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तकनीकी समस्या
सारथी पर यूनिकोड में पोस्ट करने में समस्या आ रही है. मित्रगण कृपया विघ्न के लिये क्षमा करें — सस्नेह, शास्त्री
चिट्ठाकारी एवं अर्थलाभ
मैं ने अपने कई चिट्ठों में अर्थलाभ के बारे में बताया था. कई चिट्ठाकारों का कहना है कि वे तो सिर्फ स्वांत: सुखाय लिखते हैं अत: अर्थलाभ-हानि से उनको कुछ लेनादेना नहीं है. मैं ने चिट्ठाकारी शौकिया शुरू की थी लेकिन आय से मुझे परहेज नहीं है. बल्कि मेरा मानना है कि आय तो आगे बढने में काफी प्रोत्साहन देता…
पैसा नहीं बल्कि देशप्रेम!
पिछले कई सालों से मैं भारत के एतिहासिक स्थानों का अध्ययन कर रहा हूँ एवं अगली पीढियों के लिये इन धाराशाई होते एतिहासिक स्थानों के उच्च किस्म के छायाचित्र उतार रहा हूँ. इन यात्राओं के दौरान कई महानुभवों से मुलाकात होती है जिनके आगे मेरा मन नतमस्तक हो जाता है. इस चित्र में दिख रहे श्री राकेश मिश्रा जी (सब…
दुनियां के सबसे छोटे सिक्के!
पिछले दिनों मैं ने अपने नये शौक “सिक्का संग्रह” के बारे में सूचना दी थी. तब सारथी के मित्रों ने इस विषय पर हिन्दी में लिखने का आग्रह किया था. पेश है पहला लेख. अंग्रेजी जाल आप Coins Encyclopedia पर देख सकते हैं. दुनियां का सबसे छोटा सिक्का हिन्दुस्तान में चलता था. अनुमान है कि 1300 ईस्वी में इसका आरंभ…
कैसी पाश्विकता थी यह!!
मेरे पिछले लेख में मैं ने मनुष्य की स्वाभाविक बर्बरता पर लिखना शुरू किया था. मैं ने यह कहने की कोशिश की थी कि यदि स्त्रियां स्त्रियों के विरुद्ध अपराध करना बंद कर दे तो समाज में क्रातिकारी परिवर्तन आ जायगा. लेकिन जब तक स्त्रियां अपनों के ही विरुद्ध कार्य करते रहेंगे तो पुरुष के स्त्रीविरोधी कार्यों पर नियंत्रण करना…
हिंसा पर उतारू समाज
जैसा मैं ने अपने पिछले लेख में कहा था, मेरे पेशाई सफलता से त्रस्त एक आदमी पिछले दो महीनों से मुझे परेशान किये जा रहा था. चाहे शारीरिक हो या मानसिक, दर्द कभी भी एक सामान्य व्यक्ति को आनंद नहीं देता है. इसके बावजूद जीवन में कभी कभी ऐसा होना अच्छा है क्योंकि: दु:ख में सुमिरन सब करे, सुख में…
मीडिया डाक्टर ??
कुछ हफ्तों की गैरहाजिरी के बाद आजकल सारे चिट्ठों को बडी तेजी से पढने की कोशिश में हूं. इस बीच कुछ कारणों से मीडिया डाक्टर चिट्ठे के पुनरवलोकन का अवसर मिला तो मैं दंग रह गया. यह मैं ने बहुत पहले ही नोट किया था कि डा. प्रवीण चोपडा अच्छा लिखते है. लेकिन आजकल उनकी कलम में जो तेज भर…
हार की जीत !!
आज मन एकदम तरोताजा है अत: एकदम व्यक्तिगत विषय पर लिखना चाहता हूँ. मेरे पेशाई सफलता के कारण कुछ लोग पिछले दो महीने से मुझे बहुत अधिक परेशान कर रहे थे. इनके वारों से बचने के लिये मुझे काफी समय बर्बाद करना पडा एवं सारा लेखन बंद हो गया. लेकिन जब उनका सबसे सशक्त हथियार मेरी तरफ आया तो दिनेश…
यह क्या हो सकता है?
दिखने में तो यह रेलगाडी की पटरी लगती है, लेकिन यह है क्या. खिलौना रेल तो नहीं? इस बार ग्वालियर के आसपास एतिहासिक छायाचित्र खीचते समय मेरे सहायक उपाचार्य जिजो को तो यकीन नहीं हुआ कि यह सच है. जी हां किसी जमाने में रेलगाडियां "नेरो गेज" पटरियों पर चला करती थीं. यह उसका जीताजागता अवशेष है. रेल विभाग इन…
चिट्ठाकारी एवं ककनमठ
भुवनेश, शास्त्री, डा. महेश प्रकाश. भुवनेश के घर के सामने जैसे ही मैं ने पुरातत्व संबंधी बहुत ही महत्वपूर्ण “ककनमठ” जाने की इच्छा के बारे में सारथी में लिखा, उसी समय हिन्दी पन्ना के भुवनेश ने मुझे ईपत्र लिख कर एवं दूरभाष द्वारा ककनमठ एवं उसके लगभग 60 किलोमीटर व्यास के कई सारे महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी दी. उन्होंने इन…