

कुछ समय से कुछ छद्म भारतीयों ने एक नया गीत आलापना चालू कर दिया है — कि आज हम जो हैं उसे अंग्रेजों ने हमको दिया था. ये छद्म भारतीय लोग प्राचीन भारतीय समाज, संस्कृति, विज्ञान, एवं तकनीकी ज्ञान का तिरस्कार करके अंग्रेजों को भारत का मसीहा सिद्ध करने की कोशिश करते हैं.
अंग्रेज शुद्ध लुटेरे थे. यूरोप की समृद्धि लूट और सिर्फ लूट पर अधारित थी. वे हमारा पोषण करने के लिये नही बल्कि शोषण करने के लिये आये थे. अपने लूट की सुविधा के लिये यदि उन्होने पक्की सडकें बनवाई तो यह कोई उदारता नहीं बल्कि लूट का एक अभिन्न हिस्सा था.
चित्र में आप अमृतसर के कसाई जनरल डायर को देख रहे हैं इस नीच ने जालियावाला कांड को जन्म दिया था जिसके बारे में अगले आलेख में हम पढेंगे. हां, उसके पहले एक बात — जो लोग अंग्रेजो की स्तुति करते हैं उनका मूंह बंद करना अरंभ करें.
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