कौन हैं ये अज्ञात टिप्पणीकार!!

image चिट्ठाजगत में यदाकदा किसी एक व्यक्ति के नाम से कोई और टिप्पणी कर जाता है तो एक तूफान आ जाता है. कारण यह है कि इस तरह की टिप्पणियाँ अकसर बडी घिनौनी होती हैं, लेकिन जिसके नाम से ये की जाती हैं उसे पता भी नही चलता कि उसके नाम का दुरुपयोग हो रहा है. इस बीच जिसके चिट्ठे पर यह भद्दी टिप्पणी प्रकाशित हुई है उसको लगता है कि जिस आदरणीय चिट्ठाकार का नाम टिप्पणी के साथ छपा है वह अपने स्तर से बहुत नीचे गिर गया है.

इस हफ्ते सुरेश चिपलूनकर के नाम पर कोई टिप्पणी कर गया और अब सुरेश हरेक को बता रहे हैं कि टिप्पणी उन्होंने नहीं की. लगभग हर हफ्ते इस तरह का एकाध प्रकरण होता ही रहता है. इस बीच दिनेश राय द्विवेदी जी के नाम से मिलतेजुलते नाम से और कोई जम कर टिप्पणियां फैला रहा है. हर कोई उस अज्ञात टिप्पणीकार को बुरा कह रहा है, लेकिन  इस में गलती अकसर उस चिट्ठे की भी होती है जिस पर टिप्पणी छपती है.

चाहे ब्लागर हो या वर्डप्रेस, इन पर यह सुविधा होती है कि आप हरेक को टिप्पणी करने की इजाजत देंगे या सिर्फ रजिस्टर्ड टिप्पणीकारों को टिप्पणी करने की इजाजत देंगे. कई बार चिट्ठाकार अपने चिट्ठे पर हरेक को टिप्पणी करने की इजाजत देते हैं. कोई भी अनाम व्यक्ति इन चिट्ठों पर कुछ भी पेल सकता है. चूँकि समाज मे खुराफातियों की कोई कमी नहीं है, अत: कई लोग इन चिट्ठों को अपने औजार के रूप में काम ले लेते हैं. वे बिना लागिन किये टिप्पणी लिख देते हैं, और उसके साथ साथ उस सज्जन का नाम भी पेल देते है जिस से बदला निकालना होता है.

इसका मतलब यह है कि यदि कोई अज्ञात टिप्पणीकार बिन नाम टिप्पणी करता है तो इसमें जितना उसका अपराध है उससे अधिक अपराध उस चिट्ठामालिक का है जो अपने चिट्ठे पर हर ऐरे गैरे नत्थू गैरे को टिप्पणी करने की इजाजत देता है.  यदि आप अपने घर का सडक की ओर खुलने वाला दरवाजा दिनरात खुला रखें, और उसके बाद यह उम्मीद करें कि कोई भी अंदर नहीं ताकेगा तो यह आप की गलतफहमी हैं.

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Author: Super_Admin

26 thoughts on “कौन हैं ये अज्ञात टिप्पणीकार!!

  1. सही कह रहे हैं मगर फिर सनसनी कैसे फेलेगी? लोगों को तो मजा आना ही बंद हो जायेगा. 🙂

  2. बात अच्छी बताई आप ने। वैसे आप के इस साइट पर कमेण्ट करने के लिए नाम, ईमेल पता और वेब साइट पूछा जाता है। यह तीनों ज्ञात हों तो किसी के नाम टिप्पणी की जा सकती है। नहीं?

  3. अरे! आप ने मॉडरेशन भी लगा रखा है। लेकिन उससे क्या? सभ्य कमेण्ट भी तो दूसरे नाम से किए जा सकते हैं!

  4. शास्त्री जी ,

    शायद पहले सहमत नहीं होता पर अब हूँ .शायद इसी को अनुभव कहते हैं .

    स्वीकार करता हूँ की जिसका चिटठा है उसकी भी नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए की उसके चिट्ठे पर छपे को वह अपने विवेक से तय करे और तभी छापे . जिम्मेदारी के साथ .जरूरी हो तो मोदेरेसन/ सम्पादन करे और कारणों की इत्तिला भी दे दे .

