Category: व्यंग
जब गधे राज करते हैं!!
यह लेख आने वाले एक लेख की नीव डाल रहा है, अत: इसके मर्म को समझना जरूरी है. जंगल का राजा शेर बहुत ही समतावादी और समन्वयवादी था अत: उसने मंत्रिमंडल में हर प्रकार के जानवरों को शामिल करने का निर्णय ले लिया. इस तरह के प्रतिनिधि जोडे जा रहे थे तो गधे के बारे में महामंत्री भालू ने बडी…
रास्ते कैसे आया चादरवाला !!
दर्जी था हमारा, बडा चालू! नाम था चादरवाला, पर कैंचीवाल एन्ड सन्स के नाम से चलाता था दुकान! पर जाना जाता था सिर्फ ”पैबंदवाला” के नाम से. डेड गज के पैंट के लिये हमेशा मांगता था वह, ढाई गज. बहाना था उसका कि पेट है बडा आपका सामान्य से, एवं साधारण नहीं है पृ्ष्ठभाग आपका. फिर भी छोटा पडता था…
सुपरमार्केट की मेम!
आज से कुछ साल पहले एक अंग्रेजीदां लडकी के घमंड के दर्शन की चर्चा मैं ने सडक छाप कुत्ते की जनानी कौन? में की थी. कल फिर ऐसा एक मौका आया. मेरे घर से 3 किलोमीटर दूर एक सुपरमार्केट है जहां किराना, सब्जी, फल, और दैनिक आवश्यक्ता की लगभग हर चीज गारंटी के साथ बाजार से कुछ कम कीमत पर…
कमजोरदिल इसे न पढें
शाश्वत सत्यों को कोई भी व्यक्ति मिटा नहीं सकता. इनमे से एक शाश्वत सत्य है कि जैसी करनी वैसी भरनी. Sataire विधा में एक काल्पनिक — लेकिन संभाव्य — घटना द्वारा इस विषय पर प्रकाश डाला गया है. अखबारों में इससे मिलतीजुलती घटनाये आये दिन नजर आ जाती हैं. मस्टर साहब भौतिकी के अध्यापक थे, जडत्व अघूर्ण जी. सच को…
अंग्रेजी का होता ज्ञान मुझे तो !
बोदूमल को था इस बात का मलाल सदा, कि अंग्रेजी मीडियम में पढ न पाये कभी. अरे, सदा वह कहता बीबी से, चपरासी हुआ तो क्या अरी बुधानी, जनरल होता आर्मी में आज यदि अंग्रेजी का होता ज्ञान मुझे तो. आकर बसे एक रिटायर्ड करनल बगल में, मेम थी जिसकी हिम समान गोरी, तो इच्छा हो गई बलवती यह सिद्ध…
संस्कृति !!
उन्हें अपनी संस्कृति से है बेहद प्यार. अत: बीबीसी एवं सीएनएन द्वारा प्रस्तुत कोई भी "देसी" प्रोग्राम कभी नहीं करते हैं मिस. प्रगति वे बोले ताज्जुब है कि नयागांव अभी भी है पिछडा. ढेर से वायदे, अनगिनित हवाई किले, सैकडों कागजी कूंए, बात बात पर उन के लिये नई नई घोषणाये, एवं साल में कम से कम दीवाली पर राशन,…
रोजगार
क्षण भर में नेता जी ने कर दिया हल सारी बेरोजगारी का, यह कह कर कि "क्यों रोते हैं ये बेरोजगार. अरे बेरोजगारी ही तो, उनका है रोजगार. अत: कैसे हुए वे बेरोजगार" दर्शक कायल हो गये, अपने नायक के सामर्थ की. लेकिन मजा बिगाड दिया एक बेरोजगार ने जब आगे बढ कर पूछा उसने कि, "इतना आसान रोगगार है…
श्रीमती टारा डेवी
हिन्दी के चरणदास हैं, श्रीमान समाजमित्र. कॉन्वेन्ट पढी बीबी को है घिन, हर चीज, हिन्दुस्तानी से. नयनतारा देवी है नाम, पर हरेक को बताती है नाम, नयन टारा डेवी. कुत्तर, नौकर, समाजमित्र को वे, आज्ञा दे सिर्फ अंग्रेजी में. मेम साहब को घर छोड, श्रीमान समाजमित्र करते थे हिन्दी की, दिल से सेवा. आज था हिन्दी सेवा समाज में उनका,…
टिप्पणियां जो दी नहीं गईं !!
मेरे वरिष्ठ चिट्ठामित्र अकसर चिट्ठों के साथ हुए काफी दिलचस्प अनुभव बताते रहे हैं. उन में से किसी को भी आहत किये बिना कुछ टिप्पणियों यहां देना चाहता हूँ जो वे देना चाहते थे, लेकिन देते देते रह गये कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाये. लेकिन चिट्ठापाठकों को इन दिलचस्प टिप्पणियों से वंचित करना ठीक नहीं है अत: मैं…
सामाजिक उत्तरदायित्व
पी एन. सुब्रमनियन शांतिनगर के हमारे मुहल्ले में सेवानिवृत्त बुजुर्गों की एक जमात है. रोज शाम शौपिंग काम्प्लेक्स के कोने में बनी दवाई की दुकान के सामने सब इकट्ठे होते हैं. कुछ दूसरे मोहल्ले से भी ऐसे ही लोग, अनुकूल वातावरण देख कर शामिल हो जाते हैं. जगह की कमी के कारण बैठक दो पारियों में होती है. एक का…