लगभग सभी चिट्ठाप्रेमी कुछ चिट्ठों को नियमित रूप से पढते हैं. मेरे लिये राज भाटिया जी के चिट्ठे जरूरी चिट्ठों में से एक है क्योंकि उन के लिये मेरे दिल में जगह एकदम विशेष है.
कल सारथी चिट्ठे पर उनकी टिप्पणी आई तो मैं बहुत उत्साहित हो गया, लेकिन दौडा दौडा उनके चिट्ठों पर गया तो पता चला कि चिट्ठों पर वही पुराने आलेख पडे हैं, और इसका मतलब है कि वे वापस नहीं पहुँचे हैं.
पिछले कुछ महीनों में टिप्पणियों एवं पत्रव्यवहार दारा भाटिया जी से काफी सारे विषयों पर बडी बौद्धिक चर्चा हुई. हर बार कुछ न कुछ सीखने को मिला. एक बार तो एक प्रश्न जिसका जवाब हफ्तों से नहीं मिल रहा था वह उनके एक पत्र में मिल गया. हर चिट्ठाकार को प्रोत्साहित करने के लिये, दिशा देने के लिये, परामर्श देने के लिये, यहां तक कि आवश्यक हास्य के लिये भी उनका समर्पण तारीफे काबिल है.
भाटिया जी का हर रोम भारत-प्रेम से ओतप्रोत है एवं जर्मनी में हर क्षण वे देश की याद और देश की उन्नति की कामना के साथ बिताते हैं. भारती आदर्श एवं भारतीय मूल्यों को वे कस कर पकडे हुए हैं एवं हर मौके पर वे इन चीजों का समर्थन और अनुमोदन करते हैं. लगभग हर गंभीर चिट्ठे पर उनकी विश्लेषणात्मक टिप्पणी हर दिन दिख जाती है.
मुझे शिकायत है चिट्ठे पर उन्होंने बूझो तो जानें के द्वारा चिट्ठाकरों को एक साथ बांध दिया था, कि अचानक उनको हिन्दुस्तान आना पडा. तब से उनकी चिट्ठाकारी बंद है. उम्मीद है कि वे जल्दी ही वापस पहुंच कर अपनी कलम चलाने लगेंगे.
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भाटिया जी जर्मनी पहुँच भी चुके हैं और चिट्ठाकारी में लौट भी आए हैं। अब तक कुछ संस्मरण भी लिख चुके हैं। हाँ पहले वाली गति भी शीघ्र बना लेंगे,ऐसी कामना है।
हाँ, उत्साह तो मुझमें भी भर गया था अपनी कल की प्रविष्टि पर उनकी टिप्पणी पाकर । द्विवेदी जी आश्वस्त कर रहे हैं, हम भी यही कामना कर रहे हैं कि वह अपनी पुरानी लय में लौट आयें ।
you are missing Raj Bhatia ji, a patriot , a good writer, yesterday I have seen comments of Bhatia ji,He will soon start in fluency . I salute the person who believe in indian culture and indian values!!
हमने भी किता मिस किया -लीजिये वे आ भी गए -http://chotichotibaate.blogspot.com/2009/05/blog-post.html
सही कहा आपने।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bhatia je ke liye aapkaa vishesh sneh …..achha laga…ve nischay hee is kaabil hain…intjaar hai unke waapas aane kaa…..
हां जी उनके बिना लिखने का मजा नहि आता. हमारे जोडीदार हैं तो सारे किस्से उनके बिना अधुरे रह जाते हैं. अब बिन उनके हमारे ताऊपने के किस्से भी क्या सुनाएं?
दुसरा हमारा जोडीदार योगिंद्र मोदगैल जी हैं वो भी आजकल गायब ही हैं. लगता है वि्ज्ञापन देना पडॆगा.:)
रामराम.
अगर कुछ और चिट्ठे भी पढ़ें तो सारी जानकारी रहेगी. मित्रवत सलाह मात्र है. 🙂 अब गिने चुने चिट्ठे पढ़कर काम नहीं चलेगा. नया जमाना आया है.
अभी तो उंके सामने संकट की स्थिति बनी हुई है. उनकी माताजी की तबीयत एकदम खराब जो है. हम इश्वर से प्रार्थना करते हैं की उनके दुखों को दूर करे.
आज ही भा्टिया जी ने लिखा है.. भारत से तो वो कब के जर्मनी पहूच गये..
माफ किजिये जब टिप्पणी लिख रहा था तो उपर की ९ टिप्पणी नहीं दिख रही थी.. सोचा मैं ही प्रथम टिप्पणी कर रहा हूँ.
भाटिया जी, एक मिलनसार और अच्छे इंसान हैं। उनकी कमी अखरना वाजिब है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भाटिया जी जैसे गुणी, मिलनसार एवं सुह्दय इन्सान की कमी अखरना तो लाजिमी है.किन्तु आज ही उनके पुनर्रागन का पता चला.
मुझे तो उनकी टिप्पणियों का इंतज़ार रहता है भले ही किसी के भी ब्लॉग़ पर हों। विनोद भरी, झल्लाहट का दिखावा करती, अर्थपूर्ण टिप्पणियाँ मुझे तो बहुत पसंद आती हैं।
शास्त्री जी, आप ने मेरी बढाई कि, जब की मै आप सब से बहुत कुछ सीख रहा हुं, मेरे मै बहुत सी बुराईया भी थी, जिन्हे मेने आप सब के संग रह कर दुर किया,ओर आगे भी आप सब की अच्छाईया लेता रहुंगा, आप के संग सभी टिपण्णी कारो को भी नमस्कार.
वेसे तो दिल नही करता कुछ भी करने के लिये, लेकिन सोचा मन भटके ना इस लिये वापिस आ गया,वेसे आप सभी के चिट्टॆ तो रोजाना पढता हुं.
धन्यवाद
भाटिया जी एक बेहतरीन व्यक्तित्व के मालिक हैं।
उम्मीद है की वे पहले से भी अधिक सक्रिय चिट्ठाकारी में वापस आयेंगे.