    लेकिन कानून के अलावा भी चिठ्ठाकारों में आपसी समझ के अर्न्तगत यदि कुछ gayidlayin निर्धारित हो तो एक hindi चिटठा समाज निति भी बन सकती है और इसे निर्धारित करने में यदि प्रमुख और वरिष्ट चिठ्ठाकार पहल करें तो हम एक स्वस्थ परंपरा की और बढ़ सकेंगे . एक स्वस्थ समाज के जैसे .

    आप सब से इस मामले में बड़ी उम्मीद रखता हूँ . यदि ऐसा कुछ हो तो हम सब भविष्य में अतीत की गलतियाँ दुहराने से बचेंगे भी .

    सादर

    राज सिंह

  5. इस मामले मे कई बार बह्स हुई है और ये इस समस्या से अधिकांश लोग परेशान है मगर वे लोग लिखने वाले है प्रकाशन करने वाले नही।इस पर जो रोक लगा सकते हैं उन्हे कोई परेशानी नही है तो फ़िर कोई क्यों अनाम भाई पर रोक लगा सकता है।फ़िर कोई मामला होगा फ़िर चर्चा होगी और ये सिलसिला चलता रहेगा तब तक़ जब तक़ एग्रिगेटर की जिम्मेदारी तय नही हो जाती।

  6. “…इसका मतलब यह है कि यदि कोई अज्ञात टिप्पणीकार बिन नाम टिप्पणी करता है तो इसमें जितना उसका अपराध है उससे अधिक अपराध उस चिट्ठामालिक का है जो अपने चिट्ठे पर हर ऐरे गैरे नत्थू गैरे को टिप्पणी करने की इजाजत देता है. …”

    आपका कहना एकदम सही है. कोई दो-तीन साल पहले का प्रसंग सुनाता हूं.
    प्रभासाक्षी.कॉम के श्री बालेंदु दाधीच से चर्चा के दौरान मैंने उनसे पूछा कि आप अपने समाचार साइट पर पाठकों की टिप्पणियाँ क्यों नहीं देते?
    उनका उत्तर था – आपके हिन्दी ब्लॉग जगत में पाठकों की सुलझी हुई टिप्पणियाँ मिलती हैं. समाचार साइटों में अकसर ऊल जुलूल, अश्लील, घटिया टिप्पणियाँ दर्ज होती हैं जिन्हें छापा तो कतई नहीं जा सकता, मॉडरेशन करने में मुश्किलें आती हैं, लिहाजा उन्होंने टिप्पणियाँ ही बन्द कर रखी हैं.

    पर, अब लगता है कि हिन्दी ब्लॉग जगत मैच्योर हो चुका है और यहाँ पर मिलने वाली टिप्पणियों की संभ्रांतता खत्म हो चली है.
    मगर चिट्ठामालिकों को तो संभ्रांत होना चाहिए कि नहीं ?

  7. शाश्त्रीजी, ये तकनीक है, अच्छाई बुराई दोनो ही हैं. वैसे घर पर ताला लगाकर एहतियात तो बर्तना ही चाहिये.

    पर वो कहावत भी है ना कि “तू डाल डाल मैं पात पात”:)

    रामराम.

  8. मुझे तो अभी सारे दरवाजे बन्द कर देना अपने ब्लॉग के लिये ठीक नहीं लगता । वैसे सतर्क तो मैं भी रहना चाहता हूँ ।

  9. “…… उससे अधिक अपराध उस चिट्ठामालिक का है जो अपने चिट्ठे पर हर ऐरे गैरे नत्थू गैरे को टिप्पणी करने की इजाजत देता है………” शास्त्री जी ये अपराध नहीं है सुविधा है genuine पाठकों के लिये.. केवल रजिस्ट्रड पाठकों को टिप्पनी सुविधा देना भी पूर्ण समाधान नहीं हो सकता.. कोई भी फेक id बना कर टिप्पणी करेगा.. आखिर तो ip से ही ट्रेक करेगें न? एक तरीका है कि मॉडरेशन ऑन रखो और गैर जरुरी टिप्पणी तो हटा दो.. और उसका जिक्र भी नहीं करो..बिल्कुल महत्तव न दो.. और दुसरा अगर छद्म या मिलते हुए नाम से टिप्पणी आये तो थोडा maturity से काम लें हंगामा मचा कर पोस्ट लिखने से बेहतर है.. उसे हटा कर उचित व्यक्ति से व्यक्तिगत तौर पर बार करें जैसा राज जी ने सुरेश जी से किया…

