपने साथ ले जाती है। [दिनेशराय द्विवेदी]

image इस गुण को पहचान कर प्राकृतिक चिकित्सा के विकास के समय मिट्टी-लेपन या मिट्टी-स्नान को प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग बना दिया गया था. इस कार्य के लिये सामान्यतया सतह से 10 फुट या उस से भी अधिक गहराई मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जिसमें खाद, कीडेमकोडे, केंचुओं की मिट्टी, और सडे पत्तों का मिश्रण नहीं होता है.

प्राकृतिक चिकित्सा के लिये इस शुद्ध मिट्टी को कूटपीस कर पानी में घोल कर सारे बदन पर लेप कर दिया जाता है. लगभग 1 घंटा इस मिट्टी को ऐसे ही छोड दिया जाता है और उसके बाद स्नान किया जाता है. जिन लोगों ने प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठाया है वे जानते हैं कि मिट्टी-स्नान से त्वचा की कांति निखर जाती है, त्वचा मृदु एवं लचीली हो जाती है, एवं शरीर में एक विशेष एहसास होता है.

मेरे एक मित्र प्राकृतिक चिकित्सा अस्पताल चलाते हैं जहां मैं हर साल दोतीन बार (एक बार सात दिन तक) मिट्टी-स्नान का अनंद लेता हूँ. आप चाहें तो सही मिट्टी का इंतजाम करके यह कार्य अपने घर में कर सकते है. कोई भी प्रकृतिचिकित्सा केंद्र आपको सारी जानकारी दे देगा. प्रवीण त्रिवेदी जी ने इस के बारे में टिपियाया है:

मुल्तानी मिट्टी सर्वश्रेष्ठ समझी जाती है। आयुर्वेद में अनेक उपचारों में शरीर पर इसके लेप का विधान है। [प्रवीण त्रिवेदी…प्राइमरी का मास्टर]

चलते चलते एक और बात:

मुल्तानी मिटटी के बारे में सुना भर है. क्या वह मुल्तान से आती है. क्या इस मिटटी में पौधे उग सकते हैं. यहाँ एक बेगम की कब्र के आस पास ढेर सारी पड़ी है, उठा लाते हें. नहीं यह गलत होगा, भूत पकडेगा. [PN Subramanian]

गडबड न करें सुब्रमनियन जी. भूत जरूर आप को पकड लेगा और मुल्तानी मिट्टी बना कर छोडेगा!!

मुलतानी मिट्टी के बारे में अन्य मित्रों ने लिखा है:

मुलतानी मिट्टी पहले जमाने मे यह एक मात्र सोन्दर्य प्रसाधन के साथ साथ स्वास्थय कारक भी माना गया। पहले लोग अपने आसपास उत्पन्न प्रकृतिक वस्तुओ का उपयोग जीवन लाभ के लिऐ करते थे, वो भी मुम्फ्त मे। जैसे “एलोविरा” (गवार पाटा) आजकल बडी बडी कम्पनीया एवम जिन्दाल थैरेपी सैट्रर बैगलोर , या केरला स्वास्थय सैट्रर, यह सभी अब हजारो रुपऐ लेकर यह हमे स्वस्थ्य-सुन्दर-टिकाऊ नुस्खे हमे दे रही है जो मिलावटी केमिकल युक्त है । जिसे मै बिल्कुल भी समर्थन नही करता। मेरा सुझाव है जब भी आप पर्यटन के लिऐ जाऐ तो वहॉ कि मिट्टी मे पैदा हुई वस्तु घर लाकर रखे, उसे यूज करे। जैसे आप काश्मीर मे जाए तो एक कली कि लच्छुहन लेकर आऐ वह रोज खाने से reduces cholestrol होता खुन को पतला करने मे मदद करता है इत्यादि, तो हमारे देश कि मिट्टी मे वो सब है जहॉ हमे सुन्दरता, स्वास्थता, प्रसन्न्ता मिल सकती है। किन्तु उसके लिए हमे मन का विदेशी शोला उतर फैकना होगा। [HEY PRABHU YEH TERA PATH]

सुब्रमनियम जी, यह मुल्तान से नहीं आती. हाँ इतना है की मुल्तान पाकिस्तान के इलाके में बहुतायत से पायी जाती है. यह हलके पीले रंग की एकदम चिकनी होती है और ढेले के रूप में मिलती है. इसमें सिलिका कम और लाइम स्टोन ज्यादा रहता है. उत्तर भारत में तो वाकई में यह २-४ रुपये किलो में आसानी से मिल जाती है. अयूर आदि कंपनिया इसे पैकेट बनाकर बेचती हैं ४० रुपये में २०० ग्राम. अगर इसे कूट कर हल्दी के साथ मिलकर प्रयोग किया जाए तो झाइयां व् मुहांसे दूर होते हैं और त्वचा कांतिमय बन जाती है. [पुनीत ओमर]

बहुत बढिया लिखा आपने. हमारे घरों मे तो आज भी सप्ताह मे एक बार मुलतानी मिट्टी को दही मे मिलाकर बाल धोने का रिवाज है. किसी भी कंडीशनर की ऐसी तैसी करता है ये फ़ार्मुला. [ताऊ रामपुरिया]

मिट्टी और सेहत के सम्बन्ध को मानते हैं…डेड सी की मड तो कई रोगो में लाभकारी सिद्ध होती है… समुद्र के किनारे की काली मिट्टी का कई तरह की बीमारियों में पूरे शरीर पर लेप किया जाता है… मुलतानी मिट्टी तो हमने भी बहुत इस्तेमाल की है… खुशबू इतनी कि कभी कभी खाने का लोभ रोक नही पाते थे…[मीनाक्षी]

What a thoght that led me to remember my childhood. Multani Mitti ko Pish Kar Raat ko Mitti Ke Bartan mein bhigo kar rakh Subah uska sevan karte the. It is a nice face wash, to start with in this summer the face after application will become dry, dont worry, Again apply water and after 15 minutes wash your face and see the results and secondly which I have tried the same cream of Multani Mitti is a good shampoo also. Apply on hairs and wash after 10-15 minutes and again see the shining of hairs..If feel good use it and pay regards and thanks to shastriji [Dr. Mukesh Raghav]

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Photograph by audi_insperation

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Author: Super_Admin

11 thoughts on “मिट्टी का स्नान ?

