दोस्तों, कुछ दिनों पहल कोच्चि छोड कर मैं एकदम गांवनुमा एक जगह रह रहा हूँ. यहां 14 दिन के प्रवास के बाद घर वापस आ जाऊंगा.
यहां 24 घंटे में लगभग 12 घंटे बिजली मिल जाती है, वह भी तब जब उसका कोई उपयोग नहीं है (रात 12 से सुबह 6 तक, आदि). जालसंपर्क 4 घंटे मिल जाता है, लेकिन जालसंपर्क एवं बिजली एक साथ मिले इसकी गारंटी नहीं है.
घर से भाग यहां जो दो हफ्ते बिता रहा हूँ इसका एक उद्देश्य अपनी एकाध किताब को तेजी से आगे बढाना है. पुस्तक आजकल की बदलती हुई नैतिकता के बारे में है एवं इसका अंग्रेजी संस्करण जल्दी ही मुफ्त ईपुस्तक के रूप में उप्लब्ध हो जायगा. मेरे लिए कामना कीजिये के यह लेखनकार्य जल्दी ही पूर्ण हो सके.
कल घूमने गये तो वहां बेटे ने एक चित्र लिया जिसे आप ऊपर देख सकते हैं. इस बीच खाने बैठे तो मेरे एक चिट्ठामित्र की आत्मा मुझ से मिलने चली आई. बडा अच्छा लगा. मैं अपने बगल में चपाती रखता गया और मेरे मित्र मेरे साथसाथ खाते रहे.
खाने के बाद काफी देर तक बेफिक्री से वे मेरे चारों तरफ चहलकदमी करते रहे. मेरे साथियों को बडा ताज्जुब हुआ कि यह क्या हो रहा है. लेकिन मुझे कोई ताज्जुब नहीं हुआ. स्नेह ऐसी चीज है कि आप एक बार स्नेह करेंगे तो आप को दस बार मिलेगा.
प्रकृति से प्रेम हम सब की जिम्मेदारी है. हमारी लापरवाही के कारण गिद्ध, घरेलू गौरैया, मोर, जुगनू, और तमाम प्रकार के प्राणी लुप्त होते जा रहे हैं. इसका भयानक प्रभाव जनजीवन पर पड रहा है, लेकिन हम आंख मीच कर बैठे हैं. आईये प्रकृति के संरक्षण के लिये जो कुछ हो सकता है उसे करने का संकल्प करें!!
(Picture Copyright Dr. Anand Philip, The pictures are released into Creative Commons, no profit, share alike)
नई किताब हेतु अग्रिम शुभकामनायें… बदलती हुई नैतिकता के बारे में है तो निश्चित ही धमाकेदार होगी, ऐसी आशा है… 🙂 ग्रामीण सुरम्य वातावरण में लिख रहे हैं तो सात्विक भी होगी… 🙂
आदरणिय गुरुवर शास्त्रिजी
गुरुपुर्णिमा के दिन मै आपको वन्दन करता हू।
नई किताब हेतु अग्रिम शुभकामनायें, आपकी यह किताब नैतिकता को और महबुत करेगी। आपकी तस्वीर अच्छी लगी।
मगलकामनाओ सहीत
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
हमारी शुभकामनायें. एक दो महीने रहिये तो स्वर्गीय आनंद प्राप्त होगा.
आपको शुभकामनाय़ें, हम लोग पुस्तक की प्रतीक्षा करेंगे. आप इस परिधान में बहुत ही आकर्षक लग रहे हैं. एक बार फिर शुभकामनायें.
यह ख़ुशख़बरी है
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चाँद, बादल और शाम
शास्त्री जी नयी किताब के लिये बहुत सारी शुभकामानये, ओर यह चिट्ठा मित्र तो ताऊ लगत है, बस गोरा हो गया है.शायद जगंल मै रह कर
नई पुस्तक के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं !!
नयी पुस्तक हेतु आप का लेखन कार्य जल्द पूरा हो ऐसी शुभकामनायें हैं.
आप की ई-पुस्तक की प्रतीक्षा रहेगी.
खुशकिस्मत हैं आप ,जो प्रकृति के इतने नज़दीक रहते हैं.
प्रकृति से प्रेम का सन्देश सब तक पहुंचे.
आभार.
नयी किताब के लिए मेरी शुभकामनाएं -विषय तो आपने बताया नहीं ! या बताया ?
पशु पक्षी सचमुच अच्छे मित्र होते हैं न आलोचना करते हैं और नहीं सवाल दर सवाल पून्च्छ्ते हैं
नई किताब हेतु अग्रिम शुभकामनायें.इन्तजार आपकी वापसी का.
जल्दी ही अपनी इस पुस्तक को पूरा कीजिए जिससे हम इसे ई-फॉर्मेट में पढ़ सकें.. आभार
हमें भी आपकी पुस्तक की प्रतीक्षा है । आभार ।
नई पुस्तक के लिए अग्रिम बधाई! पुस्तक की प्रतीक्षा रहेगी। आप के मित्र से मिल कर प्रसन्नता हुई। इन्हें प्रकृति से पर्याप्त भोजन मिलता रहे तो ये मनुष्यों की ओर देखें भी नहीं। जब भी मनुष्य ने इन से मित्रता की है ये अच्छे मित्र साबित हुए हैं।
हम तो भेष बदल कर आये थे पर आपने आखिर पहचान ही लिया मित्र को:)
किताब के लिये बहुत शुभकामनाएं. प्रकृति के प्रति आपकी चिंता जायज है. हमे ओह..हमे नही आप लोगों को सोचना चाहिये..वर्ना मेरे जैसे आपके मित्र भी जंगल के कंद मूल और फ़ल छोडकर आपकी रोटियों पर निर्भर होजायेंगे. और इस तरह अन्न भंडार पर और बोझ बढेगा.
रामराम.
रोटी के लिए धन्यवाद, शास्त्री जी!:)
फोटो में बहुत स्मार्ट लग रहे हैं।
मैं आपकी बात कर रहा हूं। कपिराज की नहीं।
नई किताब हिंदी में भी आ सके इसका प्रयत्न अवश्य करें।
शास्त्री जी,
आशा करता हूँ कि अब तक आपकी पुस्तक पूरी हो गयी होगी। सम्भव हो तो उसके बारे में कुछ और जानकारी यहाँ रखिये।