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हिन्दुस्तानी हो, हिन्दुस्तानी बनो!

कई दशाब्दियों से रेलगाडी यात्रा मेरे लिये जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है. इन यात्राओं के दौरान कई खट्टेमीठे अनुभव हुए हैं, जिनमें मीठे अनुभव बहुत अधिक हैं. इसके साथ साथ कई विचित्र बाते देखने मिलती हैं जिनको देखकर अफसोस होता है कि लोग किस तरह से विरोधाभासों को पहचान नहीं पाते हैं. उदाहरण के लिये निम्न प्रस्ताव…

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डॉ अरविंद — बड़े बड़ों की बातें!

मेरे कल के आलेख मसिजीवी का एक प्रश्न!  पर डॉ अरविंद मिश्रा ने टिपियाया: बड़े बड़ों की बातें! तीन शब्द ही सही, लेकिन इस टिप्पणी को पढ कर बढा अच्छा लगा. अच्छा इसलिये कि डॉ अरविंद बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति हैं एवं सुलझे हुए चिट्ठाकार हैं. वे अधिकतर वैज्ञानिक विषयों पर लिखते हैं, और इस कारण कई बार कई…

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चिट्ठाकारों को नंगा करने की साजिश!!

कुछ हफ्तों से चिट्ठे पढ नहीं पाया था (मेरे पिताजी के लिये घर-अस्पताल-घर चक्कर के कारण). लेकिन आज तसल्ली से बैठ कर चिट्ठों पर नजर डालने लगा तो महावीर बी सेमलानी का एक आलेख नजर आया जिसमें उन्होंने चिट्ठाजगत में पिछले दिनों जो कलुषित वातावरण पैदा हुआ था उस पर दु:ख प्रगट किया है. मैं महावीर के आलेख का अनुमोदन…

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पुरुष समलैंगिकता और स्वास्थ्य!

चित्र: एचआईवी वायरस जिसके कारण एड्स रोग होता है समलैंगिक पुरुषों का मैथुन पुरुष-स्त्री के मैथुन से काफी भिन्न होता है क्योंकि प्रकृति ने सिर्फ विपरीतलिंग के अवयवों को यौनाचार के लिये पूरक के रूप में ढाला है, न कि समलिंगियों के यौनांगों को. गुदा की संरचना, पेशियों का खिचाव, उसमें उपलब्ध खाली स्थान आदि  योनि की संरचना से एकदम…

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नंगे होने पर ही ये लिख पाते हैं!!

मैं ने अपने पिछले आलेख कौन हैं ये अज्ञात टिप्पणीकार!!  में कहा था कि जब तक बेनामियों को टिप्पणी की सुविधा दी जायगी तब तक चिट्ठाजगत में बुराई होती रहेगी. आज अजय के आलेख वे हिंदी में ब्लॉग्गिंग करते हैं..और हिंदी ब्लॉग्गिंग को गरियाते हैं  में यह बात पुन: स्पष्ट हो गई. इस चिट्ठे पर बिना नाम टिप्पणी करने की…

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कौन हैं ये अज्ञात टिप्पणीकार!!

चिट्ठाजगत में यदाकदा किसी एक व्यक्ति के नाम से कोई और टिप्पणी कर जाता है तो एक तूफान आ जाता है. कारण यह है कि इस तरह की टिप्पणियाँ अकसर बडी घिनौनी होती हैं, लेकिन जिसके नाम से ये की जाती हैं उसे पता भी नही चलता कि उसके नाम का दुरुपयोग हो रहा है. इस बीच जिसके चिट्ठे पर…

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सारे वकील लुटेरे होते हैं??

एक महीने से घर की पुताई चल रही थी. काम अब खतम हो गया. मैं पूरी तरह से “पुत” भी गया. इसके बाद बैठ कर आराम से जरा चिट्ठाजगत की खबर ली तो कई चिंतनीय, हास्य से भरपूर, लटके झटके से भरपूर, एवं हर तरह के आलेख दिखें जिन में से अविनाश वाचस्पति का आलेख एक बहुत पुराना आलेख वकील:…

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परनिंदा कीजिये: चिट्ठे हिट करवाईये??

चिट्ठे किस तरह से जनप्रिय हों इस मामले में मैं काफी लिख चुका हूँ. यह अनुभव और अनुसंधान दोनों पर आधारित है. इन बातों के प्रयोग से सारथी को कितना फायदा हुआ है यह भी आप लोग देख रहे हैं. अनुमान है कि 2009 के अंत तक सारथी पर एक महीने में 600,000 से अधिक हिट्स आने लगेंगे. चिट्ठाजगत में…

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चिट्ठा-कुंठासुर: एक विश्लेषण

चिट्ठा या ब्लागिंग का आरंभ पाश्चात्य जगत में अभिव्यक्ति की आजादी के लिये हुआ था, वह भी अराजकत्व की हद तक आजादी के लिये. स्वाभाविक है कि इस प्रकार के एक समूह में हर प्रकार के लोग होंगे. चिट्ठा-कुंठासुर से कैसे बचें!! में मैं ने याद दिलाया था कि जो चिट्ठाकार अनाम बन कर या छद्म नामों के उपयोग के…

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क्या जरूरत है इन पचडों की!!

मेरे पिछले आलेख डॉक्टर की छोकरी सब विषयों में गोल है!! को पढ कर एक मित्र ने टिप्पणी की कि “शास्त्री जी, पहले आप ने चड्डी-कांड का विरोध किया, फिर हिजडों की हिमायत की, अब अध्यापन के दौरान जो किया उसकी कहानी बता रहे हैं. क्या जरूरत है इन पचडों में फंसने की. इस तरह तो आपका सारा जीवन खंडित…

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