  1. हमारी दादी तो साबुन इस्तेमाल ही बहुत मज़बूरी में करती थी ,वह अधिकतर मुल्तानी मिटटी से ही बाल धोती थी ..सही उपयोगिता बतायी आपने इसकी ..

  2. बहुत सही लेख लिखा. इस तरह के आलेखों की आज आवश्यकता है. अन्य देशी फ़ार्मुले भी बीच बीच मे लिखते रहें.

    रामराम.

  3. हम तो भैय्या आदिवासी संस्कृति में पले बढे. वहां एक सफ़ेद मिटटी होती थी जिसे छुई कहते थे. इस से गाँव वाले अपने घरों की दीवारों को पोतते थे. इसी छुई से स्लेट पट्टी में भर्रू का प्रयोग कर लिखते भी थे. एक पीली मिटटी भी आती है. उसे भी दीवारों को रंगने में लगाते थे. हो सकता है की इस पीली मिटटी को ही मुल्तानी कहा जा रहा हो. यह भी चिकनी होती है. हमने इनके खदानों को भी देखा है.अब हम से रहा नहीं जा रहा है. इस मिटटी की तारीफ़ सुनकर. आज ही हम मुल्तानी मिटटी लेकर आते हैं.

  4. शहरों में रहने वालों की अपनी मजबूरियां हैं. ना जानकारी है और न सामान की आसान उपलब्धता, इसलिए अपने आप लीपा पोती कर नहीं सकते. और जो जरुरत से ज्यादा आधुनिक विकासोन्मुखी हैं वो आधुनिक स्पा की पंचकर्म चिकित्सा का खर्चा नहीं उठा सकते. सहज योग इतना भी सहज नहीं रहा अब..

    जैसी पारंपरिक जानकारी का आदान प्रदान इस पोस्ट पर हो रहा है, जरुरत है की इसे हम अपने परिवार वालों और मित्रों के साथ भी बांटे. जिससे कि आसान और सस्ती प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ हर कोई ले सके.

  5. इस महत्वपूर्ण आलेख के लिये आभार । साथ ही पिछले आलेख की बहुमूल्य टिप्पणियाँ भी मिल गयीं ।

  6. बहुत स्नान किया है मिट्टी से। मुलतानी मिट्टी मिलती थी बाजार में लेकिन उस से शायद ही कोई नहाता हो। पर हमारे यहाँ गर्मी में तालाब सूख जाने के बाद उस के पेंदे में जमी काली मिट्टी का उपयोग किया जाता था। गजब की चिकनी होती थी ऐसी कि प्लास्टर चढ़ाने के लिए पीओपी के स्थान पर उस का इस्तेमाल कर लोय़ पर ढेले पर पानी डाल दो और न छेड़ो तो बिलकुल बिखर जाती थी। फिर उसे बदन पर बालों में सब जगह लगाते। सूखने देते। जब सूख कर वह चमड़ी और बालों की खिंचाई करने लगती तो दौड़ कर नदी में छलांग लगाते, तैरने लगते। बाहर निकलते तो वह पानी में घुल चुकी होती। जो निर्मलता वह बदन और बालों को देती है,आज तक दूसरे किसी साधन से न मिली। मुलतानी मिट्टी से भी नहीं।

  7. इतने सारी टिप्पणियों से कितनी सारा ज्ञान बाहर आया है! मुझे दुख हो रहा है कि मैं समय से टिप्पणी नहीं कर पाया।

    मेरे क्षेत्र में भी लगभग एक मीटर खोदने पर पीले रंग की मिट्टी निकलती है जिसे ‘पिअरी माटी’ कहते हैं। सदियों से स्त्रियाँ इसे से अपने बाल धोतीं हैं। बहुत मुलायम रहता है।

    प्राकृतिक चिकित्सा पर पढ़ते-पढ़ते कहींपढ़ा था कि किसी को किसी जहरीले साँप ने काट दिया तो एक वैड्य ने उसे गले तक गड़्ढा करके उसमें गाड़ दिया। कुछ ही समय में उसका विष उतर गया। इसे गांधीजी ने कहीं उद्धृत किया है।

  8. अनुनाद जी ने जिस प्रक्रिया का उल्लेख किया है उसे विसरण यानी ओसमोसिस कहते हैं. मिटटी में दाबे जाने से त्वचा गाढी मिटटी और पतले खून के बीच में से अर्ध पारगम्य झिल्ली के तौर पर काम करने लगती है और शरीर के खून पर बाहर निकलने का दाब बनने लगता है, लेकिन खून निकल केवल उसी छिद्र से पाता है जहाँ पर सांप के काटे जाने से त्वचा में छिद्र हुआ था. इससे उस हिस्से का विषाक्त खून झट से बाहर निकल जाता है. बस शर्त इतनी सी है की मिटटी साफ़ हो और उससे से कोई इन्फेक्शन आदि न हो. वैद्य लोग मिटटी के इस गुण को खूब पहचानते हैं.

    शास्त्री जी स्वयं भौतिकी के गहरे जानकार हैं.. वो मिटटी के इस गुण को और विस्तार से बता सकते हैं.

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