  10. शास्त्री जी बात तो आप ने उचित कही है, बाकी हमे पता भी होता है कि हम ने किस से पंगा लिया, या किस ने हम से पिछली बार पंगा लिया था, या फ़िर हमारे लेख से किसे बुरा लग, यानि हम ९०% तो जानते है कि यह बेहुदा टिपण्णी किस ने की है, वो चाहे आप के ब्लांग पर हो या फ़िर किसी दुसरे के ब्लांग पर, लेकिन हमारे पास सवूत नही होता,
    ओर सबूत लेना थोडा महंगा है, लेकिन पता लग सकता है, आप ने देखा होगा कि जब किसी भी नेता को फ़ोन मेल या फ़िर ऎसी कोई टिपण्णी दी जाती है तो वो पकडा जाता है, लेकिन ऎसी कोई सुबिधा मुफ़्त मै मिले ? बस यही खोज बीन चल रही है, लेकिन फ़िर भी आप Live Traffic Feed मै जा कर ओर टिपण्णी कर समय देख कर इतना तो पता लगा सकते है कि यह टिपण्णी किस शहर से हुयी, अगर थोडी ज्यादा महनत करे तो आप को उस का IP पता भी मिल सकता है Live Traffic Feed से ही, यह Live Traffic Feed बहुत काम की चीज है, बस एक बार समय निकाल कर इसे ध्यान से देखे.

  11. भाटिया जी ठीक कह रहे। हाल ही की चर्चित अनाम टिप्पणियों को जब ट्रैक किया गया तो बड़ी चौंकाने वाली जानकारियाँ मिलीं। अब इसे ब्लॉग जाहिर इसलिये नहीं किया जा रहा कि बात कुछ हजम न होने जैसी है।

    लेकिन है तो यह एक सच्चाई कि ‘वह’ तमाम टिप्पणियाँ उत्तर भारत के दो खास, आपस में सटे स्थानों के कार्यालय व निवास से की गईं।

  12. क्षमा चाहूंगा सारथी जी, लेकिन आपके चिट्ठे पर भी अज्ञात टिप्पणी की जा सकती है…या कोई आपका नाम प्रयोग करके टिप्पणी कर सकता है …जिसका उदहारण यह टिप्पणी है…

  13. (पिछली टिप्पणी से आगे…)
    असल में यह दुविधा तो दोनों वर्डप्रेस और ब्लॉगर में ही है….यदि आप name/url प्रयोग करके टिप्पणी करने की इजाज़त देते हैं तो कोई भी आपके ब्लॉगर/वर्डप्रेस प्रोफाइल पेज का यूआरएल डाल कर आपके नाम से टिप्पणी कर सकता है…किन्तु अगर आप केवल रजिस्टर्ड टिप्पणीकारों को इजाज़त देते हैं तो आप टिप्पणियां ब्लॉगर या वर्डप्रेस पर सीमित कर देते हैं….आपका चिट्ठा ब्लॉगर पर है तो गूगल यूसर्स और वर्डप्रेस पर है तो वर्डप्रेस यूसर्स ही टिप्पणी कर पायेंगे…या ओपन आई डी यूसर्स…

  14. आदरणीय शास्त्री जी,

    इस तरह आपके नाम से टिप्पणी करने का मेरा प्रयोजन सिर्फ यह जांचना है कि आपका ब्लॉग इस बाबत कितना मुस्तैद है। अगर यह टिप्पणी प्रकाशित हो गई तो आप ही बताइए कि इस दलदल से कैसे बचा जाए।

  15. टिप्पणी 22, 23, 24

    पाठकगण इन तीन टिप्पणियों की ओर ध्यान दें.

    सवाल है कि इस तरह दूसरे के नाम से की गई टिप्पणी के दलदल से कैसे निकला जा सकेगा. इसके कई हल हैं, और इन पर विस्तार से एक आलेख जल्दी ही पेश कर दिया जायगा.

    सस्नेह — शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  16. चलिये… यह हमारी समस्या नही है हमारे ब्लोग पर कोई टिप्पणी करने आता ही नही है….

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