सारी दुनियाँ भारत को सपेरों के देश के रूप में जानती है. इतना ही नहीं मुझे लगता है कि सर्प कथाओं और सर्प-आराधाना में हम से बढ कर और कोई देश नहीं है.
इन सब के बावजूद सांपों के बारें में लोगों ने इतनी गलतफहमियां पाल रखी है कि हिन्दुस्तान सांपों के लिए एकदम खतरनाक देश बन गया है. यहां हर दिन इतने सांप मारे जा रहे हैं कि इन की कई आम प्रजातियां लगभग लुप्त हो चुकी हैं.
सांप दर असल प्रकृति के रखवालों में से एक है. जब तक जान को खतरा न हो तब तक इनको किसी भी तरह से नुक्सान नहीं पहुँचाना चाहिये बल्कि दक्ष लोगों के द्वारा पकडवा कर इनको आबादी से दूर छुडवा देना चाहिये. सांप से पीछा भी छूट जायगा, प्रकृति के साथ अत्याचार भी नहीं होगा.
सांपों के बारें में तमाम प्रकार की भ्रांतियां प्रचलित हैं और इस कारण भी लोगो सांपों का अनावश्यक संहार करते हैं. दर असल भारत में सांपों की जो सैकडों प्रजातियां हैं उन में से सिर्फ पांच हैं जो जहरीले हैं. इसका मतलब कि कोई सांप आप को दिखे तो सौ बार दिखने पर उन में से सिर्फ 5 के जहरीला होने की संभावना है, लेकिन इनके चक्कर में बाकी 95 काल के गर्त में चले जाते हैं.
इस मामले में हम सब के इष्ट चिट्ठाकार डा अरविंद मिश्रा और लवली कुमारी का चिट्ठा भारतीय भुजंग एक स्तुत्य प्रयास है जहां सांपो से जुड़ी मिथ्या बातों और भ्रमजाल से लोगों को मुक्त कराने की कोशिश चल रही है. इस चिट्ठे को बुकमार्क करना न भूलें.
पुनश्च: पिछले हफ्ते मेरे घर के सामने सडक पर लगबग 18 इंच लम्बा और पेंसिल के समान पतला एक सांप मैं ने और मेरी बिटिया ने देखा. हम दोनों तब तक उसकी सुरक्षा करते रहे जब तक वह झाडियों तक पहुंच नहीं गया. लोगों को लगा कि बापबेटी पागल हैं, लेकिन उनकी मूढता का हम पर कोई असर न हुआ.
[Creative Commons Picture by Benimoto]
achha laga
waah !
सर, बात तो आपकी सही है पर डर का कोई क्या करे..
इसका बस एक ही इलाज़ है, लोगों को सांप छू कर देखने के मौक़े मुहय्या करवाए जाएं..
भारत में जो भ्रान्तियां फैली हुई हैं उनके कारण सांपों की जिन्दगी खतरे में है. एक दिन हमारे यहां सांप आ गया था, पकड़ कर पीपे में बन्द करने की कोशिश में बाहर भाग गया और एक पडो़सी के घर में घुस गया. उनके यहां उसे मार दिया गया.
फोटो से ही भय लग रहा है – भय और सौन्दर्य का अद्भुत मिश्रण होता है सर्प!
वैसे तो छोड देना चाहिए, पर सांपों से आदमी इतन भयभीत रहता है कि मारे बारे चैन ही नहीं मिलता उसे।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जिस से भय लगे उस के बारे में पहले जानकारी की जाए। वरना उसे नष्ट कर देने पर भी भय बना रहेगा।
एक ही इलाज है- सही जानकारी का प्रसार।
शास्त्री जी ,भारतीय भुजंग के उद्धरण के लिए धन्यवाद -यह ब्लॉग सुश्री लवली कुमारी का है
मैं वहां मात्र एक सहयोगी हूँ -इक पूरा श्रेय लवली जी को ही है !
सुन्दर!!!!!!!
आभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
अगर कोई आकर किसी मां को बताये की जिस कमरे में उसका बच्चा सो रहा है वहां उसने एक सांप देखा है.. क्या प्रतिक्रिया होगी उस मां की.. भले ही वह कितनी भी प्रबुद्ध, वन्य प्रेमी और शिक्षित क्यों न हो..
अभयारण्य ही शायद सर्पों की बची खुची प्रजातियों को बचा सकते हैं..
“भुजंग” को आपने सम्मान दिया ..बहुत धन्यवाद ..नेट से दूर हूँ व्यस्तता के कारन अभी ही देख पाई हूँ …यह चिठ्ठा मेरा, अरविन्द जी और आशीष जी का सम्मिलित प्रयास है ..अरविन्द जी की सहृदयता है की इसका श्रेय सिर्फ मुझे दे रहे हैं