Category: ईसा/ईसाईयत
मुक्तिदाता का हत्यारा !
[हिन्द युग्म से साभार] दुनिया में लगभग हर कौम को कभी न कभी गुलामी देखनी पडी है. और लगभग हर कौम ने गुलामी करवाने वालों के विरुद्ध बगावत की है. ऐसी ही एक खुनी बगावत के लिए मशहूर है कौम यहूदियों की भी. ईस्वी पूर्व 42 की बात है, धनी यहूदियों पर एक शक्तिशाली गैर-यहूदी का राज्य हो गया. हेरोद-महान…
कौन है यह सांता क्लॉज ??
कल दिसम्बर 25 को बडी खुशी के साथ ईसाजयंती मनाई गई, लेकिन साथ साथ यह प्रश्न भी बहुत मनों में छोड गई कि यह सांता क्लॉज कौन है? यह नाम लाल परिधान एवं लम्बी टोपी पहने, पीठ पर तोहफों का भारी थैला टांगे, एक बुजुर्ग के नाम के रूप में प्रयुक्त होता है. चूंकि यह पश्चिमी देशों से आई एक…
ईसाजयंती पर विशेष !!
जगद्ज्योति ईसा की 2008वीं जयंती के अवसर पर ईसा के एक चरणसेवक की शुभकामनायें सारथी के सारे मित्रों को मिले. ईश्वर आपको एक मंगलमय एवं सामाजिक-आर्थिक अनुग्रहों से भरपूर एक नया साल प्रदान करें! प्रभु करे कि 2009 हर भारतीय के लिये वैश्विक आर्थिक मंदी से आजादी का साल हो. प्रभु यह वरदान दें कि मैआप इस नये साल उस…
ईसा चरित (सेवा पर्व) 1
ईश पुत्र ईसा ने इस पृथ्वी पर दो सहस्र वर्ष पूर्व एक यहूदी परिवार में मनुष्य के चोले में जन्म लिया. यहूदी लोग चार शताब्दी से अधिक समय गुलामी में बिता चुके थे, एवं गैरयहूदी तानाशाहों की लूट एवं क्रूरता के कारण त्राहि त्राहि कर रहे थे. उनके धर्मशास्त्रों में एक उद्धारकर्त्ता की चर्चा मिलती है जो भविष्य में पधारने…
ईसा चरित (बाल पर्व, अध्याय 3)
मनुष्य कितना भी कोशिश कर ले, लेकिन ईश्वर का मंतव्य पूरा होकर ही रहता है. नीच एवं क्रूर हेरोद राजा ने अपने सिंहासन को बचाने के लिये ईसा के जन्मस्थान एवं उसके आसपास के गांवों मे ईसा की उमर एवं उससे कम के सारे बालकों को मरवा डाला, लेकिन उसके सैनिक ईसा को हाथ न लगा सके. हेरोद की मंशा जान…
ईसा चरित (बाल पर्व, अध्याय 2)
स्वर्गदूत द्वारा दिये गये दर्शन एवं सन्देश के बाद से यूसुफ एवं मरियम ने हमेशा यह याद रखा कि उस दिव्य बालक का पालण-पोषण विशिष्ट तरीके से होना है क्योंकि उनके द्वारा ईश्वर मानव मात्र के उद्धार के लिये इस धरती पर मनुष्य-रूप में पधार रहे हैं. चोला मनुष्य का है, लेकिन वास्तव में वे ईश्वर हैं. इस तरह जब…
ईसा चरित (बाल पर्व, अध्याय 1)
(ईसा मेरे इष्टदेव हैं. उनकी यह जीवनी मेरी अपनी कृति है जो जन जन को समर्पित है) लगभग दो सहस्त्र साल पूर्व मध्य-पूर्व में एक छोटे से गांव में मरियम नामक एक यहूदी युवती रहती थी. बाल्यकाल से ही वह बहुत ईश्वर-भक्त थी और उसके रिश्ते के अन्य परिवारों के लोग, यहां तक कि उसके गांव के सभी लोग उसकी…