मुझे अकसर टेलिफोन का पैसा चुकाने में देर हो जाती है और फाईन देना पड जाता है। लेकिन आज तो गजब हो गया।
धर्मपत्नी ने याद दिलाया कि इस बार भी देर हो गई है। यहां विश्वविद्यालय में ही टेलिफोन विभाग का अच्छाखासा दफ्तर है लेकिन वे लोग सिर्फ 2 बजे तक पैसा लेते हैं। इतना ही नहीं, तारीख निकल जाने के बाद फाईन के साथ पैसा नहीं लेते बल्कि उसके लिये ग्राहक को शहरी दफ्तर की ओर (6 किलोमीटर दूर) बेरूखी से रवाना कर दिया जाता है। लेकिन जब धर्मपत्नी ने बताया कि अब तो तो पांच बजे तक पैसे लिये जाते हैं और हर तरह का पैसा स्वीकार किया जाता है तो आज अनमने भाव से मैं भरी दोपहरी के 3 बजे अपने पास के कार्यालय पहुंचा।
दो महीने का, फाईन मिला कर, कुल 1230 रुपये का बिल था। 1200 रुपये टिकाने के बाद मैं ने तीस रुपये और बढाये तो बहुत ही मुस्कराते हुए उस ने और पास बैठे चपरासी ने एकदम से टोका कि ये 30 रुपये काहे के हैं। मैं ने जब कहा कि 1230 रुपये होते हैं तो दोनों ने हें हें करते हुए कहा “अरे साहब क्या फाईन। उसकी कोई जरूरत नहीं है” और 1199 का सही बिल बना कर 1 रुपया वापस कर दिया।
मैं आसमान से गिरा। यह औरत काफी समय से इस दफ्तर में है। बिल चुकाने वालों से आज तक सीधे मूंह उसने बात नहीं की। ग्राहकों से वहां बैठे लोगों का व्यवहार बहुत ही अपमानजनक होता था। लेकिन आज क्या हुआ?
जब किसी गली में एकाधिकार होता है तो कुत्ता शेर हो जाता है। लेकिन जब एक से एक कुत्ते उस गली में आ जाते हैं तो शेर बकरी के समान मियामियाने लगता है। आज चलभाष (मोबाईल) इतना सस्ता हो गया है, और विक्रेता इस तरह से ग्राहकों को सुविधा दे रहे हैं कि टेलिफोन विभाग की घिग्गी बंध गई है। इस बीच रिलायेंस, टाटा अदि केरल में इतना उत्तम समानांतर टेलिफोन सेवा देने लगे हैं कि काफी ग्राहक उस ओर खिच रहे हैं।
अब सब को पता चल गया है कि एकाधिकार नहीं चलेगा। आज से कुछ सालों पहले रेफ्रिजेटर पर एक साल की वारंटी मिलती थी। जब कई कंपनियां बाजार में आ गईं तो वह 7 साल तक का हो गया। वेस्पा स्कूटर के लिये 6 से 8 साल इंतजार करना पडता था। आज स्कूटर/मोटरसाईकिल बेचने वाले आपके घर मिठाई का पेकेट लेकर आते हैं कि भाईसाहब आकर एक गाडी खरीद लीजिये।
बिजली, पानी, कार स्कूटर आदि पर से परमिट लाईसेंस का राज जिस दिन हट जायगा उस दिन देश में एक विशेष प्रकार की क्रांति आ जायगी।
लेकिन बिल में जो रकम देय लिखी होती है उसमें कोई कर्मचारी छूट नहीं दे सकता. ये कैसे हुआ समझ से परे है.
वैसे भी, सरकारी विभागों को प्रतिस्पर्धा से क्या लेना! नौकरी चलती रहे, तनखा मिलती रहे… बस.
बी एस एन एल को काफी दिनों तक हमलोगों ने भी झेला है !!
सरकारी विभाग यदि अच्छी सेवा देने लगें तो प्राईवेट आपरेटरों को दिक्कत होने लगेगी. और प्राईवेट भी कोई अधिक बढ़िया नहीं है. रिलायन्स ने मेरे फोन पर पता नहीं कौन सी वीएएस एक्टीवेट कर दी और पचास रुपये काट लिये…
सेवाओं में क्रमश: सुधार आता दिख तो रहा है
मोबाइल का बिल जितना है उतना ही जमा कराया जा सकता है, देरी होने पर भी। वे जो भी ब्याज बनता है अगले बिल में जोड़ते हैं।एक बात और है कि आप कितना भी रुपया जमा करा सकते हैं। बिल 136 का हो तो आप 150 या 200 रुपये भी जमा करा सकते हैं। बढ़ा हुआ रुपया अगले बिल की राशि में से कम हो जाएगा।
प्रतिस्पर्धा का बाजार है, यह सब तो बढ़ चढ़ कर दिखता रहेगा.
बाजार में प्रतिस्पर्धा और प्रतिस्पर्धा का बाजार।
प्रतिस्पर्धा में यही सब होता है |
बरसों पहले जब आज की BSNL दूरसंचार विभाग हुआ करती थी तब के उसके एक अधिकारी का बयान याद आ रहा है मैं अपने दोस्त के साथ उसके टेलीफोन की समस्या निदान के लिए दूर संचार विभाग गया था तब वहां के एक अधिकारी ने अपने साथियों व् मतहतो की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘ आने वाले समय जब निजी कम्पनिया आजायेगी तब देखना – इन कर्मचारियों की सारी अकड निकल जाएगी और आज जो हमारे चेहरों पर रौनक दिखाई दे रही उसकी जगह होटों पर फेफड़ी जमी दिखाई देगी |
देखिये यह बदलाव और सरकारी सेवाओं में कब तक आएगा !
जरुरत तो थी इसकी काफ़ी लंबे समय से.
रामराम.
चाहे जो भी कह लें, मगर सबसे अधिक पारदर्शिता सरकारी चीजों में ही दिखती है.. भले ही सर्विस घटिया हो..
bsnl ke maare bahut bechare aaj use yaad bhi nahin karna chahate
अगर ऐसा है तो बिजली में कब निजीकरण आएगा?
रेलवे का भी निजीकरण होना चाहिए.
अभी देखते जाइए, आगे आगे होता है क्या
यह सम्मान प्रतियोगिता-प्रेरित न हो संस्कृति-प्रेरित हो ।
बहुत सही कहा शास्त्री जी आपने अब सब को पता चल गया है एकाधिकार नही चलेगा।
आपको जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई हो।
मैंने तो सूना है आगरा में बिजली विभाग प्राइवेट कंपनी को सूप दिया गया
पता नहीं सच क्या है
हम तो आपको जन्म दिन की बधाई देने आये हैं 🙂
हेप्पी बड्डे 🙂